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दीवार में दरार व छत से टपकता है पानी

मधुबनी : जिले के लोगों की सुरक्षा की जिम्मेवारी निभाने वाले पुलिस कर्मी खुद असुरक्षित है. जिला मुख्यालय में अवस्थित पुलिस केंद्र भवन की हालत इतना जर्जर है कि कभी भी भयानक हादसा हो सकता है. ऐसा नहीं है कि पुलिस केंद्र भवन की जर्जरता का एहसास उसमें रहने वाले पुलिस कर्मियों या वरीय प्रशासनिक […]

मधुबनी : जिले के लोगों की सुरक्षा की जिम्मेवारी निभाने वाले पुलिस कर्मी खुद असुरक्षित है. जिला मुख्यालय में अवस्थित पुलिस केंद्र भवन की हालत इतना जर्जर है कि कभी भी भयानक हादसा हो सकता है.
ऐसा नहीं है कि पुलिस केंद्र भवन की जर्जरता का एहसास उसमें रहने वाले पुलिस कर्मियों या वरीय प्रशासनिक अधिकारियों को नहीं है. पर मजबूरी यह है कि सब कुछ जानते हुए भी पुलिस के सुरक्षित जवान असुरक्षित है.
गुंबज िगरने से दर्जनों वाहन हो गये क्षतिग्रस्त : 1973 में मधुबनी जिला बना तो दरभंगा राज परिवार से पुलिस केंद्र बनाने के लिए इसे लीज पर लिया गया था. लगभग 43 वर्ष पूर्व बने भवन में अवस्थित पुलिस केंद्र भवन की हालत इतनी खराब है कि गत वर्ष आये भूकंप में इसके गुंबज के गिरने से पुलिस केंद्र के बाहर खड़े दो मोटर साइकिल व लगभग एक दर्जन साइकिल क्षतिग्रस्त हो गया था.
साथ ही मैदान में रखे लगभग दो दर्जन कार भी क्षतिग्रस्त हो गयी थी. वर्षा होने पर छत का सारा पानी पुलिस केंद्र के अंदर ही गिरता है. पुलिस केंद्र की सारी खिड़किया टूट गई है. पुलिस कर्मी किसी तरह प्लास्टिक लगाकर पानी से बचाव करते हैं.
असुरक्षित है कागजात: पुलिस केंद्र स्थित मेजर का कार्यालय, लाइन बाबू वन एवं टू का कार्यालय, जीपी शाखा, सेवा पुस्तिका कार्यालय, कोच शाखा, आयुध शाखा एवं पुलिस ऑफिस है.भवन में रखे अभिलेख व अन्य सामान के सुरक्षा पर प्रश्न चिह्न लगा रहता है.
कई बार भवन के लिए भूमि का हुआ चयन : पुलिस केंद्र के नये भवन के निर्माण के लिए दशकों से जिला प्रशासन प्रया सरत है. पर कहीं न कहीं अड़चन आने से उस प्रयास को धक्का लगा. 1990 में रांटी में भूमि का चयन हुआ पर वहां कुछ समस्या उत्पन्न होने पर स्थगित हो गया. उस स्थान पर नवोदय विद्यालय का भवन बना. इसके बाद रामपट्टी में जगह की तलाश की बात सामने आयी पर वहां भी पुलिस केंद्र का निर्माण नहीं हो सका. इधर पंडौल थाना के पीछे अवस्थित भूमि के चयन की बात भी प्रशासनिक हलकों में आयी थी पर वहां भी कोर्ट केस होने के कारण अब तक संभव नहीं हो पाया है.
खतरे में जवान
पुलिस केंद्र भवन को बदलने के मामले में सरकार व पदाधिकारी उदासीन है. पुलिस मेंस एसोसिएशन के कोषाध्यक्ष जीतेंद्र कुमार ने बताया कि पुलिस के जवान की सुरक्षा खतरे में हैं. रात रात भर जागकर पुलिस कर्मी रात बिताते हैं. पुलिस मेंस एसोसिएशन के सचिव संजय कुमार ने कहा कि भूकंप के दौरान लगभग तीन माह तक पुलिस कर्मी पुलिस केंद्र के बाहर मैदान में सोते थे.
भूमि अिधग्रहण का हो रहा प्रयास
पुलिस केंद्र की जर्जर भवन के संदर्भ में पुलिस अधीक्षक अख्तर हुसैन ने बताया कि जिला प्रशासन पुलिस केंद्र भवन के निर्माण के लिए भूमि के अधिग्रहण का प्रयास कर रही है. भूमि अधिग्रहण के पश्चात पुलिस केंद्र निर्माण की प्रक्रिया प्रारंभ हो जायेगी.

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