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मौत देनी थी अगर तो जिंदगी क्यों दी…

प्रतिनिधि, मुंगेर सांस्कृतिक क्रांति मंच गंगोत्री के तत्वावधान में बुधवार को बंगाली टोला बेलन बाजार में कवि गोष्ठी का आयोजन किया गया. उसकी अध्यक्षता संस्था के संस्थापक अध्यक्ष डॉ शिवचंद्र प्रताप ने की. उन्होंने इस दुनिया में दुख ही दुख क्यों है, इस विषय पर भावुक वाक्य पेश करते हुए कहा कि ” अपनी ही […]

प्रतिनिधि, मुंगेर सांस्कृतिक क्रांति मंच गंगोत्री के तत्वावधान में बुधवार को बंगाली टोला बेलन बाजार में कवि गोष्ठी का आयोजन किया गया. उसकी अध्यक्षता संस्था के संस्थापक अध्यक्ष डॉ शिवचंद्र प्रताप ने की. उन्होंने इस दुनिया में दुख ही दुख क्यों है, इस विषय पर भावुक वाक्य पेश करते हुए कहा कि ” अपनी ही औलाद को बेगानगी क्यों दी, मौत देनी थी अगर तो जिंदगी क्यों दी ”. उन्होंने आगे कहा कि ” चाहता तो मौत को ही मौत दे देता, पर हवाले मौत के क्यों जिंदगी कर दी ”. गोष्ठी को आगे बढ़ाते हुए कवि ज्योति कुमार सिन्हा ने ” सूरज जैसी मां है मेरी, मैं तो चांद सितारा हूं ” एवं कैलाश राय रमन ने रचना प्रस्तुत करते हुए कहा ” काश, रोशनी आकर पूछती, अंधेरे का घर किधर है ”. वहीं शीतांशु शेखर ने कहा कि ” बेरुखा सा दिन, झड़ते हुए पत्ते, निठाल नि:षद्ध दूर तक कोई नहीं ” तो कवि गुरुदयाल त्रिविक्रम ने रूबाई पेश की. जिसके बोल थे. ” सुख की नहीं कामना होती, प्यारे हैं दिल के छाले, पीड़ा में आनंद मनाते, रहते सारे मतवाले, अपना दुख खुद ही पीते हैं, सुरा समझ कर मस्ताने ”. इसी तरह कवयित्री निधि शेखर ने भी अपनी कविता का पाठ किया. गोष्ठी में उपस्थित हास्य व्यंग्य के कवि डॉ केके वाजपेयी ने देश की राजनीतिक हालात पर व्यंग्य वाण प्रस्तुत किया. अंत में स्वर साधिका डॉ पूनम रानी ने तरन्नुम में गजल प्रस्तुत की. मौके पर प्रो. सुनील कुमार सिन्हा, अधिवक्ता राजीव कुमार सिंह, त्रिभुवन, जूली कुमारी, अमृता प्रिया, सोनी कुमारी, रश्मिवाला सिन्हा उपस्थित थे.

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