बन सकता है शहर इको फ्रेंडली , कोशिश तो हो ऊफ, ये सड़क जाम लग रहा है. पेट्रोल व डीजल का धुआं नाकों में घुस रहा है. काश! कोई पार्क होता तो वहां पेड़ों की छांव में तनाव मिटाता और सुकून के दो पल बिताता. हरियाली से शहर दूर हो रहा है. शहर में मकान बनाने की मची होड़ में वृक्षों को अंधाधुंध काटा जा रहा है. जिला मुख्यालय के लोग एक पार्क के लिए तरस रहे हैं. मधुबनी नहीं बन सका इको फ्रेंडली शहर. आखिर कहां जायें. मनोरंजन के साधन का भी अभाव है. दो सिनेमा हाल थे जो अब बंद हो गये. सिने प्रेमियों को इंटरनेट पर सिनेमा देखने से मन नहीं भरता. शहर में बढ़ते प्रदूषण के स्तर को देखते हुए लोगों की ओर से हवाई अड्डा के समीप पूर्व डीएम निधि खरे द्वारा चिह्नित स्थल पर मनोरम व विहंगम पार्क बनाने की मांग उठने लगी है.शहर में सैर सपाटे को जगह नहीं, विद्यापति पार्क में गंदगी का अंबार-मनोरंजन के साधन का भी अभाव, बंद हुए सिनेमा हॉल फोटो:-3,4,5परिचय:- शहर का विद्यापति पार्क, बंद पड़ा मिलन सिनेमा घर, जमीनदोज हो चुका मिथिला सिनेमा घर का परिसर, नाम के अनुसारप्रतिनिधि, मधुबनी शहर में मनोरंजन के लिए लोग तरस रहे हैं. मनोरंजन के अभाव में लोगों में तनाव और चिड़चिड़ापन बढ़ता जा रहा है. यही नहीं शहरवासियों के लिए कोई ऐसा पार्क या स्थल नहीं है जहां वे दो पल चैन की सांस ले सकें. शहर में पुराने मकानों को तोड़कर नये मकान बनाने की मची होड़ में लोगों का प्रकृति और हरियाली से रिश्ता टूटता जा रहा है. कई लोग वृक्षों को काटकर अपनी जमीन पर मकान बना रहे हैं.ध्वस्त हुआ ऐतिहासिक पार्कशहर का ऐतिहासिक शिशु पार्क ध्वस्त हो गया है. पार्क में कूड़ा कचरा फेंकते हैं. निर्माण के तीन दशक बाद भी कोई इसकी सुधि लेने वाला नहीं हैं. नगर परिषद के समीप बने सत्येंद्र प्रमोद पार्क का अस्तित्व नहीं है. पार्क की है असीम संभावनाशहर में वाटसन स्कूल का मैदान इतना बड़ा है कि यहां किसी एक भाग में पार्क बनाया जाता है. हाल ही में वाटसन स्कूल फील्ड की दुर्दशा को देखते हुए राज्य स्तरीय क्रिकेट टूर्नामेंट का आयोजन पंडौल में करना पड़ा. सूड़ी स्कूल के मैदान में भी पार्क बनाया जा सकता है. शहर व आसपास के कुछ मिडिल स्कूलों के पास इतनी अधिक जमीन है कि वहां पार्क बनाया जा सकता है. लहेरियागंज पार्क बनाने के लिए खूबसूरत स्थल होगा. भौआड़ा में भी पार्क की संभावना है. नगर परिषद के समीप तालाब के समीप पार्क का निर्माण हो सकता है. शहर से सटे सप्ता, चकदह, रांटी, भच्छी में भी पार्क बनाया जा सकता है, लेकिन आज तक इस दिशा में न तो जिला प्रशासन व न ही नगर परिषद की ओर से कोई कदम उठाया गया.बंद हुए सिनेमा हॉलशहर में एक साथ दो सिनेमा हॉल बंद होने से युवा वर्ग के लोग मनोरंजन के लिए तरस रहे हैं. जिला मुख्यालय में सिर्फ एक सिनेमा हॉल है, लेकिन वहां अधिकांश भोजपुरी फिल्म ही लगती है. जबकि लोग हिंदी फिल्म देखना चाहते हैं. शहर में कहीं कला दीर्घा भी नहीं हैं. नाटक का मंचन नहीं होता है.विद्यापति पार्क बदहालविद्यापति के नाम पर थाना चौक पर पार्क बनने से लोगों में खुशी थी, लेकिन वहां व्याप्त कुव्यववस्था और गंदगी के कारण अधिकांश समय पार्क वीरान नजर आता हैं. कोई पार्क में नहीं आता है. पार्क की नियमित रख रखाव नहीं की जाती है. यह पार्क सिर्फ विद्यापति का स्मारक बनकर रह गया है. विद्यापति पर्व समारोह के दिन ही यहां लोग आते हैं.क्या कहते हैं लोगसमाज सेवी राजा ठाकुर का कहना है कि सरकार को यदि पर्यावरण व लोगों के स्वास्थ्य की चिंता है तो शहर में गंगासागर तालाब या नगर परिषद तालाब के समीप उपलब्ध भूमि पर अविलंब पार्क का निर्माण कराया जाये.सुमित संतोष का कहना है कि पार्क के बिना शहर सूना सूना लगता है. सरकार को इस दिशा में गंभीरता से सोचना चाहिए. सार्वजनिक स्थलों का उपयोग नेताओं के भाषणबाजी के लिए नहीं पार्क बनाने को होना चाहिए.गुड़िया पंजियार कहती हैं कि दो पल सुकून मिले इसके लिए पार्क की जरूरत है. यह शहरवासियों के लिए नये साल का तोहफा साबित होगा.क्या कहते हैं अधिकारीमुख्य पार्षद खालिद अनवर का कहना है कि नगर परिषद शहर की जनता की हर समस्या का समाधान करती है. शीघ्र ही शहर में खूबसूरत पार्क का निर्माण होगा.
बन सकता है शहर इको फ्रेंडली , कोशिश तो हो
बन सकता है शहर इको फ्रेंडली , कोशिश तो हो ऊफ, ये सड़क जाम लग रहा है. पेट्रोल व डीजल का धुआं नाकों में घुस रहा है. काश! कोई पार्क होता तो वहां पेड़ों की छांव में तनाव मिटाता और सुकून के दो पल बिताता. हरियाली से शहर दूर हो रहा है. शहर में मकान […]
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