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सिर पर मौत बन नाच रहे जजर्र तार
मधुबनी : एक तरफ सरकार बिजली के क्षेत्र में तेजी से विकास करने का दावा कर रही है, तो दूसरी तरफ आज भी जिले के कई गांवों में बिजली का पहुंचना सपना बना हुआ है. कहीं तार का अभाव तो कहीं खंभे का. जिले के गांवों में बिजली व्यवस्था का आलम तो खस्ता है, मधुबनी […]
मधुबनी : एक तरफ सरकार बिजली के क्षेत्र में तेजी से विकास करने का दावा कर रही है, तो दूसरी तरफ आज भी जिले के कई गांवों में बिजली का पहुंचना सपना बना हुआ है. कहीं तार का अभाव तो कहीं खंभे का. जिले के गांवों में बिजली व्यवस्था का आलम तो खस्ता है, मधुबनी शहर में भी कई जगह अब भी बांस बल्ले व पुराने सड़े लकड़ी के खंभों पर बिजली के तार दौड़ रहे हैं. अधिकांश मोहल्लों में जजर्र तार अभी भी लोगों के सिर पर मौत बनकर नाच रही है.
अगर जल्द ही इन इलाकों में जजर्र तारों को नहीं बदला गया तो बड़े हादसे को टाला नहीं जा सकता है. हालांकि सूबे की सरकार एवं विद्युत कंपनी ने एक साल पहले जिला मुख्यालय में जिन-जिन जगहों पर बांस बल्लों व जजर्र लकड़ी के खंभे के सहारे विद्युत आपूर्ति की जा रही है, उसका सर्वे करवाया था, लेकिन अब तक नया खंभा लगाने की रफ्तार काफी धीमी है.
इन जगहों पर हुआ था सर्वे
विभाग ने जेकेसी कंपनी को सर्वे का जिम्मा सौंपा था. इसके तहत वीणा कुंज, लाल निकुंज, अस्पताल के आस पास की कॉलोनी, गोशाला रोड, हार्ट अस्पताल, भौआड़ा, इद मोहम्मद चौक सहित तकरीबन 400 जगहों पर बांस बल्ला व जजर्र लकड़ी खंभे के सहारे विद्युत आपूर्ति होने का सर्वे किया था. इन जगहों पर लोगों को हमेशा किसी बड़ी घटना का अंदेशा बना रहता है. पिछले दिनों चकदह में लटके तार की चपेट में आकर एक भैंस की मृत्यु हो गयी थी. ग्रामीणों ने इस घटना को लेकर बिजली विभाग को आवेदन भी दिया था. वैसे भी आये दिन तार टूटने की घटना यहां आम है.
लटके रहते हैं तार
शहर के कई जगहों पर खंभों पर तार का जाल लटके मिल जायेंगे. शंकर चौक, बाटा चौक, बसुआरा, चकदह सहित अन्य जगहों पर यही आलम है. वहीं, पोल बदलने को लेकर हॉर्ट अस्पताल के नजदीक बसे झाड़ी टोल कॉलोनी निवासी घनंजय कुमार मिश्र, सदाशिव मिश्र, अरुण कुमार, पवन कुमार मिश्र ने बताया कि पोल बदलने को लेकर विद्युत विभाग को कई बार लिखा जा चुका है, लेकिन इस पर अभी तक अमल नहीं किया जा सका है. इन लोगों का कहना है कि इस मोहल्ले से प्रत्येक माह लगभग 25 हजार राजस्व प्राप्त होता है.
क्या कहते हैं अधिकारी
विद्युत कार्यपालक अभियंता (योजना) बी चंद्रा ने कहा कि शहरी क्षेत्र में जहां कहीं भी पोल व तार को बदलना है उसके लिए डीपीआर बना कर भेजा गया है. पोल व तार की कमी होने से इसे बदलने में परेशानी हो रही है.
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