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अब तक दो की हो चुकी मौत

मधुबनीः जिले में कालाजार का कहर है. जनवरी से सितंबर तक 293 कालाजार के मरीजों की पहचान की गई है. दो मरीजों की कालाजार से मौत भी हो चुकी है. अक्तूबर 2013 में भी 25 नये कालाजार मरीजों की पहचान हुई है. जिले से कालाजार मिटने का नाम नहीं ले रहा है. पिछले 15 सालों […]

मधुबनीः जिले में कालाजार का कहर है. जनवरी से सितंबर तक 293 कालाजार के मरीजों की पहचान की गई है. दो मरीजों की कालाजार से मौत भी हो चुकी है. अक्तूबर 2013 में भी 25 नये कालाजार मरीजों की पहचान हुई है. जिले से कालाजार मिटने का नाम नहीं ले रहा है. पिछले 15 सालों से कालाजार जिले के लिये अभिशाप बन गया है. जिले का बिस्फी प्रखंड कालाजार से सर्वाधिक प्रभावित प्रखंड है.

बेनीपट्टी भी कालाजार की गिरफ्त में है. मधेपुर में कालाजार का नाम सुन कर ही लोग कांपने लगे हैं. पिछले वर्षो में कालाजार ने यहां तांडव मचाया था. वर्ष 2009-10 व 2010-11 में डीडीटी छिड़काव में वित्तीय अनियमितता का मामला उजागर हुआ था. निर्देश था कि डीडीटी का छिड़काव 45 दिनों के अंदर पूर्ण किया जाय. लेकिन राज्य स्वास्थ्य समिति के आंतरिक अंकेक्षण दल ने जांच प्रतिवेदन में कहा था कि जिला मलेरिया पदाधिकारी द्वारा निर्देशों की पूरी तरह अवहेलना कर मात्र 15 दिनों में छिड़काव पूर्ण दिखाया गया.

जांच प्रतिवेदन में डीडीटी छिड़काव में वित्तीय अनियमितता प्रतिवेदित की गई व कहा गया कि इससे 5 करोड़ 60 लाख की देनदारी बढ़ गयी. छिड़काव पर किये गये भुगतान जहां संदेह के घेरे में रहा वहीं जांच में यह भी पाया गया कि कुछ गांवों में छिड़काव नहीं हुआ या आंशिक हुआ. जांच से यह बात भी सामने आयी कि जिला स्वास्थ्य समिति मधुबनी द्वारा विभिन्न प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों को डीडीटी छिड़काव के लिये अग्रिम भुगतान भी किया गया पर इसके लिये न तो रोकड़ बही संधारित की गई और न ही समायोजन के लिये कार्रवाई की गई. रिपोर्ट में यह भी कहा गया कि बैंक द्वारा दी गई सूद की राशि को रोकड़ बड़ी में जिला स्वास्थ्य समिति या जिला मलेरिया पदाधिकारी द्वारा प्राप्ति नहीं दिखाई गई. राज्य स्वास्थ्य समिति ने मधुबनी के सिविल सजर्न को मामले की समीक्षा कर विधि सम्मत कार्रवाई का निर्देश दिया था. इससे जिले में कालाजार उन्मूलन कार्यक्रम सवालों के घेरे में आ गया. इस दौरान जिला मलेरिया पदाधिकारी का तबादला हो गया. कुछ महीनों तक एसीएमओ जिला मलेरिया पदाधिकारी के प्रभार में रहे.

बाद में प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र के चिकित्सा पदाधिकारी को मधुबनी का प्रभारी जिला मलेरिया पदाधिकारी बनाया गया है. अभी तक सरकार यहां स्वतंत्र प्रभार वाले जिला मलेरिया पदाधिकारी की पदस्थापना में विफल रही है. कालाजार के अलावे जिले में मलेरिया के रोगी भी मिलने लगे हैं. जिले में डेंगू के 11 एनएसवन पॉजिटिव मरीज भी पाये गये हैं. कालाजार, मलेरिया और डेंगू स्वास्थ्य विभाग के लिये चुनौती बनी हुई है. सैंड फ्लाई के साथ साथ मलेरिया और डेंगू के मच्छर ने लोगों की नींद हराम कर दी है. रात की कौन कहे अब तो दिन में भी मच्छरदानी लगा कर लोग सोने लगे हैं. जगह जगह जल जमाव के कारण मच्छरों से लोग त्रस्त हैं. मच्छर भगाने वाली क्वाइल, इलेक्ट्रिक उपकरण, क्रीम की शहर में बिक्री काफी बढ़ गई है. नालों का जमा पानी मच्छरों का ब्रीडिंग स्थल बन गया है. सदर अस्पताल में कालाजार, मलेरिया और डेंगू की जांच कराने मरीज आने लगे हैं.

दो मंजिला पर रहने को मजबूर हैं मरीज

सदर अस्पताल स्थित कालाजार वार्ड के दो मंजिले पर रहने के कारण मरीजों को ऊपर चढ़ने में काफी परेशानी हो रही है. कालाजार वार्ड अभी दो मंदिले भवन पर चल रहा है. जिले के समाज सेवियों ने मरीजों की कठिनाई को देखते हुए समय समय पर स्वास्थ्य विभाग के आलाधिकारियों का ध्यान इस समस्या की ओर आकृष्ट भी किया था. पर समस्या का अभी तक नि दान नहीं हो सका है. कालाजार वार्ड के न ीचे में कई कमरे हैं जिसका उपयोग दूसरे काम में किया जा रहा है. मास मीडिया कार्यालय जिला टीका भंडार भी नीचे ही है. जबकि मरीजों के रहने की व्यवस्था ऊपरी मंजिल पर की गई है. लोगों ने जिला पदाधिकारी लोकेश कुमार सिंह से मांग की है कि कालाजार वार्ड को मरीजों के हित में निचले मंजिल पर स्थानांतरित किया जाय.

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