मुंगेर : समकालीन साहित्य मंच की ओर से स्थानीय विकास भवन में काव्य गोष्ठी का आयोजन किया गया. उसकी अध्यक्षता डॉ अनिरुद्ध सिन्हा ने की. जबकि संचालन युवा कवि शहंशाह आलम ने किया. विषय प्रवेश कराते हुए कवि शहंशाह आलम ने कहा कि कई महीनों से सनातन एवं इस्लाम आधारित त्योहारों की धूम रही.
जिनकी व्यस्तता में काव्य गोष्ठी एवं समीक्षा गोष्ठी प्रभावित हुई. गुजरे त्योहारों की सफलता ने साहित्यकारों के भीतर भी ऊर्जा का संचार किया. उसी का परिणाम है कि छठ पर्व के समापन के बाद ही इस तरह की गोष्ठी रखी गयी.
युवा गजलकार विकास को कविता पाठ के लिए बुलाया गया. उसने कहा कि ‘ हौसला सुकून का दहल रहा, विश्व का मिजाज भी बदल रहा ‘. उसके बाद शहंशाह आलम ने ‘ अपनी आवाज शीर्षक कविता का पाठ करते हुए कहा ‘ मेरी ही आवाज है उस लोहे में, जो पिछल कर लाल हो चुका है ‘. जिसे श्रोताओं ने खूब सराहा. विनय कुमार ने कहा ‘ कहां फूलों को भी इसकी खबर है,
हवाओं में नमी है और तुम हो ‘. चर्चित शायर अशोक आलोक ने अपनी गजल को सुनाते हुए कुछ इस अंदाज में कहा ‘ दर्द आंखों से पिघलना चाहता है, आंसुओं से जी बहलना चाहता है ‘.
अनिरुद्ध सिन्हा ने अपनी कई गलों का तरन्नुम में पाठ किया. उन्होंने कहा ‘ नजर में जब तेरी बरसात होगी, हमारी जिंदगी की बात होगी ‘. यशस्वी, आकृति सहित अन्य ने भी अपनी-अपनी कविता पाठ किया.