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अस्पताल की राह में अधूरा भवन बना रोड़ा

उदाकिशुनगंज : उदाकिशुनगंज में 28 वर्ष पूर्व बना रेफरल अस्पताल को आठ वर्ष पूर्व अनुमंडलीय अस्पताल का दर्जा प्राप्त हुआ. दर्जा प्राप्ति के बाद अनुमंडलीय अस्पताल भवन बनाने के लिए साढ़े तीन करोड़ की राशि प्राप्त हुई. बावजूद कि वर्षों से निर्माण कार्य अधूरा पड़ा हुआ है. वहीं पूर्व में बना रेफरल अस्पताल का आवासीय […]

उदाकिशुनगंज : उदाकिशुनगंज में 28 वर्ष पूर्व बना रेफरल अस्पताल को आठ वर्ष पूर्व अनुमंडलीय अस्पताल का दर्जा प्राप्त हुआ. दर्जा प्राप्ति के बाद अनुमंडलीय अस्पताल भवन बनाने के लिए साढ़े तीन करोड़ की राशि प्राप्त हुई.
बावजूद कि वर्षों से निर्माण कार्य अधूरा पड़ा हुआ है. वहीं पूर्व में बना रेफरल अस्पताल का आवासीय भवन जंगल से पट चुका है. इस अस्पताल को छह वर्ष पूर्व अनुमंडीय अस्पताल का दर्जा प्राप्त हुआ. लेकिन भवन का काम पूरा नहीं होने से अस्पताल चालू नहीं हो पाया.
आलम यह है कि भवन निर्माण विभाग के अधिकारियों की उदासीनता के कारण दो वर्ष से भवन निर्माण कार्य ठप पड़ा हुआ है. मामले पर सरकार भी गंभीर नहीं दिख रही है. इस मामले को लेकर स्थानीय एमएलए एएमपी कभी भी अपना मुंह नहीं खोला. जबकि मामला ऐसे जन सरोकार से जुड़ा हुआ है. इससे किसी की जिंदगी बच सकती है. गंभीर और समान्य रूप से बीमार लोगों को इलाज के लिए दूसरे शहर में जाना नहीं पड़ता.
आर्थिक रूप से कमजोर लोगों को ईलाज का बोझ नहीं पड़ता. लोग कह रहे है कि दूसरे की जिंदगी से ओरों को क्या मतलब है? वजह कि नेता या पदाधिकारी को तो अपना या परिवार का इलाज यहां के अस्पताल में कराना नहीं है. ओहदे के लोग बड़े बड़े शहरों के अस्पताल में इलाज कराने जाते हैं. लेकिन यहां के उन गरीबों के लिए यही बड़ा शहर दिखाई देता है. जहां सहजता के साथ इलाज आसानी हो पाता. विस चुनाव के दौरान लोगों ने समस्या को उठाया था. किंतु किसी ने इस ओर ध्यान नहीं दिया. इस संबंध में भवन निर्माण विभाग राशि नहीं होने का रोना रो रहे हैं.
28 वर्ष पूर्व बना रेफरल
अनुमंडल मुख्यालय से दो किमी की दूरी पर हरैली गांव के पास वर्ष 1987 ई में 38 शैया वाला रेफरल अस्पताल का भवन निर्माण 33 लाख की राशि से कराया गया. 1988 ई से अस्पताल काम करना शुरू किया. पहले रेफरल अस्पताल पीएचसी के अधीन था. वर्ष 1999 इ में इसे पूर्ण रूपेण रेफरल अस्पताल का दर्जा स्वास्थ विभाग से प्राप्त हुआ. उस समय पांच चिकित्सक, दो ए ग्रेड नर्स, एक माली, एक रसोईया, दो लिपिक, एक फर्मासिस्ट, एक नाईट गार्ड का पद स्वीकृत किया गया. जहां महज नाईट गार्ड ही पदस्थापित है.
सात वर्ष पूर्व मिला अनुमंडलीय अस्पताल का दर्जा . संयुक्त सचिव बिहार सरकार पटना के पत्रांक 10 अनु -5-02-2008 -45 10 दिनांक 15.06.2009 तथा वित्त विभाग बिहार पटना के ज्ञापांक 356 दिनांक 17.12.2009 के आलोक में उदाकिशुनगंज समेत राज्य के 15 रेफरल अस्पताल को अनुमंडलीय अस्पताल का दर्जा मिला. दर्जा बाद वरीय लेखा अधिकारी महालेखाकार कार्यालय बिहार पटना ने मधेपुरा के कोषागार पदाधिकारी को पत्र लिखकर अवगत कराया कि अनुमंडलीय अस्पताल के उपाधीक्षक और जहां उपाधीक्षक का पद स्वीकृत न हो वहां सिविल सर्जन को निकासी एवं व्ययन पदाधिकार प्राधिकृत किया गया.
कहते हैं ग्रामीण . स्थानीय मुखिया सीमा देवी, प्रो लाल कुमार यादव, विनोद यादव, पैक्स अध्यक्ष नीरज कुमार सिंह, अखिलेश यादव, टुनटुन सिंह, निशा रानी, केपी मंडल राम इकबाल सिंह, बालकिशोर गुप्ता, पप्पू यादव, अन्नू देवी, सुशील मिश्र, अजय मेहता, सुरेंद्र यादव, लव कुमार आदि का कहना है कि अधिकारी और संवेदक के बदनियति के कारण भवन निर्माण कार्य पूर्ण नहीं हो पाया. सरकार और स्थानीय जनप्रतिनिधि भी उदासीन बने रहे. यदि अस्पताल चालु होता तो महज अनुमंडल ही नहीं सीमावर्ती जिले के गांव के लोगो को भी फायदा होता.

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