जीएसटी का प्रभाव. दुकानदार दे रहे ग्राहकों को छूट
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इलेक्ट्रॉनिक्स मार्केट में बिन मौसम ऑफर की बरसात
जीएसटी का प्रभाव. दुकानदार दे रहे ग्राहकों को छूट मुजफ्फरपुर : न होली-दिवाली, और न ही लगन का सीजन. बिन मौसम ही इलेक्ट्रॉनिक्स मार्केट में ऑफर की बरसात शुरू हो गयी है. दुकानदार अपने-अपने स्तर से इलेक्ट्रॉनिक्स सामानों पर छूट देकर गोदाम खाली करने में लगे हैं. सभी दुकानों पर अलग-अलग छूट है. बस किसी […]
मुजफ्फरपुर : न होली-दिवाली, और न ही लगन का सीजन. बिन मौसम ही इलेक्ट्रॉनिक्स मार्केट में ऑफर की बरसात शुरू हो गयी है. दुकानदार अपने-अपने स्तर से इलेक्ट्रॉनिक्स सामानों पर छूट देकर गोदाम खाली करने में लगे हैं. सभी दुकानों पर अलग-अलग छूट है. बस किसी तरह सामान निकलना चाहिए. उपभोक्ताओं के लिए फायदे की बात है कि जहां जीएसटी लागू होने के बाद इन सामानों की कीमत बढ़ने की संभावना है, वहीं अभी खरीदने पर उन्हें छूट मिल रही है.
तिलक मैदान रोड स्थित एक इलेक्ट्रॉनिक्स दुकान के संचालक का कहना है कि एक जुलाई से जीएसटी लागू होने की संभावना है. सभी सामानों पर नया टैक्स लागू होगा. इसके लिए दुकान व गोदाम में उपलब्ध स्टॉक का रिकॉर्ड आयकर विभाग को देना होगा. इस कारण हम चाहते हैं कि स्टॉक जितना कम रहेगा, उतना ही कम झंझट होगा.
दरअसल, इस समय जो छूट ग्राहकों को दी जा रही है, उसके लिए कंपनी का निर्देश नहीं है. दुकानदार खुद ही अधिक से अधिक छूट देकर किसी तरह अपना स्टॉक कम करना चाहते हैं. नये टैक्स के बाद पुराने सामान को बेचना मुश्किल हो जायेगा. हालांकि मार्केट में अभी जीएसटी को लेकर पूरी तरह भ्रम की स्थिति बनी है, जिससे दुकानदारों में बेचैनी है. विभागीय अधिकारी या वकील भी कुछ क्लीयर नहीं कर पा रहे हैं.
अभी लेने में ग्राहकों को फायदा :
जिनको अगले दो-चार महीनों में इलेक्टॉनिक सामान लेना है, वे अभी खरीद लेते हैं तो फायदा ही होगा. एक तो अभी टैक्स के लिहाज से सामान सस्ता मिलेगा, फिर दुकानदार भी अपने स्तर से छूट दे रहे हैं. टीवी, फ्रीज, वाशिंग मशीन, एसी आदि सामानों पर अभी 15% टैक्स है. जीएसटी में यह बढ़कर 28% हो जायेगा. वहीं मोबाइल पर अभी 6% टैक्स लगता है, जबकि जीएसटी में 18% हो जायेगा.
दो बार हुई कार्यशाला, समझ में नहीं आया कुछ : आयकर विभाग की ओर से जीएसटी को लेकर दो बार कार्यशाला का आयोजन किया गया, लेकिन विभाग के अधिकारी भी व्यवसाइयों का कंफ्यूजन दूर नहीं कर सके. बस, जितना खुद समझ सके थे, उतना बता दिया. व्यवसाइयों के सवालों का जवाब नहीं दे सके. स्थिति यह है कि जीएसटी को लेकर पूरी तरह भ्रम की स्थिति बनी है, लेकिन अधिकारी उसे दूर नहीं कर पाये. व्यवसायी सज्जन शर्मा का कहना है कि कार्यशाला में जब अधिकारी से कोई सवाल पूछो, तो यही कहते हैं कि अभी कुछ क्लीयर नहीं है.
