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राह चलते प्रथमश्रेणी न्यायिक दंडाधिकारी से हुई बदसलूकी
मधुबनी : स्थानीय न्यायालय में कार्यरत न्यायिक दंडाधिकारी प्रथम श्रेणी प्रमोद कुमार महथा को एक मोटरसाईकिल पर सवार दो अज्ञात लोगों द्वारा धक्का देकर धमकी दिये जाने का मामला सामने आया है. घटना 30 मई के सुबह सात बजे की बतायी जा रही है. इस मामले को लेकर न्यायाधीश प्रमोद कुमार महथा ने नगर थाना […]
मधुबनी : स्थानीय न्यायालय में कार्यरत न्यायिक दंडाधिकारी प्रथम श्रेणी प्रमोद कुमार महथा को एक मोटरसाईकिल पर सवार दो अज्ञात लोगों द्वारा धक्का देकर धमकी दिये जाने का मामला सामने आया है. घटना 30 मई के सुबह सात बजे की बतायी जा रही है.
इस मामले को लेकर न्यायाधीश प्रमोद कुमार महथा ने नगर थाना में प्राथमिकी दर्ज करायी है. दिये आवेदन में उन्होंने कहा है कि जब वे अपने ऑफिसर्स फ्लैट से न्यायालय के लिए मोटरसाइकिल से आ रहे थे. जैसे ही वे सर्किट हाउस के पास पहुंचे. पीछे से पल्सर पर दो अज्ञात बाइक सवार धक्का मारते हुए यह कहते हुए निकल गया कि ‘ सुधर जाओ नहीं तो सुधार देंगे. मजिस्ट्रेट बनते हो. ‘ इस बाबत न्यायिक पदाधिकारी द्वारा नगर थाना में प्राथमिकी दर्ज करायी गई है. इस बाबत नगर थाना पुलिस कुछ भी बताने से परहेज कर रही है.
इजलास के सामने हो गयी वारदात. सुरक्षा के माकूल व्यवस्था नहीं होने के कारण गुरुवार को गवाहों के साथ जो मुदालह पक्ष के द्वारा धमकी देना व मारपीट कर जख्मी करना सुरक्षा व्यवस्था में कमी को सामने ला रहा है. इससे न्यायिक प्रक्रिया पर असर पड़ सकता है.
अभियोजन की ओर से गवाहों को न्यायालय में उपस्थित कराया जाता है. लेकिन जब गवाह पर ही कोर्ट परिसर में सरेआम हमला हो जाये तो गवाह न्यायालय आने में परहेज कर सकते है. जिससे मामले में न्याय समय पर होने में संदेह होने लगा है.
कोर्ट में सुरक्षा कर्मी की कमी
पिछले दिनों बिहार में न्यायालय में हुए घटना को देखते हुए सुरक्षा का पुख्ता प्रबंध करने का आदेश दिया गया था. लेकिन पुलिस बल की कमी के कारण न्यायालय में सुरक्षा व्यवस्था चरमरा गयी है. जहां न्यायालय प्रवेश के आठ द्वारों पर सोलह सुरक्षा कर्मी को लगाना था. लेकिन फिलहाल पांच से सात सुरक्षा कर्मी ही तैनात है जो न्यायालय परिसर में आने जाने वाले रास्ते पर नजर रखते हैं.
अब नहीं है बॉडीगार्ड
व्यवहार न्यायालय के न्यायाधीश के पास अब बॉडीगार्ड नहीं रहता. पुलिस महकमा के द्वारा सीजीएम के नीचे स्तर के न्यायाधीश, दंडाधिकारी व अन्य दंडाधिकारियों को सुरक्षा के लिए बाडीगार्ड मिला था उसे प्रशासन द्वारा वापस ले लिया गया है. अब सिर्फ मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी स्तर के उपर तक ही पदाधिकारी को बाडीगार्ड है. एसडीजेएम सब जज व न्यायिक दंडाधिकारी प्रथम श्रेणी स्तर के न्यायिक पदाधिकारी का बाडी गार्ड वापस ले लिया गया है.
सुरक्षा का माकूल इंतजाम नहीं
जब जिले में न्याय देने वाले न्यायाधीश भी महफूज नहीं है तो जिले के लोगों कैसे महफूज रह सकते हैं. जिला प्रशासन का सुरक्षा का ऐसा इंतजाम है कि दिन दहाड़े सरेआम मजिस्ट्रेट के साथ बदसूलकी होती है लेकिन प्रशासन मौन है. न्यायिक पदाधिकारियों के रहने के लिए आवास ऑफिसर्स फ्लैट में सुरक्षा इंतजाम नहीं है. न्यायालय आने जाने के समय कोई सुरक्षा रहती है और न ही न्यायालय में. इससे न्यायिक पदाधिकारी अपने आप को असुरक्षित महसूस करते है.
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