मधेपुरा : ताड़कोआ का नशा से कोई संबंध नहीं. ताड़ का यह फल कच्ची अवस्था में काफी मीठा, गूदेदार और मीठे पानी से भरा होता है. गर्मी के दिनों में होने वाले इस फल को गांव-देहात में लोग बाग बड़े चाव से खाया करते हैं. गाहे बगाहे शहर में भी तड़कोआ दिख जाया करता है. […]
मधेपुरा : ताड़कोआ का नशा से कोई संबंध नहीं. ताड़ का यह फल कच्ची अवस्था में काफी मीठा, गूदेदार और मीठे पानी से भरा होता है. गर्मी के दिनों में होने वाले इस फल को गांव-देहात में लोग बाग बड़े चाव से खाया करते हैं. गाहे बगाहे शहर में भी तड़कोआ दिख जाया करता है. बिहार में नशाबंदी के बाद ताड़ी पर भी पाबंदी है.
ताड़ी उतार कर बेचने के व्यवसाय में लगे लोग इन दिनों तड़कोआ बेचने में लग गये हैं. शहर में भी जगह -जगह तड़कोआ बेचने का सिलसिला चल पड़ा है. लोग इसे काफी पसंद भी कर रहे हैं. यही कारण है कि दो-तीन रूपये में मिलने वाला तड़कोआ की कीमत दस रूपये हो गयी है. ताड़ी के बजाय तड़कोआ बेचने वाले इसे बेच कर भी खुश नजर आ रहे हैं. फल अच्छा है और कीमत भी मिल रही है.
चाव से खा रहे हैं लोग तड़कोआ : जिला मुख्यालय के पुरानी बाजार निवासी अभिषेक श्रीवास्तव कहते हैं कि बाहर रहते हुए तड़कोआ का स्वाद भी भूल गया था. लेकिन अब जब बाजार में बिकता देखा तो खुद पर काबू नहीं रख सका. अब भी तड़कोआ का वही स्वाद है जो बचपन में महसूस होता था. वहीं वार्ड संख्या आठ के निवासी राजा कुमार कहते हैं कि बचपन से ही बाहर रहा. तड़कोआ के बारे में केवल सुना था. इन दिनों मधेपुरा की सड़कों से गुजरने पर अक्सर दिखायी दे जाता है. कौतूहलवश इसका स्वाद चखा तो बहुत अच्छा लगा. विगत एक सप्ताह से इसके स्वाद का आनंद ले रहा हूं.
शहर में कई जगह लगी दुकानें : शहर में एसडीओ ऑफिस के सामने, बस स्टैंड के पास, स्टेशन रोड सहित करीब एक दर्जन जगहों पर तड़कोआ के ये दुकान दिखी. ताड़ के फल गुच्छे में रखे हैं और दो या तीन लोग उन्हें छील कर अंदर मीठा फल निकालने में व्यस्त हैं. बस स्टैंड के पास दुकान लगाये सिंहेश्वर के झिटकीया निवासी इंद्रजीत कुमार ने बताया कि वे लोग बड़ी संख्या में अलग -अलग जगह पर दुकानें लगाये हैं. उनके पिता लालो पासी इस काम में उसकी मदद कर रहे हैं. उसने कहा कि पहले तड़कोआ पर ध्यान नहीं जाता था. समय मिला तो बेच लेते थे.