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गंगा पुल एप्रोच पथ के भूमि अधिग्रहण का मामला अधर में

खास महाल के पेच में फंसा लाल दरवाजा की भूमि, अधिकारी नहीं ले रहे दिलचस्पी मुंगेर : मुंगेर गंगा सड़क पुल एप्रोच पथ के लिए भूमि अधिग्रहण की कार्रवाई अधर में लटक गयी है. जिसके कारण बेगूसराय-खगड़िया राष्ट्रीय उच्च पथ 31 को मुंगेर भागलपुर राष्ट्रीय उच्च पथ 80 को जोडने का कार्य अधर में है. […]

खास महाल के पेच में फंसा लाल दरवाजा की भूमि, अधिकारी नहीं ले रहे दिलचस्पी

मुंगेर : मुंगेर गंगा सड़क पुल एप्रोच पथ के लिए भूमि अधिग्रहण की कार्रवाई अधर में लटक गयी है. जिसके कारण बेगूसराय-खगड़िया राष्ट्रीय उच्च पथ 31 को मुंगेर भागलपुर राष्ट्रीय उच्च पथ 80 को जोडने का कार्य अधर में है. कहीं लोगों ने सर्वें कार्य को रोक दिया तो कहीं सरकारी जमीन को भी अपना बता कर राशि लेने की फिराक में है.
फलत: अधिग्रहण का कार्य एक कदम भी नहीं चल पा रहा है.
न तो मकानों का सर्वे कार्य पूर्ण हो सका है और न ही सरकारी जमीन पर मालिकाना हक जमाने वाले लोगों का कोई निदान निकल पाया है. जिसके कारण भूमि अधिग्रहण की कार्रवाई संभव नहीं हो पा रही है. एप्रोच पथ बनाने के लिए आयी कंपनी भी अपना हाथ समेट लिया और मुंगेर से वापस लौट गयी.
उल्लेखनीय है कि मुंगेर गंगा रेल सह सड़क पुल का उद‍्घाटन मार्च 2016 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने किया और अप्रैल माह से इस पुल से एक पैसेंजर ट्रेन का परिचालन भी प्रारंभ किया गया. लेकिन सड़क पुल तो बनकर तैयार है. किंतु एप्रोच पथ के अभाव में इस पुल का उपयोग पूर्व व उत्तर बिहार के लोग नहीं कर पा रहे. जबकि यह पुल राष्ट्रीय परियोजना में शामिल है और सड़क मार्ग चालू होने से पूर्व-उत्तर व दक्षिण-उत्तर बिहार की दूरी सौ किलोमीटर कम हो जायेगी.
लाल दरवाजा के पास अटका है मामला
एप्रोच पथ के लिए पुल के पूर्वी हिस्से लाल दरवाजा में 800 मीटर लंबा एवं 60 मीटर चौड़ाई तक का भूमि अधिग्रहण किया जाना है. जिसमें अधिकांश भूमि खास महाल व गैर मजरुआ है. जिसका असली कागजी मालिक बिहार सरकार है. किंतु इस भूमि पर दर्जनों परिवार मकान बनाकर रह रहे.
इन लोगों का कहना है कि उनके पूर्वज ही यहां पर रहते रहे हैं. इसलिए बिना मुआवजा का वे लोग घर नहीं छोड़ेंगे. स्थिति यह है कि इस मामले में जिला प्रशासन पूरी तरह चुप्पी साधे हुए है. और यदि इसका निदान शीघ्र नहीं निकला तो भूमि अधिग्रहण संभव नहीं हो पायेगा और इस पुल की उपयोगिता वर्षों तक नहीं हो पायेगी.
वृक्ष व चापाकल का भी सर्वे नहीं हुआ है शुरु
एप्रोच पथ के लिए 48.24 हेक्टेयर जमीन का अधिग्रहण किया जाना है. जिसमें दर्जनों परिवार का बगीचा, कुंआ, समरसेबल व चापाकल लगा हुआ है. जिसके सर्वें कि जिम्मेदारी जिला उद्यान विभाग एवं पीएचइडी विभाग के अधिकारियों को दिया गया. लेकिन अब तक इन दोनों विभाग ने सर्वे कार्य प्रारंभ नहीं किया है. फलत: इस मामले में भी मुआवजा की राशि तय करना भू-अर्जन विभाग के लिए टेढ़ी खीर बनी हुई है.
सड़क के लिए अभी और करना होगा इंतजार
मुंगेर गंगा पुल के सड़क मार्ग से यात्रा के लिए अभी क्षेत्र के लोगों को वर्षों इंतजार करना होगा. क्योंकि जिस मंथर गति से एप्रोथ पथ के लिए भूमि अधिग्रहण की प्रक्रिया चल रही है. वह चिंताजनक है. भूमि अधिग्रहण के लिए सर्वे का कार्य भी पूर्ण नहीं हो पाया है. जबकि यह पुल बनकर तैयार है और फिर एप्रोच पथ केकिनारे इसका उपयोग नहीं हो रहा.
भूमि सर्वे कार्य खत्म होने के उपरांत अधिग्रहण वाले जमीन पर बने घरों का सर्वे कार्य चल रहा था. लेकिन शंकरपुर एवं कंचनगढ़ में ग्रामीणों ने अधिकारियों को घरों का सर्वे कार्य करने से रोक दिया. भवन निर्माण विभाग के अभियंताओं द्वारा घरों का सर्वे कर मूल्य का निर्धारण किया जा रहा था. माना जाता है कि अब भी 38 से 45 घरों का सर्वें नहीं हो पाया. फलत: ऐसे लोगों का मुआवजा भी तय नहीं हो पा रहा. जिससे भू-अधिग्रहण का कार्य भी रुका हुआ है.
भूमि अधिग्रहण के लिए जिस विभाग को जो जिम्मेदारी सौंपी गयी है. वह अपना कार्य कर रही है. जल्द ही घरों का सर्वे, चापाकल व बगीचे जिसमें पेड़ काटा जाना है का सर्वे रिपोर्ट आ जायेगा. सर्वे रिपोर्ट के आधार पर ही आगे की कार्रवाई होनी है.
विजय कुमार, जिला भू-अर्जन पदाधिकारी

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