सुरक्षा में लगी सेंध. जेल में मोबाइल पर नहीं लग सकी रोक
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जेल से होती है हत्या की साजिश फिर भी नहीं चेत रहा प्रशासन
सुरक्षा में लगी सेंध. जेल में मोबाइल पर नहीं लग सकी रोक मामले में जेलर को भी हो चुकी है जेल नहीं रुका जेल में मोबाइल पहुंचने का खेल मुंगेर : मुंगेर मंडल कारा प्रशासन को मोबाइल से मुक्ति नहीं मिल रही है. जबकि इस जेल के एक जेलर को जेल तक जाना पड़ा था. […]
मामले में जेलर को भी हो चुकी है जेल
नहीं रुका जेल में मोबाइल पहुंचने का खेल
मुंगेर : मुंगेर मंडल कारा प्रशासन को मोबाइल से मुक्ति नहीं मिल रही है. जबकि इस जेल के एक जेलर को जेल तक जाना पड़ा था. बावजूद जेल में मोबाइल पहुंचने का खेल नहीं रुका. जब भी जेल में छापेमारी होती है तब मोबाइल, गांजा व अन्य आपत्तिजनक समान बरामद होते हैं. सोमवार को भी जेल में छापेमारी की गयी तो जेल में बंद कुख्यात अपराधी सोनू साह के पास से दो मोबाइल बरामद किया गया. जो जेल की सुरक्षा में सेंधमारी को दर्शाता है.
मुंगेर जेल की सुरक्षा व्यवस्था पूरी तरह से बदहाल है. जिसके कारण आसानी से जेल में बंद कुख्यात अपराधियों के पास मोबाइल पहुंच रहा है. इसी मोबाइल से अपराधी अपना आपराधिक गतिविधियों को बदस्तूर जारी रखे हुए हैं. मोबाइल से रंगदारी मांगने का लगातार पुलिस द्वारा उद्भेदन किया जाता है. यहां तक कि जेल में बंद एक कुख्यात अपराधी ने मोबाइल से एक थानेदार को भी धमकी दी थी. जेल बंद अपराधी हत्या जैसी वारदात को अंजाम दिलाने से भी बाज नहीं आ रहे.
मोबाइल मिलने का नहीं रुका सिलसिला: वर्ष 2013 में जेल में हुए छापेमारी में 23 मोबाइल बरामद होने पर तत्कालीन जिलाधिकारी नरेंद्र कुमार सिंह ने तत्कालीन जेलर अरुण कुमार सिंह को गिरफ्तार कर उसी जेल में बंद कर दिया था. वर्ष 2015 में भी जेल सुरक्षा में तैनात जिला बल के जवान लाल बाबू ठाकुर को कैदी को मोबाइल उपलब्ध कराते हुए पकड़ा था. मई 2016 में जेलर आलोक कुमार को महंगी सिगरेट पहुंचाने के आरोप में निलंबित कर दिया गया. बावजूद इसके जेल प्रशासन सुरक्षा के प्रति सतर्क नहीं हुआ. जिसके कारण जेल में मोबाइल पहुंचने के खेल पर लगाम नहीं लग पा रहा है.
कहते हैं प्रभारी जेल अधीक्षक : प्रभारी जेल अधीक्षक सह जिला पंचायती राज पदाधिकारी सियाराम सिंह ने कहा है कि जेल में बंद कैदियों के पास से मोबाइल मिलने के मामले को गंभीरता से लिया गया है. जेलर एवं कक्षपाल से स्पष्टीकरण पूछा गया है कि कैसे जेल के अंदर कैदियों तक मोबाइल व आपत्तिजन समान पहुंच रहे हैं. जबाव आने के बाद आगे की कार्रवाई की जायेगी.
वर्ष 2017 में जेल में छापेमारी की गाथा
9 अप्रैल 2017 : मंडल कारा में छापेमारी के दौरान कैदी बिदेश्वरी कुमार को मोबाइल पर बात करते पकड़ा गया था. वह तारापुर का रहने वाला बिहार पुलिस का जवान था. इसके अलावा वार्ड नंबर चार के पीछे भाग से भी एक मोबाइल बरामद हुआ था. जिसमें रंगदारी के मामले में जेल में बंद कुख्यात बदमाश सोनू साह बंद था.
21 अप्रैल 2017 : अधिकारियों ने मंडल कारा में छापेमारी की थी. छापेमारी के दौरान एक मोबाइल चार्जर व अन्य सामान बरामद किया. उसी दिन पुन: शाम में छापेमारी की गयी जिसमें आधा दर्जन गुटखा की पुड़िया, एक डिब्बी सिगरेट, एक मोबाइल की बैट्री, 60 पुड़िया गांजा बरामद किया गया था.
18 सितंबर 2017 : इस छापेमारी में पांच विभिन्न कंपनियों के मोबाइल, एक चार्जर, एक एक्स्ट्रा मोबाइल की बैटरी तथा एक गांजा पीने का साधन चिलम बरामद हुआ था.
जेल से संचालित हो रहा गिरोह
जेल से आपराधिक गिरोह संचालित होने के कई प्रमाण मिल चुके हैं. एसपी आफिस से महज दो कदम की दूरी पर एक रेस्टोरेंट में अपराधियों ने घुस कर उसके संचालक उत्तम शर्मा की हत्या कर दी थी. पुलिस का कहना था कि जेल से ही उसकी हत्या की साजिश पवन मंडल ने रची थी. अपराधियों के मनोबल का आलम यह है कि जेल में बंद अपराधी जमालपुर के एक पूर्व थानेदार को भी मोबाइल पर धमकी दी थी. हद तो यह है कि जमालपुर नगर परिषद के पूर्व अध्यक्ष भरत यादव पर गोलीबारी करने की रणनीति भी मुंगेर जेल से ही रची गयी थी.
जवान तो नहीं पहुंचा रहे मोबाइल!
मुंगेर जेल से अपराध संचालित होने की खबर हमेशा सुर्खियों में रहा है. जेल से रंगदारी मांगना व हत्या की साजिश रचना आम बात होती जा रही है और यह सभी संभव हो रहा मोबाइल से. 2015 में जिला बल के एक जवान को गिरफ्तार किया गया था जो जेल में बंद शातिर अपराधी रवि शर्मा को न्यायालय में उपस्थापन के दौरान मोबाइल उपलब्ध करा रहा था. जब भी जेल में छापेमारी हुई है तभी मोबाइल सेट बरामद हुआ है. इससे यह बात पुख्ता है कि जेल की सुरक्षा में लगे जवान ही कैदियों को मोबाइल उपलब्ध कराते हैं. कहा जाता है कि बाहर से भी दीवार के अंदर मोबाइल फेंका जाता है.
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