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स्वास्थ्य केंद्र बना रेफर अस्पताल

संग्रामपुर : प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र संग्रामपुर को उत्क्रमित कर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र का दर्जा मिल गया है. पहले यह 6 बेड का अस्पताल हुआ करता था, अब यह 30 बेड का कर दिया गया है. परंतु जिस अनुपात में दर्जा बढ़ाया गया, उस अनुपात में सुविधाएं बढ़ने के बजाय कम हो गयीं. प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र […]

संग्रामपुर : प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र संग्रामपुर को उत्क्रमित कर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र का दर्जा मिल गया है. पहले यह 6 बेड का अस्पताल हुआ करता था, अब यह 30 बेड का कर दिया गया है. परंतु जिस अनुपात में दर्जा बढ़ाया गया, उस अनुपात में सुविधाएं बढ़ने के बजाय कम हो गयीं.
प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में जुलाई 2012 तक रोगियों के लिए नि:शुल्क एक्सरे सेवा मिलती थी. जुलाई 2012 के बाद से यह सुविधा बंद कर दी गयी. पैथोलॉजिकल जांच सेवा वर्ष 2014 से बंद है. रोगियों को जांच के लिए निजी जांच केंद्र का सहारा लेना पड़ता है, जहां रोगियों के जांच के बदले मनमानी राशि वसूली जाती है.
जानकारी के अनुसार, प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र संग्रामपुर में पहले 6-7 चिकित्सक थे. वर्तमान में मात्र 3 चिकित्सक उपलब्ध हैं. अधिकांश रोगियों की नजर में यह अस्पताल रेफरल अस्पताल तो नहीं बन पाया. परंतु स्थानीय जनता इसे रेफर अस्पताल के नाम से जरूर जानने लगी. बढ़ौनियां गांव के भाजपा नेता वीर कुंवर सिंह ने बताया कि इस अस्पताल में खांसी, बुखार व घाव के अलावा कोई अन्य इलाज नहीं होता है. थोड़ी-सी गंभीर स्थिति में रोगी को देखते ही चिकित्सक इलाज करने के पहले रेफर का पत्र तैयार कर देते हैं.
रोगियों को नहीं मिलती दवा : प्रखंड अस्पताल का हाल यह है कि यहां रोगियों को दवा तक मुहैया नहीं करायी जाती. मजबूरन रोगियों व उनके परिजनों को बाहर से दवा खरीदनी पड़ता है. बभनगामा निवासी विष्णुकांत झा एवं बलिया गांव के रामदेव मंडल ने बताया कि रात में वे एक ग्रामीण को लेकर संग्रामपुर अस्पताल आये. रोगियों हार्ट अटैक आया था.
स्वास्थ्य केंद्र पर प्राथमिक उपचार कर बेहतर इलाज के लिए भागलपुर रेफर कर दिया. उन्होंने जो दवाइयां लिखीं, उसे बाजार से लाना था. रात्रि 09:40 बजे संग्रामपुर बाजार में एक भी दुकान नहीं खुली हुई थी. काफी आरजू मिन्नत करने के घंटों बाद उस दुकानदार ने दवा दी. खुश किस्मत थी कि उसके रोगी की जान बच गयी. अन्यथा चिकित्सक के रहते दवा के अभाव में रोगी की जान चली जाती.

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