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दो बार बना नाला, पर नहीं हो सकी जल निकासी

मधुबनी : आर के कॉलेज से गदियानी वाले रोड में बीते एक डेढ़ साल पहले हुए नाला निर्माण के गुणवत्ता की पोल खुल रहा है. इतने कम दिनों में ही नाला ना सिर्फ टूट गया है बल्कि नाले की स्थिति यह है कि अंजान लोगों को ये पता भी नहीं चलेगा कि इस पर कभी […]

मधुबनी : आर के कॉलेज से गदियानी वाले रोड में बीते एक डेढ़ साल पहले हुए नाला निर्माण के गुणवत्ता की पोल खुल रहा है. इतने कम दिनों में ही नाला ना सिर्फ टूट गया है बल्कि नाले की स्थिति यह है कि अंजान लोगों को ये पता भी नहीं चलेगा कि इस पर कभी नाला बना भी था. हजारों रुपये की निकासी हो गयी. पर लोगों की परेशानी दूर नहीं हो सकी. उल्टे हालत और खराब हो गयी है. हालांकि इस नाले के ईंट जरूर स्थानीय लोगों के काम आ रहा है.
कई लोगों ने नाले के ईंट को घर के उपयोग में लगा दिया है.घरों से नहीं निकल रहा है पानी . इस मुहल्ले में रहने वालों के लिये यह जर्जर नाला परेशानी का सबब बन गया है. पहले पक्का नाला नहीं था कच्चा नाला हुआ करता तो इससे अधिक सहूलियत रहती थी. लोगों के घरों से पानी नाले में निकल जाया करता था. पर जब से पक्का नाला बना तबसे लोगों के घरों का पानी नहीं निकल पाता है. धीरे धीरे लोगों में आक्रोश पनपता जा रहा है.
नहीं है कहीं पर बोर्ड .नाले का निर्माण किस मद से किया गया यह अब लोगों को पता भी नहीं है. निर्माण काम से पहले या बाद में कहीं भी प्राक्कलन संबंधी बोर्ड नहीं लगा है. जिससे लोगों को यह पता चले कि किस विभाग के द्वारा यह नाला बनाया गया था. सूत्रों की मानें तो नाले का निर्माण विधान पार्षद कोष से किया गया था. जबकि सड़क का डूडा से .
परेशानी से लोगों में आक्रोश .
मुहल्ला के प्रो. इश्तियाक अहमद ने कहा कि सरकार और प्रशासन लोगों की परेशानी को दूर करने के लिये होता है. पर यहां तो लोगों की परेशानी को बढ़ाया जा रहा है. वहीं मो. कल्लू ने कहा कि जब पक्का नाला नहीं था तो इससे अधिक सहूलियत थी. जबसे पक्का नाला बना है घरों का पानी घर में ही रह जाता है. सबसे अधिक परेशानी बरसात के मौसम में हो जाती है. राजा ठाकुर बताते हैं कि इस नाले के निर्माण को लेकर पूर्व में भी आंदोलन किया गया था. दो दो बार नाले का निर्माण किया गया. पर हर बार दो तीन माह बाद ही नाला टूट गया. लोगों में आक्रोश बढ़ता जा रहा है.
राघवेंद्र प्रसाद ठाकुर बताते हैं कि यह सड़क मधुबनी रहिका बाइपास के रूप में उपयोग में आता है. हर दिन दर्जनों बस व बड़े वाहन का परिचालन होता है. सड़क के बगल में बना नाला पूरी तरह टूट चुका है. ऐसे में कब दुर्घटना हो जाये यह कहा नहीं जा सकता है.
मो. अनवर बताते हैं कि सड़क से एक ओर दो फुट नीचे नाला है. वह भी पूरी तरह ध्वस्त हो चुका है. ऐसे में जब दो – दो वाहन एक साथ आ जाता है तो दुर्घटना की संभावना बढ़ जाती है. लोग भी खतरे से आशंकित रहते हैं.

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