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कार्यपालक अभियंता ने खड़े किये हाथ

मधुबनी /कलुआहीः एनएच 105 की स्थिति बदतर होने से सीमांचल क्षेत्र की बाजारों में महंगाई आसमान चढ़ रही है. आवश्यक वस्तुओं का सड़क मार्ग से ट्रक से ले जाना कठिन है. बरसात होने से सड़क पर चार पांच फीट से अधिक के गहरे गड्ढों ने वाहनों का चलना दुर्लभ हो गया है. बरदेपुर लाइन होटल […]

मधुबनी /कलुआहीः एनएच 105 की स्थिति बदतर होने से सीमांचल क्षेत्र की बाजारों में महंगाई आसमान चढ़ रही है. आवश्यक वस्तुओं का सड़क मार्ग से ट्रक से ले जाना कठिन है. बरसात होने से सड़क पर चार पांच फीट से अधिक के गहरे गड्ढों ने वाहनों का चलना दुर्लभ हो गया है.

बरदेपुर लाइन होटल के समीप सीमेंट, चदरा, पेप्सी आदि लदा ट्रक धंसने के बाद दूसरे गाड़ी से जयनगर पहुंचाया जा रहा है. बालू का ट्रक इस्लामपुर मे ही खड़ा कर ट्रैक्टर से दुकानदारों को ले जाना पर रहा है. इस कारण सौ सीएफटी का मूल्य एक हजार के करीब बढ़ गया है. दरभंगा से भाया रहिका सड़क की स्थिति खराब होने से अधिकांश ट्रक या अन्य वाहन भाया मधुबनी करमौली अथवा नाजिरपुर से कलुआही चौक पहुंचता है.

कलुआही से बासोपट्टी, उमगांव, जयनगर, लदनियां, अथवा अन्य बाजार पहुंच रहा है. सीमांचल क्षेत्र के लिये लाइफ लाइन एन एच 105 की जजर्रता से प्रतिदिन 50 लाखों रुपये की क्षति क्षेत्र की उपभोक्ताओं को हो रहा है. सड़क की दुर्दशा के विरोध में आम लोगों में आक्र ोश बढ़ता जा रहा है. ठोस नेतृत्व के अभाव में आंदोलन का स्वरूप अब तक नहीं बन सका है. परंतु एक दशक से अधिक समय से परेशानी ङोल रहे आम नागरिक स्वत: गोल बंद होते नजर आ रहे है.जगह जगह आंदोलन की सुगबुगाहट भी तेज हो गयी है. सबसे आश्चर्य जनक यह कि दरभंगा से जयनगर के बीच 50 लाख के करीब आबादी उक्त सड़क से जुड़ा है.

परंतु सरकारी स्तर पर एक दशक से सड़क को भगवान भरोसे छोड़ दिया गया है. किसी भी राजनीतिक दल ने जनहित से जुड़े इस अहम मुद्दे को आकाओं तक पहुंचाने की पहल नहीं की है. राष्ट्रीय उच्च पथ प्रमंडल जयनगर के कार्यपालक अभियंता ने निर्माण कार्य के संवेदक गंगोत्री इंटरप्राइजेज की भागने की बात कर कर हाथ खड़ा कर लिया है. वे स्पष्ट कहते है कि जजर्र हो चुके एनएच 105 की मरम्मती तक की कार्य वे नहीं कर सकते क्योंकि उनके पास आवंटन नहीं है.

नरार में ग्रामीणों की मांग पर जब बीडीओ ने डीएम साहब से बात किया तो उन्होंने सड़क की दुर्दशा एवं क्षेत्र में बढ़ते आक्रोश की जानकारी पूर्व में भी दिये जाने की बात कही. ग्रामीणों की मांग पर पुन: विभाग एवं सरकार में लिखे जाने का आश्वासन दिया है. सड़क का दुर्भाग्य ऐसा कि जिलाधिकारी के रिपोर्ट का भी असर विभाग अथवा सरकार में नहीं है. एक दशक से सड़क की बदहाली से लोग ऊब गये हैं.

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