मधुबनीः पारंपरिक स्वास्थ्य संस्कृति के पुनरुत्थान के लिए आयुष चिकित्सकों का कार्यशाला का आयोजन मंगलवार को चभच्च चौक स्थित प्रिंस कम्यूनिटी हॉल में किया गया. घोघरडीहा प्रखंड विकास संघ जगतपुर के द्वारा आयोजित कार्यशाला का उद्घाटन जिप अध्यक्ष नसीमा खातून ने किया. उद्घाटन सत्र में जिला परिषद अध्यक्ष नसीमा खातून के देहातों में पाये जाने वाले विभिन्न तरह के औषधीय गुण वाले पौधों पर प्रकाश डाला.
कार्यशाला की पृष्ठ भूमि एवं उद्देश्य पर संस्था के अध्यक्ष रमेश कुमार ने अपने विचार को रखा. संस्था के समन्वयक अजय कुमार झा ने कार्यशाला को संबोधित करते हुए कहा कि अंतरराष्ट्रीय संस्था मिजेरियर के सहयोग से पारंपरिक स्वास्थ्य संवर्धन कार्यक्रम में आयुर्वेद व पारंपरिक तरीके से इलाज को बल दिया जाता है. औषधीय पौधे जो लुप्त हो रहे हैं. उसका ज्ञान लोगों में देने व इसके प्रचार प्रसार के लिए कार्यरत है. वैज्ञानिक पद्धति के साथ औषधीय गुणों वाले पौधे का रिकार्ड भी संयोजित कर रखा जाता है. कई ऐसे बीमारी जिसका एलोपैथ में इलाज नहीं है उन बीमारियों को जड़ी बूटी के माध्यम से इलाज किया जाता है और मरीज ठीक होते हैं.
उन्होंने कहा कि वैद्य द्वारा इलाज किये गये रोगियों का दस्तावेज भी तैयार किया जाता है. घरेलू नुस्खे से ठीक होने वाले बीमारियों की सूची भी संस्था द्वारा तैयार की जा रही है. कार्यशाला में हिमाचल प्रदेश के डा. अरुण चंद्रण, राजस्थान के वैद्य डा. जिया लाल ने स्वास्थ्य प्राथमिकताओं के संदर्भ में साझा प्रयास विषय पर अपने विचार को रखा. इन्होंने औषधीय पौधे के संरक्षण व इनके गुणों पर विस्तृत रूप से प्रकाश डालते हुए कहा कि 100 औषधीय पौधे है जिन से 500 असाध्य रोगों का इलाज होता है. संस्था के दस्तावेज को तैयार करने वाले चंदन मिश्र ने बताया कि जिले के चिकना गांव को हर्बल ग्राम बनाने पर कार्य किया जा रहा है. कार्यशाला को जिप सदस्य सइदा बानो, वैद्य हरि प्रसाद सिंह, डा. अरूण चंदन, रमेश कुमार सहित कई आयुष चिकित्सक व वैद्यों ने संबोधित किया .