सात वर्षों से मिल रहा केवल आश्वासन
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रेल नगरी के वासियों को कब मिलेगा शुद्ध पेयजल
सात वर्षों से मिल रहा केवल आश्वासन जमालपुर : देश की आजादी के पहले 1935 में जिस जमालपुर नगर पालिका की स्थापना अंग्रेजों द्वारा की गयी थी. वहां की लगभग एक लाख से अधिक की आबादी को स्वतंत्रता प्राप्ति के 75वें वर्ष में भी शुद्ध पेयजल की सुविधा नहीं मिल पा रही है. अलबत्ता पिछले […]
जमालपुर : देश की आजादी के पहले 1935 में जिस जमालपुर नगर पालिका की स्थापना अंग्रेजों द्वारा की गयी थी. वहां की लगभग एक लाख से अधिक की आबादी को स्वतंत्रता प्राप्ति के 75वें वर्ष में भी शुद्ध पेयजल की सुविधा नहीं मिल पा रही है. अलबत्ता पिछले सात वर्षों से जमालपुर के निवासियों को कोरा आश्वासन दिया जा रहा है कि जल्द ही उन्हें उनके घर तक शुद्ध पेयजल की आपूर्ति करा दी जायेगी.
बताया जाता है कि गंगा के पानी को लाने के लिए सफियाबाद में राष्ट्रीय राजमार्ग 80 और रेलवे से अनापत्ति प्रमाण पत्र लेना आवश्यक है. दूसरी और वाटर ट्रीटमेंट प्लांट से शहर के पश्चिमी छोर में शुद्ध पानी को पहुंचाने के लिए पाइप बिछाने के कार्य में जुबली बेल के पास भी रेलवे का एनओसी प्राप्त किया जाना आवश्यक है.
इसमें लगातार देरी होने से योजना प्रभावित है. हालांकि एक अन्य एजेंसी पीडब्ल्यूडी के बारे में बताया जाता है कि कार्यकारी एजेंसी जिंदल इन्फोटेक को एनओसी प्राप्त हो चुका है.
इन आशंकाओं के बीच पिछले कई वर्षों से बंद पड़े पाइप लाइन बिछाने का कार्य एक बार फिर से इसी सप्ताह आरंभ किया गया है. इसके तहत इस्टकॉलोनी क्षेत्र के सिमेट्री रोड में कार्यकारी एजेंसी द्वारा पाइप बिछाया जा रहा है. पर यक्ष प्रश्न अब भी विद्यमान है कि आखिर कब तक रेल नगरी जमालपुर में लोगों को शुद्ध पेयजल नसीब हो पाएगा.
सरकारी विभागों के अनापत्ति प्रमाण पत्र के पचड़े में फंसा है मामला
रेल नगरी जमालपुर में जलापूर्ति योजना आरंभ से ही विभिन्न अड़चनों का सामना करती रही है. नगर विकास एवं आवास विभाग द्वारा वर्ष 2011 में लगभग 29 करोड़ से अधिक की लागत वाली इस योजना के लिए कई वर्ष तो आवश्यक भूमि उपार्जन में ही निकल गये. किसी प्रकार बियाडा की जमीन पर वाटर ट्रीटमेंट प्लांट का कार्य आरंभ हुआ. योजना के अनुसार मुंगेर गंगा नदी से पाइप के द्वारा पानी को इस वाटर ट्रीटमेंट प्लांट तक लाया जायेगा और यह उस पानी को मानक स्तर तक शुद्ध कर विभिन्न ओवरहेड टैंक के सहारे उपभोक्ताओं तक पहुंचाया जाएगा. भूमि उपार्जन के बाद भी आज तक गंगा के पानी को पाइप लाइन से यहां लाने के लिए कई वर्षों से मामला विभिन्न सरकारी विभागों के अनापत्ति प्रमाण पत्र के पचड़े में फंसा हुआ है.
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