बाढ़ की चपेट में दो लाख की आबादी
मुंगेर: गंगा के उफान ने बाढ़ की स्थिति को गंभीर बनाकर रख दिया है. जिले के लगभग दो लाख की आबादी बाढ़ की चपेट में है और पीडि़तों का जनजीवन पूरी तरह अस्त-व्यस्त हो चुका है. न तो रहने की व्यवस्था है और न ही खाने की. प्रशासनिक स्तर पर जो राहत उपलब्ध कराया जा रहा वह पीडि़तों के लिए पूरी तरह कारगर साबित नहीं हो रहा. पिछले तीन दशक के बाद मुंगेर के लोगों ने इस बार बाढ़ की वह विकरालता देखी जो पूरे जीवन को झकझोर कर रख दिया है. चारों ओर तबाही ही तबाही है. दियारा क्षेत्र के दर्जनों गांव के लोग जहां घर-द्वार छोड़ कर राहत शिविर व एनएच पर शरण लिये हुए हैं तो गंगा के इस पार भी पानी इस प्रकार फैला है जिससे सैकड़ों गांव पानी में डूब चुका है. हाल यह है कि मुंगेर शहर के लाल दरवाजा, दलहट्टा, मोखबिरा, चांइटोला, शिवनगर के लोग भी बाढ़ से प्रभावित हो गये हैं. सदर प्रखंड के अतिरिक्त बरियारपुर प्रखंड का कल्याणटोला, कल्याणपुर, नीरपुर, घोरघट, बंगालीटोला व खड़गपुर क्षेत्र का एक बड़ा भू-भाग बाढ़ की चपेट में है. बरियारपुर मुख्यालय का थाना, अस्पताल, ब्लॉक पानी से भर गया है. चारों ओर पानी ही पानी नजर आ रहा. जगह-जगह सड़क जाम कर लोग राहत की मांग कर रहे. किंतु प्रशासनिक स्तर पर जो राहत वितरण का कार्य चल रहा उसमें कई प्रकार की परेशानी आ रही है. जिला प्रशासन अब दियारा क्षेत्र के घर छोड़ कर सड़कों पर शरण लिये लोगों को राहत सामग्री उपलब्ध कराने पर रोक लगा दी है. कारण बड़ी संख्या में पीडि़त परिवार राहत सामग्री लेकर बेच रहे हैं. क्योंकि गेहूं-चावल का बोरा रखने के लिए उनके पास जगह नहीं है.