फोटो संख्या : 21फोटो कैप्सन : कथा सुनाते विजेता मुदगलपुरी प्रतिनिधि , मुंगेरपुरानीगंज दुर्गा मंदिर में चल रहे श्रीराम कथा ज्ञान यज्ञ के छठे दिन सोमवार को कथावाचक अंगिका रामायण के रचयिता विजेता मुद्गलपुरी ने श्रीराम और भरत मिलाप की कथा सुनायी. जिसे सुन कर उपस्थित श्रद्धालु भाव विभोर हो गये. उन्होंने कहा कि भारद्वाज ऋषि आश्रम से चल कर भरत चित्रकूट पहुंचते है. जहां श्रीराम और भरत का मिलाप होता है. जनक भी वहां उपस्थित होते हैं और सीता को आशीर्वाद देते कि पुत्री ने दोनों कुल को पवित्र कर दिया. इधर राम जैसे ही भरत से मिलते है कि उन्हें उठाकर हृदय से लगा लेते हैं. कथावाचक ने कहा कि सुमेरू का उपमा शेर नहीं दिया जा सकता है. अत: भरत के समान सिर्फ भरत है. भरत राम के परम स्नेही है. उन्होंने कहा कि चित्रकूट से चलने के क्रम में राम अत्रीमुनि के आश्रम पहुंचते है. अत्रीमुनी की पत्नी अनुसूइया सीता को सम्मान-आभूषण देने के बाद नारी धर्म का उपदेश देती है. वे कहती है कि पतिव्रता चार प्रकार के हैं. जिसमें उत्तम हो जो पराये पुरुष का चिंतन भी नहीं करती है. मध्यम है जो दूसरे पुरुष को पिता-भाई और पुत्र के भाव से देखती है. अधम है वह जो पराये पुरुष का चिंतन करती है. लेकिन स्पर्श नहीं करती है और अधमाधम हैं वह जो नारी धर्म की मर्यादा और लोक लाज सब का परित्याग कर देती है. उन्होंने कहा कि यह नियम सिर्फ नारियों के लिए ही नहीं है, पुरुषों के लिए भी है. इसे उलट कर समझना चाहिए. उन्होंने कहा कि आज समाज में जिस तरह की विकृतियां व्याप्त हो गयी है. उसे दूर करने के लिए सिर्फ राम के नाम लेने नहीं, श्रीराम कथा ज्ञान यज्ञ के माध्यम से राम कथा की व्यंजना को आत्मसात करना होगा.
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श्रीराम और भरत मिलाप की कथा सुन भावविभोर हुए श्रद्धालु
फोटो संख्या : 21फोटो कैप्सन : कथा सुनाते विजेता मुदगलपुरी प्रतिनिधि , मुंगेरपुरानीगंज दुर्गा मंदिर में चल रहे श्रीराम कथा ज्ञान यज्ञ के छठे दिन सोमवार को कथावाचक अंगिका रामायण के रचयिता विजेता मुद्गलपुरी ने श्रीराम और भरत मिलाप की कथा सुनायी. जिसे सुन कर उपस्थित श्रद्धालु भाव विभोर हो गये. उन्होंने कहा कि भारद्वाज […]
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