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हरिवंश राय वच्चन की जयंती पर विचार गोष्ठी

हरिवंश राय वच्चन की जयंती पर विचार गोष्ठी प्रतिनिधि, मुंगेर भारतीय साहित्य परिषद कार्यालय सुभाषनगर में शुक्रवार को अंगरेजी के विद्वान एवं हिंदी साहित्य में ” हालावाद ” के प्रवर्तक हरिवंश राय बच्चन की जयंती पर विचार गोष्ठी का आयोजन किया गया. परिषद के संरक्षक साहित्यकार मधुसूदन आत्मीय ने उनके जीवन दर्शन एवं अध्यात्म की […]

हरिवंश राय वच्चन की जयंती पर विचार गोष्ठी प्रतिनिधि, मुंगेर भारतीय साहित्य परिषद कार्यालय सुभाषनगर में शुक्रवार को अंगरेजी के विद्वान एवं हिंदी साहित्य में ” हालावाद ” के प्रवर्तक हरिवंश राय बच्चन की जयंती पर विचार गोष्ठी का आयोजन किया गया. परिषद के संरक्षक साहित्यकार मधुसूदन आत्मीय ने उनके जीवन दर्शन एवं अध्यात्म की अभिव्यक्ति बताया. उन्होंने नवनीत में अमिताभ बच्चन के साक्षात्कार को प्रस्तुत किया. ” मुझे तो लोग मृत्यु के 10 साल बाद भूल जायेंगे, परंतु मधुशाला के कारण साहित्य व्योम में हजारों साल चमकते रहेंगे. विमल कुमार मिश्र ने बच्चन जी को भारत का दूसरा साहित्यकार बताया और कहा कि उन्होंने कैंब्रीज विश्वविद्यालय से पीएचडी की उपाधि प्राप्त की. उनकी कृतियों की चर्चा करते हुए कहा कि कभी नहीं सुन पड़ता हा छू मेरी हाला…. मधुशाला में उन्होंने सामाजिक संकीर्पता पर प्रकाश प्रहार किया. शिक्षिका सह हिंदी की शोध छात्रा आकृति राय ने ” जो छिपाना जानता छल रहित व्यवहार मेरा… ” में मानवीय दुर्बलता को स्वीकार किया है. शिक्षक विशषचंद ने उनके जीवन संघर्ष को अमिताभ बच्चन का पाथेय बताया. मोनी परीन ने पत्नी तेजी बच्चन की भूमिका को उनके तथा पुत्र अमिताभ बच्चन के शिखर स्टार डम हासिल करने में अहम बतायी. गोष्ठी में पुष्पा, अपूर्व, नूतन, अलख निरंजन, काजल, शमा परवीन व कस्तूरी ने भी अपने-अपने विचार प्रकट किये.

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