मधुबनी : शहर का इकलौता बालिका उच्च विद्यालय शिक्षा विभाग व बिहार सरकार की उदासीनता का शिकार बना गया है. यहां शहर की बालिकाएं हजारों की संख्या में नामांकन लेने के लिए प्रतिवर्ष आती हैं, लेकिन सुविधाओं व शिक्षक-शिक्षिकाओं के अभाव में उन्हें निराशा हाथ लगती है.
इस बालिका उच्च विद्यालय के मैदान में आयोजित कार्यक्रम में बिहार के मंत्री सहित शिक्षा विभाग के राज्य स्तरीय पदाधिकारियों का आना जाना लगा रहता है, लेकिन अभी तक विद्यालय की तकदीर नहीं संवर पा
रही है.
नहीं है कमरा
शिवगंगा बालिका उच्च विद्यालय में सिर्फ दो कमरा है. इससे इस विद्यालय में वर्ग कक्ष संचालन करना असंभव है. मजबूरी में छात्राओं को समीप के प्लस टू विद्यालय के भवन में पढ़ने के लिए जाना पड़ता है. प्लस टू में छात्राओं की संख्या अधिक रहने के कारण इसमें उच्च विद्यालय की छात्राओं का वर्ग संचालन मुश्किल हो रहा है.
अल्पसंख्यक आयोग के अंतर्गत चार कमरा इस उच्च विद्यालय में बनना था. जमीन विद्यालय परिसर में चिह्नित भी की गयी, लेकिन दो साल बीत जाने के बाद भी अभी तक निर्माण शुरू नहीं हो सका है. कमरों के अभाव में कक्षाओं का संचालन उच्च विद्यालय में होना सिरदर्द बन गया है.
नहीं हो रही कंप्यूटर की पढ़ाई
विद्यालय में कंप्यूटर है, पर शिक्षक के अभाव में कंप्यूटर की पढ़ाई नहीं हो रही है. इससे छात्राओं में निराशा है तो रखे-रखे कंप्यूटर के खराब होने की आशंका बढ़ती जा रही है.
कई कमरों पर अवैध कब्जा
बालिका उच्च विद्यालय के विशाल कमरे पर जिला प्रशासन का कब्जा है. इस हॉल को पहले उच्च विद्यालय के मनोरंजन गृह के रूप में जाना जाता था, लेकिन लगभग पांच साल से इसमें फोटो पहचान पत्र बनने के कारण इसमें वर्ग संचालन नहीं हो रहा है. एक अन्य कमरे पर स्काउट एंड गाइड कार्यालय का कब्जा है.
इससे इस कमरे में भी वर्ग संचालन नहीं हो रहा है. दोनों कमरों को खाली कराने में विद्यालय प्रशासन विफल साबित हो रहा है.
जानलेवा बना है मैदान
विद्यालय की छात्राएं खेलने के लिए तरसती रहती हैं. इन्हें खेल का मैदान रहते हुए भी खेलने का मौका नहीं मिल रहा है. मैदान काफी उबड़ खाबड़ है.
मिट्टी भराई का काम नहीं होने के कारण मैदान समतल नहीं हो रहा है. मैदान में बड़े-बड़े पौधे उग आये हैं, जिन्हें हटाने का प्रयास नहीं हो रहा है. क्रिकेट व फुटबॉल खेलने के लिए छात्राएं तरस रही हैं. वॉलीबॉल नहीं खेल पाने से छात्राओं में निराश है.
इस उच्च विद्यालय की कई छात्राएं क्रिकेट, फुटबॉल व वॉलीबाॅल खेल में काफी प्रतिभा रखती हैं, लेकिन मैदान समतल नहीं रहने के कारण वे अपनी प्रतिभा का परिचय नहीं दे पा रही हैं. मैदान में बड़े बड़े जंगली घास भी उग आये हैं. मैदान में कई जगह पर गड्ढा भी है. शारीरिक शिक्षिक नहीं रहने से बालिकाओं को काफी परेशानी हो रही है.
साइंस लैब व लाइब्रेरी का लाभ नहीं
उच्च विद्यालय में साइंस लैब व लाइब्रेरी दोनों है, लेकिन कमरों के अभाव में सभी पुस्तकों व प्रयोगशाला के उपकरणों को बेतरतीब तरीके से एक कमरे में रख दिया गया है. इससे छात्राओं को प्रायोगिक कक्षा व पुस्तकालय का लाभ समुचित तरीके से नहीं मिल रहा है.
विज्ञान के शिक्षक नहीं
इस उच्च विद्यालय में विज्ञान के शिक्षक या शिक्षिका नहीं है जिससे छात्राओं को परेशानी हो रही है. बार-बार उच्च विद्यालयों के लिए शिक्षक शिक्षिकाओं का नियोजन हुआ है, लेकिन विभाग की लापरवाही के कारण अभी तक इस उच्च विद्यालय में विज्ञान शिक्षक की पदस्थापना नहीं हो सकी है.
भूगोल विषय में एक भी शिक्षक या शिक्षिका नहीं रहने से उच्च विद्यालय की छात्राएं परेशान हैं. सबसे अधिक परेशानी मैथिली विषय रखने वाली बालिकाओं को हो रही है. अधिकांश छात्राओं ने मैथिली विषय रखा है, लेकिन शिक्षिक नहीं रहने के कारण वे मायूस हैं. इस बालिका हाइस्कूल में शिक्षकों का अभाव इस कदर है कि छात्राओं को दूसरे स्कूल के शिक्षकों से पढ़ाई करनी मजबूरी हो गयी है.
नहीं है साइकिल स्टैंड
उच्च विद्यालय परिसर में साइकिल स्टैंड नहीं है. बालिकाएं साइकिल को खुले आसमान के नीचे धूप में रखने को विवश हैं. कॉमन रूम भी नहीं है. इससे छात्राओं में रोष बढ़ता जा रहा है. सुविधाओं के अभाव में इस विद्यालय का गौरवशाली अतीत धूमिल होता जा रहा है.
परीक्षा के समय होती है परेशानी
जब-जब इस बालिका उच्च विद्यालय को किसी परीक्षा का केंद्र बनाया जाता है तो यहां वर्ग संचालन की समस्या उत्पन्न हो जाती है. प्लस टू के एक शिक्षक का अधिकांश समय परीक्षा संचालन व अन्य लिपिकीय कार्यों में व्यतीत होता है.
क्या कहती हैं प्रधानाध्यापिका
शिवगंगा बालिका उच्च विद्यालय की प्रधानाध्यापिका सुनैना कुमारी का कहना है कि दस शिक्षक-शिक्षिकाएं उच्च विद्यालय में कार्यरत हैं. उन्होंने माना कि उच्च विद्यालय में कमरों व शिक्षक-शिक्षिकाओं का अभाव है. उन्होंने कहा कि अल्पसंख्यक आयोग से चार कमरा बनना था जो अभी तक नहीं बन सका है.