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धार्मिक न्यास समिति के सचिव ने दिया इस्तीफा

चंडिका स्थान के मामले में कई दिनों से चल रहा था गतिरोध चंडिका स्थान बिहार ही नहीं देश के अन्य हिस्सों में शक्तिपीठ के नाम से प्रसिद्ध है बावजूद यहां की व्यवस्था सुधर नहीं पायी है. मुंगेर : चंडिका स्थान धार्मिक न्यास समिति के सचिव प्रभु दयाल सागर उर्फ सागर यादव ने आखिरकार बुधवार को […]

चंडिका स्थान के मामले में कई दिनों से चल रहा था गतिरोध

चंडिका स्थान बिहार ही नहीं देश के अन्य हिस्सों में शक्तिपीठ के नाम से प्रसिद्ध है बावजूद यहां की व्यवस्था सुधर नहीं पायी है.
मुंगेर : चंडिका स्थान धार्मिक न्यास समिति के सचिव प्रभु दयाल सागर उर्फ सागर यादव ने आखिरकार बुधवार को अपने पद से त्याग पत्र दे दिया. उन्होंने चंडिका स्थान धार्मिक न्यास समित के अध्यक्ष सह जिला पदाधिकारी को अपना त्याग पत्र सौंप दिया. उन्होंने कहा कि मंदिर के स्वच्छ संचालन में मैं पंडा, पुलिस एवं प्रशासन के बीच सामंजस्य नहीं बैठा पा रहा हूं. इस कारण मंदिर में विधि व्यवस्था, मंदिर का स्वच्छ संचालन करने में पूरी तरह से असमर्थ हूं.
नहीं हुआ स्थल का िवकास
चंडिका स्थान बिहार ही नहीं देश के अन्य हिस्सों में शक्तिपीठ के नाम प्रसिद्ध है. बावजूद यहां की व्यवस्था सुधर नहीं पायी. एक और जहां जनप्रतिनिधियों के उपेक्षा के कारण इस स्थल का विकास नहीं हो पाया. वहीं चंडिका स्थान धार्मिक न्यास समिति हमेशा विवादों में रहा. अब तक दो सचिव इस्तीफा दे चुके हैं. जिलाधिकारी उदय कुमार सिंह ने चंडिका स्थान की व्यवस्था सुदृढ़ करने के लिए बैठक बुलाई जिसमें कई निर्णय लिये गये.
एक निर्णय यह भी था कि अनाधिकृत पंडों से चंडिका स्थान को मुक्त कराया जाय. जिसके लिए पंडों को योग्यता परीक्षा के उपरांत आइ कार्ड देना था. लेकिन पंडा प्रशासन के इस निर्णय के विरोध में हड़ताल प्रारंभ कर दिया. साथ ही दक्षिणा एवं चढ़ावा के पैसे में किसी प्रकार की हिस्सेदारी देने से साफ मना कर दिया. पंडा ने एक मुद्दा रखा कि वर्तमान सचिव प्रभुदयाल सागर को धार्मिक न्यास बोर्ड ने अब जक सचिव पद पर नहीं मिला है. जिसे हटाया जाय. जिलाधिकारी के हस्तक्षेप से पंडों की हड़ताल तो खत्म करा दिया गया.
पूर्व में भी सचिव ने दिया था इस्तीफा
चंडिका स्थान की व्यवस्था को सुदृढ़ बनाने के लिए न्यास समिति का गठन किया गया. व्यवस्था भी सुधरी. चंडिका स्थान में बली प्रथा बंद हुआ. सौंदर्यीकरण का कार्य भी चलाया गया. समिति का खाता भी खुला और उसमें राशि भी आने लगी. लेकिन पंडा और सचिव के बीच उस समय भी विवाद चलता रहा. आखिरकार तत्कालीन सचिव शिव कुमार रूंगटा ने अपने पद से त्याग पत्र दे दिया. जिसके बाद प्रभुदयाल सागर को सचिव पद पर मनोनीत किया गया था.

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