जीएसटी लागू होने से पहले स्टॉक कम करने की कवायद
एक जुलाई को देनी होगी दुकान व गोदाम के स्टॉक की डिटेल
छोटे-बड़े दुकानदारों में बनी है भ्रम की स्थिति, बढ़ रही बेचैनी
जीएसटी को लेकर अभी पूरी तरह भ्रम की स्थिति है. रोज नयी-नयी बातें सुनने को मिल रही हैं. रोज बदलाव हो रहे हैं. इससे मार्केट में पूरी तरह उथल-पुथल है. टेक्सटाइल ट्रेड के सामने कई तरह की मुश्किलें होंगी. 50 हजार रुपये से अधिक की बिक्री पर ई-वे (इलेक्ट्रॉनिक वे) बिल बनाकर देना है, जिसकी वैलिडिटी एक दिन की होगी. यदि गंतव्य तक एक दिन में माल नहीं पहुंचा, तो दूसरे दिन बिल इनवैलिड हो जायेगा. गांव-देहात के दुकानदारों के लिए फाइल मेंटेन करना मुश्किल होगा. काफी लोग बेरोजगार हो जाएंगे.
सज्जन शर्मा, मीडिया प्रभारी चैंबर ऑफ कॉमर्स
कंज्यूमर गुड्स पर टैक्स बढ़ जायेगा. वैसे जीएसटी के बारे में कुछ भी सही-सही जानकारी नहीं मिल पा रही है. यह सही है कि जीएसटी के बाद मार्केट में पूरी तरह पारदर्शिता आ जायेगी, लेकिन अभी बहुत ही खराब स्थिति बनी हुई है. पिछले कुछ दिनों से पूरा बाजार डरा हुआ है. बदलाव होना चाहिए, अच्छी बात है. लेकिन पहले सबकुछ क्लीयर रहना जरूरी है. अभी एक जुलाई से जीएसटी लागू होने की बात कही जा रही है. स्टॉक का हिसाब देना होगा. इस कारण सभी व्यवसायी चाहते हैं कि कम से कम स्टॉक रखा जाये.
संजय कुमार, संजीविका इलेक्ट्रॉनिक्स
जीएसटी से कुछ व्यवसाइयों को फायदा होगा, तो कुछ को नुकसान भी होगा. सामान पर दो तरह के टैक्स होते हैं. एक डाइरेक्ट, दूसरा इनडाइरेक्ट टैक्स. इनडाइरेक्ट में सर्विस, एक्साइज, कस्टम आदि आता है. इनके दायरे में जो सामान आते हैं, उनके दुकानदारों के लिए आसानी होगी. अब सिर्फ जीएसटी की फाइल दाखिल करनी होगी. हालांकि इलेक्ट्रॉनिक्स गुड्स पर एक टैक्स होता है. जीएसटी के बाद उपभोक्ताओं पर भार बढ़ जायेगा.
निशांत कुमार मिश्र, अकाउंटेंट
नया कुछ भी आये, शुरुआत में लोगों को परेशानी होती है. जीएसटी से व्यवसाय पूरी तरह पारदर्शी हो जायेगा. हर व्यापारी टैक्स के दायरे में आ जायेंगे. हालांकि इससे छोटे कारोबार के बंद होने का भी खतरा होगा. किसी तरह के व्यापार के लिए पूरा सिस्टम फॉलो करना होगा. इससे उत्पाद की लागत भी बढ़ जायेगी. जीएसटी लागू करने से पहले इससे संबंधित टेक्निकल प्वाइंट्स क्लीयर कर देना चाहिए था.
गौरव मिश्र, अकाउंटेंट
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