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योग के बिना जड़विहीन पौधे के समान है जीवन
मुजफ्फरपुर : योग संपूर्ण जीवन का मूल है. जैसे पेड़-पौधों को जड़ से उखाड़ दीजिए. वह सूख जाता है. उसी प्रकार मनुष्यों का जीवन है. योग विहिन होने पर जीवन भी सूख जाता है. बिना योग का चेहरा मुरझा जाता है. व्यवहार नकारात्मक हो जाता है. खराब चिंतन आता है. जीवन की पूरी व्यवस्था अस्त-व्यस्त […]
मुजफ्फरपुर : योग संपूर्ण जीवन का मूल है. जैसे पेड़-पौधों को जड़ से उखाड़ दीजिए. वह सूख जाता है. उसी प्रकार मनुष्यों का जीवन है. योग विहिन होने पर जीवन भी सूख जाता है. बिना योग का चेहरा मुरझा जाता है. व्यवहार नकारात्मक हो जाता है. खराब चिंतन आता है. जीवन की पूरी व्यवस्था अस्त-व्यस्त हो जाती है. ऐसे में, जीवन को असाध्य रोगों से मुक्त कराने व सुख- समृद्धि का सबसे सशक्त माध्यम योग ही हैं.
युवा, महिला व बच्चों के योग जीवन की आवश्यकता है. इसको लेकर जागरूकता फैली है. समय आने पर असंख्य लोग योग से जुड़ जायेंगे, क्योंकि योग-प्राणायाम असाध्य बीमारियों को ठीक करने में पूरी तरह सक्षम साबित हुआ है. बड़े-बड़े डॉक्टरों के यहां निराश होकर लौटे मरीज योग-प्राणायाम अपनाकर जीवन का आनंद ले रहे हैं. यह बातें मंगलवार को सरैयागंज स्थित प्रभात खबर कार्यालय में विश्व योग दिवस की पूर्व संध्या पर आयोजित गोष्ठि को संबोधित करते हुए योग विद्या के विशेषज्ञों व स्कूलों के शारीरिक शिक्षकों ने कही.
वक्ताओं ने कहा, योग मन व आत्मा को परमात्मा से जोड़ता है. इससे मनुष्यों को चारों पुरुषार्थ मिल जाता है. यह चिकित्सा पद्धति नहीं, जीवन जीने की बहुत बड़ी कला है. इससे लाइफ स्टाइल सुधरता है. टाइम मैनेजमेंट होता है. सभी रोगों का समाधान कपालभाति, अनुलोम-विलोम, भ्रामरी प्राणायाम में है. मेडिकल साइंस ने जिन लोगों में असाध्य बीमारी करार दिया. उनमें भी योग अपनाकर जीवन की आस जगती है. लोगों को मधुमेह, कैंसर, डिप्रेशन, हाइब्लड प्रेशर, स्पॉन्डलाइटिस, गैस्ट्रिक अल्सर, लकवा, साइनस जैसी जटिल व जानलेवा बीमारियों से मुक्ति मिलती है. इसके एक नहीं कई प्रमाण मिले हैं.
योग अपनी प्राचीनतम चिकित्सा पद्धति होने के बाद भी विलुप्त हो रहा था. लेकिन, स्वामी रामदेव ने बहुत तेजी से योग-प्राणायाम का प्रचार-प्रचार किया. लोगों में जागरूकता आयी. इसके बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 21 जून को अंतरराष्ट्रीय योग दिवस के रूप में मनाने का फैसला लिया. दुनिया के लोगों को आरोग्य दिलाने का सबसे बड़ा जागरूकता कार्यक्रम कहा जाता सकता है. भारत ने 21 जून को विश्व योग दिवस की सौगात पूरी दुनिया को दी है. दुनिया के 198 देशों ने योग को अपनाया है. यह भारत एक-एक लोग के लिए गर्व की बात है.
योग शरीर व विचार दोनों का शुद्धिकरण करता है. योग फिर से नवयौवन को पाने की आश्चर्यजनक पद्धति है. यह काया के साथ मेधाशक्ति को भी बढ़ाता है. स्वामी रामदेव के सरल योग व प्राणायामों की खोज व प्रयोग के कारण जनमानस को सुलभ हुआ है. इनके प्रयास से लोग जागरूक हुए. भारत के लिए यह गौरव की बात है. योग के क्षेत्र में भारत संपूर्ण विश्व का नेतृत्व का रहा है.
आलोक कुमार अभिषेक, प्रबंधक, एसबीआइ रेडक्रॉस मेनब्रांच सह योग एक्सपर्ट
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