मधुबनी : नप का कार्यशैली भी अजिब है. जिस मशीन पर लाखों रुपये खर्च किये गये उसका उपयोग नहीं किया जा रहा. और शहर की जनता बाजार में पैसे खर्च कर गंदगी उठवाने को मजबूर हैं. नगर परिषद द्वारा नागरिक सुविधाओं के लिए खरीदे गए उपकरण दम तोड़ रही है. जिससे सफाई से लेकर अन्य […]
मधुबनी : नप का कार्यशैली भी अजिब है. जिस मशीन पर लाखों रुपये खर्च किये गये उसका उपयोग नहीं किया जा रहा. और शहर की जनता बाजार में पैसे खर्च कर गंदगी उठवाने को मजबूर हैं. नगर परिषद द्वारा नागरिक सुविधाओं के लिए खरीदे गए उपकरण दम तोड़ रही है. जिससे सफाई से लेकर अन्य कार्य कार्य बाधित हो रहा है.
जगह जगह पर कूड़ा कचरा का ढ़ेर है. शौचालय सफाई के लिये आम लोगों को निजी मशीन मालिक को मनमाने पैसे देने पड़ रहे हैं. नप द्वारा खरीद किया गया कूड़ा उठाने वाला हाईवा, शौचालय साफ करने वाला टैंक, फॉगिंग मशीन आदि शोभा की वस्तु बनकर रह गया है. इन खरीद पर लाखों रुपया खर्च किये गये थे.
मशीन खरीद में लाखों खर्च. नगर परिषद ने जनता के उपयोग के नाम पर लाखों रुपये खर्च कर मशीन की खरीदारी की. जानकारी के अनुसार चार फॉगिंग मशीन है. जिसकी खरीद पर चार लाख से उपर खर्च किये गये थे. ये सभी रख रखाव के अभाव में दम तोड़ चुकी है. इधर, शहर में कहीं भी फॉगिंग मशीन नहीं चला रहा. जिस कारण शहर वासी मच्छर से परेशान है.
इसी प्रकार एक हाइवा की खरीद पर 60 लाख से उपर खर्च किए गए थे. पर दो वर्षों से यह खराब होकर पड़ा है. हाइवा का काम शहर के कचरे पेटी का उठाव कर हाइवा में उसे अनलोड करना है. यहां यह बता दें कि इस मशीन से लोहे वाला कचरा पेटी का ही उठाव किया जा सकता है. पर शहर में इन दिनों कहीं भी लोहा वाला बड़ा कचरा पेटी नहीं है. ऐसे में इस हाइवा के खरीद पर ही सवालिया निशान है. जिस मशीन का उपयोग ही नहीं हो रहा उस पर 60 लाख रुपये खर्च कर दिये गये.
जबकि शहर के लोगों के शौचालय के टैंक की सफाई के लिये दस लाख की लागत से खरीदा गया शॉकिंग मशीन चार साल से खराब पड़ा है. नप के द्वारा लोगों को शौचालय सफाई के लिये मशीन उपलब्ध नहीं कराया जा रहा. ऐसे मे अब लोग शौचालय सफाई के लिये निजी मालिकों को मनमाना पैसा देने को मजबूर हैं. बाजार से मिली जानकारी के अनुसार एक टैंक शौचालय सफाइ के लिये 1200 से 1500 रुपये तक लिये जा रहे हैं.