मधुबनी : हमेशा लोग शहर की सफाई को लेकर बात उठाते रहते हैं. इसके लिए सभी नगर परिषद को दोषी मानते हैं. इस विभाग को प्राय: हम सभी कोसते रहते हैं, लेकिन हम अपने गलतियों की ओर कभी नहीं झाकते. दरअसल, शहर के बाजार में लोगों ने नाला पर अतिक्रमण कर कुंडली मार बैठे हैं. […]
मधुबनी : हमेशा लोग शहर की सफाई को लेकर बात उठाते रहते हैं. इसके लिए सभी नगर परिषद को दोषी मानते हैं. इस विभाग को प्राय: हम सभी कोसते रहते हैं, लेकिन हम अपने गलतियों की ओर कभी नहीं झाकते. दरअसल, शहर के बाजार में लोगों ने नाला पर अतिक्रमण कर कुंडली मार बैठे हैं.
हालत ऐसी है कि लाख चाहने के बावजूद इसकी सफाई नहीं हो पा रही है.
नगर परिषद बोर्ड की बैठक में प्राय: हरेक पार्षद सफाई को लेकर नप प्रशासन को कोसते हैं, लेकिन उन्होंने कभी भी अतिक्रमण को लेकर कभी भी सवाल उठाने का प्रयास नहीं करते. प्राय: हर बाजार, चौक चौराहों व गलियों से गुजरते नाले का यही हाल है.
ऐसा देखा जा रहा है जिस व्यक्ति ने जितना नाला का अतिक्रमण कर रखा है वो उतनी सफाई व्यवस्था पर प्रश्न उठाते हैं. हर सड़कों का कमोबेश यही हाल है. शहर के आधे से अधिक इलाके में सड़कों पर ही बाजार चलता है. सबसे पहले जरूरत है हमें अपने आप को सजग करने की. प्रशासन भी जब तक अतिक्रमण को खाली करने में पहल नहीं की तो अनहोनी को नहीं टाला जा सकता. प्रकृति यदि विपरित हो गयी तो तमिलनाडू जैसी हालत बन सकती है.
हर नाला है जाम
शहर में प्राय: प्रत्येक बाजार में नाला जाम पड़ा है. जाम इसलिए क्योंकि इसकी सफाई करना मुश्किल है. सड़क के दोनों किनारों पर चल रही दुकान प्राय: अब इसका विस्तार गुजरने वाली नालों तक हो चुका है. शहर से गुजरने वाले नालों के ऊपर पत्थर का शिला रखे जाने तथा कई जगह तो सीमेंट बालू से जाम ही कर दिया गया है. अब सवाल है कि इसको हटाये बिना शहर की सफाई कैसे हो.
कैनालों का है अतिक्रमण
शहर से जल निकासी के लिए नाला को कैनालों से जोड़ा गया है. इससे होकर आसानी से जल निकासी हो जाती है. शहर से गुजरने वाली वाटसन, किंस व राज कैनालों को लोग अतिक्रमण कर रखा है. लगभग 15 फीट से भी कम हो गयी है. इसे राजनीतिक साजिश कहें या लोगों की नीयती. मामला और भी गंभीर होता जाता है. जबकि सफाई में विभाग को लाखों रुपये व्यय होते हैं.
कचड़ा फेंका जाता सड़कों व नालों में
स्वच्छ व सुंदर शहर की परिकल्पना हमारे जेहन में आती है, लेकिन इसके लिए विभाग से अधिक हमें सजग होने की जरूरत है. शहर में कचरों को फेंकने के लिए कूड़ादान का उपयोग नहीं देखे जाते हैं. प्राय: सभी अपने घर के कचरों को या तो सड़क पर फेंक देते हैं या फिर नालों में फेंकते हैं.
क्या कहते हैं मुख्य पार्षद
नगर परिषद के मुख्य पार्षद खालिद अनवर ने बताया कि शहर की स्वच्छ व सुंदर बनाने के लिए नप गंभीर है. प्रत्येक दिन नालों व सड़कों की सफाई करायी जाती है. लोगों को संसाधन के मुताबिक सुविधा उपलब्ध करायी गयी है. डोर टू डाेर कचरा उठाव कराने का निर्णय लिया गया है. सबसे बड़ी जरूरत है कि हम भी जागरूक हो.