बिहार योग विद्यालय के चार दिवसीय स्थापना दिवस समारोह का हुआ समापन
मुंगेर : विश्व योग के परमाचार्य परमहंस स्वामी निरंजनानंद सरस्वती ने कहा कि योग का आधार जीवन में शुद्धता और पवित्रता है. इस दिशा में लगातार कार्य किये जा रहे हैं.
साथ ही योग के दूसरे चरण का लक्ष्य भी यही निर्धारित किया गया है. वे रविवार को गंगा दर्शन में आयोजित समारोह को संबोधित कर रहे थे. उन्होंने कहा कि उत्सव में आनंद की अनुभूति हो रही है. 11 साल पहले वे संस्था के कार्यों से मुक्त हो चुके हैं.
गुरु का आदेश था कि कार्य से मुक्त हो जाना, लेकिन योग को छोड़ना नहीं. योग के लिए काम करते रहना है. दरअसल में योग एक संस्कृति है, संस्कृति का तात्पर्य है सम्यक्ता और जीवन की रचनात्मकता की अभिव्यक्ति. योग तथा संन्यास संस्कृति के अंग हैं, सुख, शांति और सहयोग की स्थापना दोनों के लक्ष्य है. उन्होंने कहा कि मुंगेर का बिहार योग विद्यालय परमहंस सत्यानंद सरस्वती के समर्पण का प्रतीक है. उन्होंने कहा कि चित्त, भाव और मन मनुष्य के अधीन में नहीं है. तरह-तरह के विकारों से ग्रसित होते हैं.
कहते जरूर हैं, मानवता के मन मंदिर में ज्ञान के दीप जलाना. ज्ञान के दीप तभी जलेंगे, जब हम साकारात्मक और रचनात्मक कार्यों से युक्त होंगे. यदि ऐसा करते हैं तो निश्चित रूप से ज्ञान के दीप जलेंगे. योग विद्या और विज्ञान है. कठोर अनुशासन और संयम आश्रम की जवावदेही है. चार दिनों के स्थपना दिवस समारोह के दौरान दक्षिण भारत के ललिता महिला समागम की योगिनियों द्वारा श्रीयंत्र की आराधना की गयी. वसंत पंचमी के दिन गुरु पूजा, हवन, स्रोत पाठ और भजन कीर्तन का पाठ किया गया.
संत समाज के लिए करते हैं काम : संविदानंद
वहीं, कैलाश धाम आश्रम नासिक के प्रमुख और आह्वानी अखाड़ा के महामंडलेश्वर स्वामी संविदानंद सरस्वती ने कहा कि संत हमेशा समाज के हित में काम करते हैं. इनका दायित्व समाज को सही राह दिखाना है. उन्होंने कहा कि वर्ष 1850 से लेकर वर्ष 1960 तक की अवधि काफी महत्वपूर्ण रही है.
इस दौरान स्वामी विवेकानंद, महर्षि अरविंद, स्वामी शिवानंद, स्वामी सत्यानंद जैसे तपस्वी हुए. इसी अवधि में स्वामी निरंजनानंद का भी जन्म हुआ. उन्होंने कहा कि संत ईश्वर की पंसद है, क्योंकि वे हमेशा दूसरों के लिए काम करते हैं. वे अनंत की ओर लेकर जाते हैं. बिहार योग विद्यालय के स्थापना दिवस वर्ष की चर्चा करते हुए कहा कि इसकी स्थपना दिवस वर्ष 1963 है. इसका योग पूर्णांक है और परमात्मा की आराधना भी.