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खुलेंगे नये द्वार. मिथिला व कोसी से सीधी रेल सेवा से जुड़ेगा अंग प्रदेश

साकार होगा विकास का सपना मुंगेर-खगड़िया : बेगूसराय के बीच रेल परिचालन शुरू होने को लेकर लोगों में खासा उत्साह है. शुक्रवार को भर दिन मुंगेर स्टेशन से लेकर गंगा ब्रिज तक स्थानीय लोगों की भीड़ लगी रही. जहां-जहां रेलवे द्वारा फाइनल टच का कार्य किया जा रहा था. वहां-वहां स्थानीय लोगों की भीड़ थी. […]

साकार होगा विकास का सपना

मुंगेर-खगड़िया : बेगूसराय के बीच रेल परिचालन शुरू होने को लेकर लोगों में खासा उत्साह है. शुक्रवार को भर दिन मुंगेर स्टेशन से लेकर गंगा ब्रिज तक स्थानीय लोगों की भीड़ लगी रही. जहां-जहां रेलवे द्वारा फाइनल टच का कार्य किया जा रहा था. वहां-वहां स्थानीय लोगों की भीड़ थी. यहां तक कि जब प्लेटफॉर्म पर लगाये गये स्टेशन बोर्ड पर जब मुंगेर लिखा जा रहा था तो उसे देखने के लिए लोग खड़े थे.
मुंगेर :मुंगेर, बेगूसराय एवं खगडि़या क्षेत्र के लोगों का चीर लंबित गंगा पुल का सपना शनिवार को साकार होगा. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा इस पुल का शुभारंभ किया जा रहा है. इस पुल के चालू होने से जहां अंग नगरी मुंगेर मिथिला व कोसी से सीधी रेल सेवा से जुड़ जायेगा. वहीं क्षेत्र में विकास के भी द्वार खुलेंगे.
आजादी के पूर्व से ही मुंगेर में गंगा नदी पर पुल की मांग उठनी शुरू हो गयी थी. यहां तक कि जब पहली बार पंडित जवाहर लाल नेहरू जब मुंगेर आये थे तो उनकी सभा लाल दरवाजा स्थित गंगा तट पर हुई थी. उन्होंने मुंगेर में गंगा पुल की घोषणा की थी. किंतु राजनीति कारणों के कारण मुंगेर का पुल सिमरिया घाट चला गया. उस समय सिमारिया मुंगेर जिला का ही अंग था. बाद के वर्षों में पुल पर ऐसी राजनीति हुई कि भारत सरकार के एक एजेंसी ने अपनी रिपोर्ट में कह दिया कि मुंगेर की मिट्टी पुल बनने के लायक नहीं है. किंतु मुंगेरवासियों के दृढ़ इच्छाशक्ति व आंदोलन के कारण पुल की मांग जोर पकड़ती गयी. जागृति नामक संस्था के नेतृत्व में पुल का आंदोलन चलता रहा. बाद में मुंगेर के तत्कालीन सांसद ब्रह्मानंद मंडल ने पुल की मांग को लेकर जब अनशन प्रारंभ किया तो पहली बार भारत सरकार के तत्कालीन योजना आयोग के उपाध्यक्ष प्रणव मुखर्जी ने मुंगेर में पुल बनाने पर सहमति दी थी. नीतीश कुमार के रेलमंत्रित्व काल में इस पुल की स्वीकृति हुई और फिर तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने इस पुल का शिलान्यास किया था.
वर्ष 2002 में हुुआ था गंगा पुल का शिलान्यास
गंगा रेल सह सड़क पुल का शिलान्यास 26 दिसंबर 2002 को तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने दिल्ली से ही रिमोट दबा कर किया था. वह दिन मुंगेर के लिए ऐतिहासिक दिन था. शिलान्यास स्थल लाल दरवाजा में जब शिलापट से परदा हटा तो लोग झूम उठे थे और उस दिन मुंगेर में दीपावली मनायी गयी थी.
921 करोड़ की परियोजना बनी 2774 करोड़ खर्च
गंगा रेल सह सड़क पुल की परियोजना शिलान्यास के समय मात्र 921 करोड़ की थी जिस पर कुल 2774 करोड़ रुपये खर्च हुए. अर्थात पुल का लागत लगभग तीन गुणा बढ़ गयी. जिसका भार अंतत: जनता पर ही पड़ेगी.
क्या-क्या होंगे फायदे
गंगा रेल सह सड़क पुल के निर्माण से मुंगेर का आर्थिक, औद्योगिक एवं सामाजिक विकास होगा. एक ओर जहां मुंगेर में व्यवसाय के नये द्वार खुलेंगे, वहीं नये उद्योग धंधे भी प्रारंभ होंगे. सामाजिक स्तर पर अंग, कोसी व मिथिला का मिलन होगा. मुंगेर से सहरसा-सुपौल, दरभंगा-मधुबनी, समस्तीपुर-मुजफ्फरपुर की दूरी लगभग 100-150 किलोमीटर कम हो जायेगी.
मुंगेर स्टेशन को दिया जा रहा फाइनल टच
मुंगेर. गंगा पुल के उद्घाटन के साथ ही रेल परिचालन प्रारंभ करने के लिए मुंगेर रेलवे स्टेशन को फाइनल टच दिया जा रहा है. लगभग एक दशक बाद मुंगेर रेलवे स्टेशन पुन: अस्तित्व में आया है. स्टेशन पर जहां युद्ध स्तर पर इलेक्ट्रिक व संचार व्यवस्था को मूर्त रूप दिया जा रहा. वहीं रंगरोगन का कार्य चल रहा है. शुक्रवार की शाम स्टेशन के बोर्ड पर ” मुंगेर ” शब्द अंकित कर दिया गया. आज भर दिन स्टेशन में रेल अधिकारियों का आना-जाना भी लगा रहा.
शनिवार को प्रधानमंत्री के उद्घाटन के साथ ही गुड्स ट्रेन के परिचालन प्रारंभ हो जायेगी. इसको लेकर स्टेशन के उत्तर-पश्चिम भाग में रेल अभियंता व कर्मी रेलवे ट्रैक को दुरुस्त करने में लगे रहे. कंप्रेशर मशीन के माध्यम से रेलवे ट्रैक को पैकिंग का कार्य किया गया. इधर स्टेशन में यात्री शेड का रंगरोगन अंतिम चरण में है.
साथ ही प्लेटफॉर्म के नीचले भाग की रंगाई-पुताई का कार्य चलता रहा. स्टेशन में इलेक्ट्रिफिकेशन का कार्य जोर-शोर से किया जा रहा है और ट्रेनों का परिचालन सुनिश्चित करने के लिए पैनल रूम से सिगनल को जोड़ने तथा पैनल रूम की संचार व्यवस्था दुरुस्त करने के लिए रेल अभियंता व तकनीकी कर्मी लगे रहे.

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