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प्रकृति के नैसर्गिक नजारों का प्रतिनिधत्वि करता है खड़गपुर का पर्यटक स्थल

प्रकृति के नैसर्गिक नजारों का प्रतिनिधित्व करता है खड़गपुर का पर्यटक स्थल फोटो संख्या : 5,6,7फोटो कैप्सन : भीमबांध, खड़गपुर झील एवं ऋषिकुंड. प्रतिनिधि, हवेली खड़गपुर खड़गपुर अनुमंडल में आधे दर्जन रमणीक जगह हैं जहां नववर्ष के अवसर पर लोग यहां पिकनिक मनाने पहुंचते हैं. खड़गपुर झील, भीमबांध, रामेश्वर कुंड, भौरा कुंड एवं हाहा पंचकुमारी, […]

प्रकृति के नैसर्गिक नजारों का प्रतिनिधित्व करता है खड़गपुर का पर्यटक स्थल फोटो संख्या : 5,6,7फोटो कैप्सन : भीमबांध, खड़गपुर झील एवं ऋषिकुंड. प्रतिनिधि, हवेली खड़गपुर खड़गपुर अनुमंडल में आधे दर्जन रमणीक जगह हैं जहां नववर्ष के अवसर पर लोग यहां पिकनिक मनाने पहुंचते हैं. खड़गपुर झील, भीमबांध, रामेश्वर कुंड, भौरा कुंड एवं हाहा पंचकुमारी, ऋषिकुंड सहित अनेक ऐसे पर्यटन स्थल हैं जहां की प्राकृतिक छटा को देख लोग अंगीभूत हो रहे हैं. दिसंबर से फरवरी माह तक नववर्ष के आनंद में यहां के दृश्य का नजारा लेते हैं और सपरिवार पहुंच कर वनभोज का आनंद लेते हैं. नववर्ष के आगमन में महज एक सप्ताह शेष है. लेकिन इससे पूर्व ही लोग खड़गपुर के खड़गपुर झील, भीमबांध, रामेश्वर कुंड, भौरा कुंड, हाहा पंचकुमारी, ऋषिकुंड जैसे प्राकृतिक स्थलों पर पहुंच कर खुशी का इजहार कर रहे हैं. प्रकृति की गोद में अवस्थित पर्यटक स्थल लोगों को अपनी ओर आकर्षित कर रहा है और यहां सपरिवार पहुंच कर प्राकृतिक छटा का आनंद लेते हैं और वनभोज आयोजित कर जश्न मनाते हैं. अनुमंडल मुख्यालय से खड़गपुर झील की दूरी 4 किलोमीटर, भीमबांध अभ्यारण्य की दूरी 30 किलोमीटर है. रामेश्वर कुंड एवं हाहा पंचकुमारी की दूरी झील तक पहुंचने में 4 किलोमीटर सफर के बाद पहाड़ी के रास्ते चौखट होते हुए रामेश्वर कुंड पहुंचा जाता है. खड़गपुर झील : प्राकृतिक छटाओं के बीच अवस्थित खड़गपुर झील देखने से लोगों की वांछे खिल उठती है और यहां सालों भर लोगों का आना-जाना लगा रहता है. खास तौर पर नवंबर से लेकर फरवरी माह तक लोगों की भीड़ उमड़ती है. चारों ओर पहाड़ी श्रंखलाओं से घिरा होने के कारण झील में नौका विहार भी पर्यटकों को काफी आकर्षित करता है. भीमबांध : खड़गपुर मुख्यालय से लगभग 30 किलोमीटर दूर जगलों एवं पहाड़ों से घिरा भीमबांध भी आने वाले सैलानियों को काफी रोमांचित करता है. गर्मजल कुंड के कारण भीमबांध काफी प्रसिद्ध भी है और खड़गपुर क्षेत्र का यह एक प्रमुख स्थल है. जहां सैलानी सपरिवार आकर वनभोज का आनंद लेते हैं. भौराकुंड : खड़गपुर झील से उत्तर-पश्चिम दिशा के रास्ते से पहाड़ी रास्ता सफर करने के बाद दो पहाड़ों से घिरा है भौरा कुंड. यहां गर्म जल का कुंड और गर्म जल की बहती नदियों का आनंद लेने बाहरी पर्यटक भी आते हैं. खासकर यहां 1 से 15 जनवरी तक बड़ी तादाद में लोग पिकनिक मनाने के लिए पहुंचते हैं. रामेश्वर कुंड : खड़गपुर का मनोरम स्थल रामेश्वर कुंड माना जाता है. लेकिन दुर्गम रास्ता होने क कारण लोग इससे आज भी अनभिज्ञ है और लोग यहां तक नहीं पहुंच पाते. यही कारण है कि इस कुंड में स्थानीय लोगों की ज्यादा भीड़ उमड़ती है. झील पथ के रास्ते सिंधुवारिनी डैम के समीप नाव द्वारा पानी के कछार पार करने के बाद पैदल यात्रा करना पड़ता है जो पहाड़ों के रास्ते चौखट गांव से गुजरते हुए रामेश्वर कुंड पहुंचते हैं. पिछले पांच वर्षों के दौरान यहां की फिजा में कुछ बाधा आने के कारण लोग यहां जाने से कतराते हैं. हाहा पंचकुमारी : हाहा पंचकुमारी का इतिहास खड़गपुर के इतिहास से जुड़ा है. जानकार बताते हैं कि महारानी ज्योतिर्मयी की पांच बेटियों पर जब यहां के शासक ने इस्लाम कबूल करने का दबाव डाला था. इससे आक्रोशित होकर उनकी पांच बेटियों ने इस कुंड में छलांग लगा कर जान दे दी. इसी स्थल के समीप बड़ा सा झरना पिकनिक मनाने वाले लोगों के बीच खास महत्व रखता है.

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