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रामकथा के सातवें दिन सीता हरण का बखान

प्रतिनिधि , मुंगेरपुरानीगंज दुर्गा मंदिर प्रांगण में श्री राम कथा ज्ञान यज्ञ के सातवें दिन मंगलवार को संत कवि विजेता मुद्गलपुरी ने सीता हरण प्रसंग सुनाया. उन्होंने कहा कि मायावी मायापति को ठगने आया. उसे पता नहीं है कि जिसका हम हरण करने आये हैं वह खुद महामाया है. मायावी मारीच भाग रहा है और […]

प्रतिनिधि , मुंगेरपुरानीगंज दुर्गा मंदिर प्रांगण में श्री राम कथा ज्ञान यज्ञ के सातवें दिन मंगलवार को संत कवि विजेता मुद्गलपुरी ने सीता हरण प्रसंग सुनाया. उन्होंने कहा कि मायावी मायापति को ठगने आया. उसे पता नहीं है कि जिसका हम हरण करने आये हैं वह खुद महामाया है. मायावी मारीच भाग रहा है और मायापति राम उनका पीछा कर रहे है. उधर मारीच मारा जायेगा और इधर सीता का हरण. उन्होंने कहा कि सीता हरण के समय तीन सामर्थवानों ने देखा. जिसमें जटायु, सुग्रीव और संपाति का पुत्र सुपार्श्व है. जटायु वीर सैनिक की तरह मां सीता की सुरक्षा में अपनी जान गवा दिया. लेकिन सुग्रीव राजनेताओं की तरह विचार करता रहा. सत्ता प्राप्त करने के लिए वह बैठक करता है और सीता के अपहरणकर्ता को भागते देखकर भी उसे बचाने की जरूरत से अधिक जरूरी बैठक में भाग लेना था. इधर संपाति पुत्र सुपार्श्व को काई मतलब नहीं है कि कहां क्या हो रहा है, कौन क्या कर रहा है. वह भोजन लेकर लौट रहा है. उसे डर है कि अगर रावण का प्रतिकार करते हैं तो चंगुल से भोजन निकल जायेगा. दूसरे के लिए अपना नुकसान कौन करता है. उन्होंने कहा कि हमारे समाज में इस तीन सोच के लोग आज भी है. एक जो दायित्व निर्वहन के लिए जटायु की तरह अपनी जान दे देते है. दूसरा वह जो राजनीतिक लाभ क्या होगा सुग्रीव की तरह बैठक कर विचारते है. तीसरा सुपार्श्व की तरह अपना नुकसान नहीं देख सकता. आज समाज में आवश्यकता है जटायु की तरह अपनी जान की बाजी लगाकर भी दायित्व निर्वहन करने वालों की. मौके पर शंकर मेहता एवं साथियों ने भजन प्रस्तुत किया.

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