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हाइस्कूलों में बालिका छात्रवास नहीं

मधुबनी : जिले के हाइस्कूलों में सरकार की लाख कोशिशों के बाद भी बालिकाओं का नामांकन बालकों की तुलना में कम है. खासकर आर्थिक रूप से पिछड़े अनुसूचित जाति और अनुसूचित जाति बालिकाओं का नामांकन दर काफी नीचे है. साइकिल और पोशाक योजना से बालिकाओं का हाइस्कूल के प्रति रुझान तो बढ़ा है, लेकिन अभी […]

मधुबनी : जिले के हाइस्कूलों में सरकार की लाख कोशिशों के बाद भी बालिकाओं का नामांकन बालकों की तुलना में कम है. खासकर आर्थिक रूप से पिछड़े अनुसूचित जाति और अनुसूचित जाति बालिकाओं का नामांकन दर काफी नीचे है. साइकिल और पोशाक योजना से बालिकाओं का हाइस्कूल के प्रति रुझान तो बढ़ा है, लेकिन अभी भी अधिकांश अनुसूचित जाति की बालिकाएं कक्षा नौ और 10 की शिक्षा से वंचित हैं.
गल्र्स हॉस्टल का अभाव
हाइस्कूल की छात्रओं के लिए सबसे बड़ी समस्या है बालिका छात्रवास की. कई हाइस्कूल की छात्रएं साइकिल से तीन-चार किमी की दूरी तय कर हाइस्कूल आती हैं. उनका कहना है कि उन्हें अगर बालिका छात्रवास की सुविधा मिल जाये तो वे मन लगाकर पढ़ सकती हैं. सरकार ने जिले में 21 गल्र्स हॉस्टल बनाने की घोषणा पूर्व में की थी, लेकिन वित्तीय वर्ष 2015-16 में अगर सात गल्र्स हॉस्टल का भी निर्माण पूरा हो जाये और छात्रएं इसमें रहने लगे तो यह राहत की बात होगी.
14 गल्र्स हॉस्टल का निर्माण अभी तक पूरा नहीं हो सका है. कुछ का तो भविष्य भी अधर में लटका पड़ा है. सभी गल्र्स हॉस्टल में एक- एक महिला शिक्षिका की प्रतिनियुक्ति भी की जायेगी. बिहार स्टेट एजुकेशनल इंफ्रास्ट्रर डिवलपमेंट कॉरपोरेशन के अधीन निर्माण हो रहा है.
कक्षा नौ व 10 की छात्रएं रहेंगी हॉस्टल में
बालिका छात्रवास में कक्षा नौ और 10 की छात्रएं रहेंगी. उनकी सुरक्षा के व्यापक इंतजाम किये जायेंगे. छात्रवास की घेराबंदी, मेन गेट पर सुरक्षा प्रहरी की तैनाती, मेस और कूक की व्यवस्था, मेडिकल सुविधा आदि जरूरी है. इसे सुनिश्चित करने के बाद ही बालिका छात्रवास शुरू होगा. अभी तक एक भी गल्र्स हॉस्टल शुरू नहीं होने से छात्रओं में मायूसी है.
नहीं है वाहन की व्यवस्था
छात्रओं को हाइस्कूल तक छोड़ने के लिए वाहन की व्यवस्था नहीं है. इन बालिकाओं का सहारा साइकिल है. सरकार ने इनकी आत्म सुरक्षा के लिए इन्हें जूडो कराटे सिखाने का लक्ष्य निर्धारित भी किया, लेकिन अभी भी अधिकांश बालिकाएं जूडो कराटे प्रशिक्षण से वंचित हैं. जिले में काफी संख्या में नि:शक्त छात्रएं भी हैं. वे व्हील चेयर से हाइस्कूल आती जाती हैं.
इनके लिए अधिकांश हाइस्कूलों में लड़कियों के लिए अलग शौचालय नहीं है. इसके कारण उनके नामांकन को गति नहीं मिल रही है. कई स्कूलों में नि:शक्त छात्रओं को मोबिलीटी की समस्या से भी जूझना पड़ता है. सरकार ने जिले में कई मिडिल स्कूलों को अपग्रेड कर हाइस्कूल तो बना दिया है, लेकिन इसमें हाइस्कूल की शिक्षा संबंधी लगभग सभी सुविधाओं का अभाव है. इसके कारण इन नव उत्क्रमित विद्यालयों में छात्रओं का नामांकन दर काफी कम हैं.
क्या कहते हैं अधिकारी
डीपीओ माध्यमिक शिक्षा तकिउद्दीन अहमद का कहना है कि शीघ्र ही बालिकाओं के लिए गल्र्स हॉस्टल बनकर तैयार हो जायेंगी. इसके लिए अभियंताओं को निर्देश दिया गया है.

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