जमालपुर : रेल कारखाना जमालपुर के सभागार में शनिवार को राजभाषा हिंदी पर सेमिनार का आयोजन किया गया. इसमें हिंदी के प्रचार प्रसार के बारे में विस्तृत चर्चा की गई. अध्यक्षता मुख्य कारखाना प्रबंधक अनिमेष कुमार सिन्हा ने की.
मुख्य अतिथि पूर्व रेलवे फेयरली के राजभाषा उप निदेशक वरूण कुमार तथा विशिष्ट अतिथि हिंदी के जाने-माने साहित्यकार व पत्रकार किशन कालजयी थे.उन्होंने कहा कि आजादी के बाद हिंदी को राजभाषा का दर्जा मिला तथा इसमें देश के दक्षिण एवं पूर्व क्षेत्र के लोगों ने अहम भूमिका निभायी थी. उसके बाद से हिंदी को अन्य भाषाओं के साथ समन्वय स्थापित करने में इससे जुड़े सरकारी तंत्र पूरी तरह से विफल रहा है.
उन्होंने कहा कि कंप्यूटर टाइपिंग के बढ़ते चलन से हिंदी की निजता को खतरा है. राजभाषा के प्रचार प्रसार से जुड़े सरकारी तंत्र को चाहिए कि वे ऐसी व्यवस्था करे कि सीखने वालों को हिंदी बोझ नहीं लगे. आधुनिक उपकरणों की दौड़ में हिंदी भाषा संकट व चुनौती काल से गुजर रहा है. मुख्य अतिथि ने कहा कि रेलवे ने हिंदी के प्रचार प्रसार के लिये भारतीय रेल को विभिन्न भागों में बांटा है.
जमालपुर रेल कारखाना के हिंदी भाषी क्षेत्र में स्थित रहने के कारण इसके प्रचार प्रसार में कारखाने की भूमिका बढ़ जाती है. मुख्य कारखाना प्रबंधक ने कहा कि आचार संहिता लागू रहने के कारण सेमिनार का आयोजन विलंब से किया गया.
उन्होंने कहा कि वर्ष 1963 में राजभाषा अधिनियम पारित किया गया. इसके बाद आठवीं अनुसूची बनाया गया. परंतु हिंदी का यह दुर्भाग्य ही है कि जिस भाषा का आठवीं अनुसूची में नाम नहीं, उसी अंगरेजी भाषा का सर्वाधिक उपयोग हो रहा है.
उन्होंने कहा कि संविधान की धारा में हिंदी के हित की चर्चा रहने के बाद भी अब तक इस भाषा को उचित स्थान नहीं मिल पाया है. संचालन उप मुख्य राजभाषा अधिकारी एससी दास ने किया. मौके पर रेलवे के लगभग सभी वरीय अधिकारी उपस्थित थे.