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नगर परिषद चुनाव को लेकर तीन खेमे सक्रिय

मधुबनी : नगर परिषद बोर्ड के पांच सालों का कार्यकाल जून में समाप्त हो जायेगा. मार्च के बाद कभी भी नगर निकाय के चुनावों की घोषणा राज्य चुनाव आयोग द्वारा की जा सकती है. चुनाव के लिये आरक्षण रोस्टर भी प्रकाशित किया जा चुका है. चुनाव को लेकर चर्चाओं का बाजार गर्म हो गया है. […]

मधुबनी : नगर परिषद बोर्ड के पांच सालों का कार्यकाल जून में समाप्त हो जायेगा. मार्च के बाद कभी भी नगर निकाय के चुनावों की घोषणा राज्य चुनाव आयोग द्वारा की जा सकती है.

चुनाव के लिये आरक्षण रोस्टर भी प्रकाशित किया जा चुका है. चुनाव को लेकर चर्चाओं का बाजार गर्म हो गया है. आरक्षण रोस्टर के बाद वर्तमान वार्ड पार्षद अपनी जमीन तलाशनी शुरू कर दिये हैं. कई वर्तमान व पूर्व वार्ड पार्षद अपनी पत्नी को चुनावी मैदान में उतारने का मूड बना लिए है. इधर, कई संभावित प्रत्याशी चुनाव में उतरने से पहले नप की राजनीति के गुरु माने जाने वालों के दरबार में अभी से मत्था टेकने लगे हैं. इन्हें यह उम्मीद है कि यदि इन महारथियों का आशीर्वाद मिल जाये तो चुनाव की नैया पार लग जाये .

अपरोक्ष रूप से नप की राजनीति की बागडोर संभालने वाले इस बार भी अपने – अपने पसंद के उम्मीदवार की तलाश शुरू कर दी है. ये खेमा ऐसा है कि जो सालों से नप की राजनीति में बाहर होते हुए भी सक्रिय है. इस बार ऐसा तीन खेमा है जो चुनावी मैदान में अपने अपने पक्ष को मजबूत करने के इरादे से प्रत्याशी को उतार सकते हैं. इसमें एक खेमा वर्तमान पार्षद व मुख्य पार्षद का है. वहीं दूसरी धारा पूर्व में वर्षों से नगर परिषद की राजनीति करने वालों की. जबकि तीसरी धारा भी इस बार नप की राजनीति में कूद पड़ा है. यह खेमा जिला परिषद अध्यक्ष के चुनाव में अपनी ताकत दिखा चुके हैं. राजनीतिक जानकारों का मानना है कि इस बार के चुनाव में तीन धाराएं एक दूसरे को पटखनी देने में लगे हैं. इन धाराओं द्वारा वार्ड में उम्मीदवारों की तलाशी शुरू हो चुकी है.
तीनों खेमे के संपर्क में संभावित प्रत्याशी . कई वार्ड पार्षदों व चुनाव में भाग्य आजमाने वालों में संशय की स्थिति बन गई है. वे किस खेमा में जाये जो चुनाव की नैया पार लगा दे यह उनके लिये परेशानी पैदा कर दी है. ऐसे में कई वर्तमान पार्षद व चुनाव में अपनी उम्मीदवारी देने वाले तीनों धाराओं के संपर्क में है. तो कई, एक धारा के साथ हैं. राजनीतिक पंडित मानते हैं कि नगर परिषद में वर्तमान राजनीतिक धारा एवं लगातार नगर परिषद पर वर्चस्व रखने वाली राजनीतिक धारा के बीच ही यह सिमट कर रह जायेगी.
वहीं तीसरी धारा की भूमिका भी नप बोर्ड में कारगर साबित होगा. यह धारा दूसरी धारा को समर्थन देकर पहली धारा को पटखनी देने की कोशिश करेगा. इन सब के बीच इन सभी की निगाहें मुख्य पार्षद के पद पर आरक्षण को लेकर भी टिकी हुई है. चुनाव की तिथि भले ही घोषित

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