फोटो संख्या : 8,9फोटो कैप्शन : प्रतिनिधि, संग्रामपुर धर्म और अधर्म आदिकाल से चली आ रही हैं. जब-जब अधर्म बढ़ता है तब-तब ईश्वर इस धराधाम पर अवतार लेकर उसका नाश करते रहे हैं. धर्म मर्यादा पुरुषोत्तम राम के समय भी था और कर्म कृष्ण के समय भी था. वह धर्म इस कलियुग में भी है जिसे बदलने का प्रयास धार्मिक भ्रष्टाचार के कारण किया जा रहा है. ये बातें प्रखंड के झिकुली गांव में आयोजित भागवत कथा सप्ताह के दूसरे दिन संत स्वामी शांतम् मोक्ष गिरी ने कही. उन्होंने कहा कि जब शिक्षक ही बिगड़ जायें तो स्वच्छ समाज की कल्पना ही मिथ्या है. आज संत, नेता और नौकरशाह के गठजोड़ का दुष्परिणाम आम जनता भुगत रही है. इस तरफ किसी का ध्यान नहीं जा रहा है. परंतु हमारा चौथा संतभ आज भी सजग है. वह बार-बार इस बात को लोगों के समक्ष लाकर जगता रहा है. उन्होंने कहा कि राक्षस कोई रूप नहीं है. वह तो अधर्म का एक मूर्त रुप दिखाया गया है. लंका में जब हनुमान ने प्रवेश किया था तो वहां अनेकों मठ और मंदिर थे. परंतु उसके दरवाजे पर लूटेरे और दंभी विराजमान थे. वैसी ही स्थिति आज हो गयी है. मंदिर में संत के बजाय लुटेरे बैठे अपना साम्राज्य जमा चुके हैं. धर्म के नाम पर विष बांटा जा रहा है. सरकार भी इनका ही साथ दे रही है. देश में अच्छे स्कूल, अस्पताल के बजाय गली-गली शराब की दुकानें खोली जा रही है. सरकार कहती है कि शराब से सबसे अधिक राजस्व मिलता है. तो फिर अफीम, चरस भी बेच कर और अधिक राजस्व प्राप्त करना ही क्या शेष बचा रह गया है. उन्होंने माताओं से कहा कि उन्हें सजग होना है. धर्म के नाम धोखा में पड़ने के बजाय बच्चों में परोपकार का भाव जगाएं.
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जब-जब अधर्म बढ़ता है तब-तब धरती पर होता है ईश्वर का अवतरण
फोटो संख्या : 8,9फोटो कैप्शन : प्रतिनिधि, संग्रामपुर धर्म और अधर्म आदिकाल से चली आ रही हैं. जब-जब अधर्म बढ़ता है तब-तब ईश्वर इस धराधाम पर अवतार लेकर उसका नाश करते रहे हैं. धर्म मर्यादा पुरुषोत्तम राम के समय भी था और कर्म कृष्ण के समय भी था. वह धर्म इस कलियुग में भी है […]
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