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डॉ निशि को सेवा से हटाएं व डॉ असीम पर प्रपत्र क करें गठित

मुंगेर : समाहरणालय सभाकक्ष में बुधवार को जिला स्वास्थ्य समिति की मासिक समीक्षा बैठक हुई. इसकी अध्यक्षता जिलाधिकारी राजेश मीणा ने की. बैठक में सिविल सर्जन डॉ पुरुषोत्तम कुमार, अपर मुख्य चिकित्सा पदाधिकारी डॉ योगेंद्र प्रसाद रजक, डीएस डॉ सुधीर कुमार, डीआइओ डॉ अताउर रहमान, मलेरिया पदाधिकारी डॉ अरविंद कुमार, जिला यक्ष्मा पदाधिकारी डॉ ध्रुव […]

मुंगेर : समाहरणालय सभाकक्ष में बुधवार को जिला स्वास्थ्य समिति की मासिक समीक्षा बैठक हुई. इसकी अध्यक्षता जिलाधिकारी राजेश मीणा ने की. बैठक में सिविल सर्जन डॉ पुरुषोत्तम कुमार, अपर मुख्य चिकित्सा पदाधिकारी डॉ योगेंद्र प्रसाद रजक, डीएस डॉ सुधीर कुमार, डीआइओ डॉ अताउर रहमान, मलेरिया पदाधिकारी डॉ अरविंद कुमार, जिला यक्ष्मा पदाधिकारी डॉ ध्रुव कुमार, डीपीएम मो नसीम सहित विभिन्न पीएचसी के प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी मुख्य रूप से उपस्थित थे.

सीएस को कार्रवाई का दिया निर्देश: समीक्षा के दौरान बताया गया कि डॉ निशि व डॉ असीम का कार्य पिछले वित्तीय वर्ष में काफी निराशाजनक रहा है. इस पर जिलाधिकारी ने सिविल सर्जन से कहा कि अविलंब डॉ निशि को नौकरी से हटाया जाये.
डॉ असीम की लापरवाही की रिपोर्ट पूर्व में भी मिल चुकी है, उनके विरुद्ध प्रपत्र क गठित करें. उन्होंने कहा कि डॉक्टर भगवान का रूप होते हैं, पर जब वे अपने दायित्व का निर्वाह नहीं कर सकें तो फिर वैसे डॉक्टर की कोई जगह नहीं होनी चाहिए.
जेविएस के बैगलॉग की संख्या देख भड़के डीएम
बताया गया कि जिले के विभिन्न स्वास्थ्य केंद्रों को मिला कर मार्च महीने तक जननी बाल सुरक्षा योजना के तहत कुल 528 मामले लंबित हैं. इसमें सबसे अधिक सदर अस्पताल में 153, बरियारपुर में 73, धरहरा में 63 तथा संग्रामपुर में 53 मामले लंबित हैं.
जबकि इस योजना के तहत सेम-डे में लाभार्थी के खाते में राशि भेजने का प्रावधान है. जिलाधिकारी ने निर्देश दिया कि जननी बाल सुरक्षा योजना के तहत जहां भी बैकलॉग की स्थिति है, उसे हर हाल में अविलंब शून्य करें. अगले महीने होने वाली बैठक में किसी का बैगलॉग नहीं दिखना चाहिए.
निराशाजनक रही सिजेरियन प्रसव की स्थिति
वित्तीय वर्ष 2018-19 में मुंगेर जिला में सिजेरियन प्रसव की स्थिति काफी निराशाजनक रही. समीक्षा के दौरान बताया गया कि जिले में सदर अस्पताल सहित अन्य अनुमंडलीय अस्पतालों व पीएचसी पर कुल 20114 प्रसव कराये गये. इसमें से 19899 संस्थागत प्रसव कराया गया.
मात्र 215 प्रसव सिजेरियन विधि से कराया गया. आंकड़ों के अनुसार पिछले वित्तीय वर्ष में सिर्फ 1.06 प्रतिशत ही सिजेरियन प्रसव कराया जा सका. जबकि चिकित्सकीय मानकों के अनुसार कुल प्रसव का 10 प्रतिशत प्रसव सिजेरियन विधि से होना है. जिलाधिकारी ने कहा कि आंकड़े काफी निराशाजनक है, इसमें सुधार लाया जाये.
सदर अस्पताल के प्रसव केंद्र में बढ़ाएं बेडों की संख्या
समीक्षा के उपरांत जिलाधिकारी ने कहा कि एनआरसी में काफी कम संख्या में कुपोषित बच्चे पहुंच रहे हैं, जिसे बढ़ाया जाये. इसके साथ ही बच्चों के स्वास्थ्य में परिवर्तन होने के बाद ही उसे डिस्चार्ज किया जाय. आशा की मदद से टीबी के संभावित मरीजों की पहचान कर उसका समुचित इलाज किया जाय.
उन्होंने कहा कि सदर अस्पताल के प्रसव केंद्र में बेडों की संख्या बढ़ायी जाये, ताकि गर्भवती महिलाओं को परेशानियों का सामना न करना पड़े. उन्होंने स्पष्ट निर्देश देते हुए कहा कि अगले महीने की बैठक में किसी भी प्रकार की खामी को नजरअंदाज नहीं किया जायेगा. जो भी खामी मिली है, उसे समय रहते दूर कर लिया जाय.

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