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नियम 48 घंटे निगरानी में रखने का, छुट्टी 10 से 12 घंटे में

नवजात के जीवन से खिलवाड़, जन्म के कुछ घंटे बाद ही दे दी जाती है छुट्टी स्वास्थ्य को देखते हुए जन्म के अगले 48 घंटे तक हर हाल में डॉक्टर की निगरानी में रखा जाता है नवजात को प्रसूति विभाग में सुविधाओं का टोटा, कुछ ही घंटों में प्रसूता को दी जाती है छुट्टी मधुबनी […]

नवजात के जीवन से खिलवाड़, जन्म के कुछ घंटे बाद ही दे दी जाती है छुट्टी

स्वास्थ्य को देखते हुए जन्म के अगले 48 घंटे तक हर हाल में डॉक्टर की निगरानी में रखा जाता है नवजात को
प्रसूति विभाग में सुविधाओं का टोटा, कुछ ही घंटों में प्रसूता को दी जाती है छुट्टी
मधुबनी : सदर अस्पताल स्थित प्रसूति विभाग में सुविधओं का घोर अभाव है. इसके कारण प्रसव के बाद प्रसूता को कुछ ही घंटों बाद डिस्चार्ज कर दिया जाता है. लेकिन अपना पक्ष मजबूत करने के लिये अस्पताल प्रबंधन प्रसूता के परिजनों से अपनी मर्जी से ले जाने का मसौदा लिखा कर ले लेते हैं.
हकीकत यह है कि यहां प्रसूता और गर्भवती महिला को न तो रहने की उचित व्यवस्था है और न ही बेहतर चिकित्सा सुविधा. आलम यह है कि ए ग्रेड नर्स ही सभी गर्भवती महिलाओं का प्रसव कराती है. और चिकित्सक ऑन कॉल रहते हैं. इसके बाद भी प्रसव कक्ष को राज्य स्तरीय टीम द्वारा लक्ष्य प्रमाणीकरण में 85 प्रशिशत अंक दिया गया.
प्रसूति विभाग में प्रसव के लिये आने वाले गर्भवती महिला को प्रसव के कुछ घंटे बाद ही छुट्टी कर दी जाती है. जबकि प्रसव के बाद 48 घंटे तक महिला चिकित्सक की देखरेख में रखने का प्रावधान है. विदित हो कि गुरुवार को शाम से लेकर सुबह तक प्रसव कक्ष में 17 गर्भवती महिलाओं का प्रसव हुआ, जिसके बाद शुक्रवार की सुबह दस बजे तक सभी प्रसूता को छुट्टी दे दी गई.
इसमें भगवतीपुर की नीतू कुमारी,, सतघारा की शगुफ्ता शाहिन, बसुआरा की ज्योति सिंह, पाली की बबिता देवी, डोकहर की मुन्नी कुमारी, चकदह की पूनम देवी, सप्ता की सरिता, भखरौली की खुशबू खातून, सौराठ की मंजू, रांटी की समीना खातून, नरकटिया की मिन्नत खातून, सप्ता की मंजू, रांटी की समीना खातून, सप्ता की सोनी, हरिनगर की गंगा देवी, भदुली की गुड़िया, शुभंकरपुर की सीमा कुमारी व सोहास की खुशबू देवी शामिल हैं.
महिला चिकित्सक और ए ग्रेड की है कमी : प्रसव कक्ष में गर्भवती महिलाओं का प्रसव ए ग्रेड नर्स द्वारा ही कराया जाता है. प्रसूति विभाग में डॉ रमा झा व डॉ आकांक्षा पदस्थापित है. बिडंबना यह है कि सदर अस्पताल में एक भी विशेषज्ञ महिला चिकित्सक पदस्थापित नहीं है. उपलब्ध चिकित्सक ऑनकॉल रहती है.
जबकि प्रत्येक शिफ्ट में महिला चिकित्सक का होना अनिवार्य है. लेकिन विभाग एक ओर शिशु व मातृ मृत्युदर को कम करने के लिये नीत नई योजना लागू कर रही है. अस्पताल में ए ग्रेड नर्स सहित चतुर्थवर्गीय महिला कर्मी का भी अभाव है. जिसके कारण प्रसव की सभी कार्य कर्मी का अभाव है. कई मता ने बताया कि रात की पाली में 8 बजे से सुबह 8 बजे तक कार्य लिया जाता है. लेकिन ममता के लिये कोई सुविधा नहीं है. जबकि प्रसव कक्ष के निकट ही मतता का कक्ष है. लेकिन वह भी सुविधा विहीन.

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