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वरिष्ठ व नि:शक्तों की ओपीडी बंद

सदर अस्पताल में वरिष्ठ नागरिकों व नि:शक्त रोगियों के लिए बड़े ही तामझाम से विशेष ओपीडी का शुभारंभ किया गया था, लेकिन यह सेवा महीनों से बंद है. इतना ही नहीं अब बुजुर्गों को जीओपीडी में ही इलाज के लिए घंटों लाइन में लगना पड़ता है. साथ ही अस्पताल में इसीजी व डायबिटीज जांच कक्ष […]

सदर अस्पताल में वरिष्ठ नागरिकों व नि:शक्त रोगियों के लिए बड़े ही तामझाम से विशेष ओपीडी का शुभारंभ किया गया था, लेकिन यह सेवा महीनों से बंद है. इतना ही नहीं अब बुजुर्गों को जीओपीडी में ही इलाज के लिए घंटों लाइन में लगना पड़ता है. साथ ही अस्पताल में इसीजी व डायबिटीज जांच कक्ष भी बंद पड़ा है. महीनों से इसमें भी ताले लटके हैं.

मुंगेर : सदर अस्पताल में वरिष्ठ नागरिकों व नि:शक्त मरीजों के लिए अलग से आउट डोर की व्यवस्था की गयी है. प्रतिदिन दोपहर 2:30 बजे से 4:30 बजे तक इस वर्ग के रोगियों का इलाज होना है. किंतु महीनों से वरिष्ठ एवं नि:शक्त नागरिकों के लिए विशिष्ट ओपीडी में ताले लगे हैं और इसका लाभ जरूरतमंद लोगों को नहीं मिल रहा. सुजावलपुर निवासी वृद्ध रोगी
मो. जावेद ने बताया कि अस्पताल में उन्हें वरिष्ठ नागरिक के तौर पर अलग से कोई सुविधा नहीं मिल रही. आम मरीजों की तरह उन्हें भी लाइन में खड़ा होकर ही इलाज करवाना पड़ रहा है. लाल दरवाजा निवासी मरीज कन्हैया कुमार यादव ने बताया कि वे पैर से नि:शक्त है. बावजूद उनके लिए अलग से आउट डोर की कोई व्यवस्था नहीं है. वैशाखी के सहारे उन्हें भी आम मरीजों के साथ लाइन में घंटों खड़ा रहना पड़ा.
जीओपीडी में ही देखे जाते हैं डायबिटीज के रोगी
अस्पताल प्रबंधन द्वारा डायबिटीज के मरीजों के इलाज के लिए अलग से एक डायबिटीज क्लिनिक की व्यवस्था की गयी है. किंतु इस क्लिनिक का उपयोग सिर्फ विश्व मधुमेह दिवस पर ही किया जाता है. डायबिटीज के मरीजों को भी आम मरीजों के साथ लाइन में खड़े हो कर जीओपीडी में ही इलाज करवाना पड़ रहा. गांधी चौक निवासी डायबिटीज मरीज श्याम सुंदर कुमार ने बताया कि उन्हें तो यह पता भी नहीं है कि अस्पताल में अलग से डायबिटीज क्लिनिक की भी व्यवस्था है. वे जब भी आते हैं तो उन्हें जीओपीडी में ही इलाज करवाना पड़ता है.
ईसीजी कक्ष में लगा रहता है ताला . सदर अस्पताल के प्रबंधक कार्यालय भवन में ही ईसीजी कक्ष को स्थापित किया गया है. जिसमें हृदय विकार, रक्तचाप, उल्टी, दम फूलने व पसीना आने पर चिकित्सकों के सलाह पर ईसीजी किये जाने की व्यवस्था है. किंतु विभागीय उदासीनता के कारण वर्तमान समय में मरीजों को इसका लाभ नहीं के बराबर ही मिल पाता है. इस कक्ष में 24 घंटे ताला ही लटका हुआ रहता है.

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