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बिजली विभाग द्वारा करंट से पशु मौत होने पर नहीं दिया जाता है मुआवजा

लगातार एक लाइन में हो रही दुर्घटना मधेपुरा : बिजली विभाग की लापरवाही या करंट लगाने से अगर मनुष्य की मौत होती है, तो उसे विभाग द्वारा चार लाख रुपया मुआवजा दिये जाने का प्रावधान है, लेकिन अगर पालतु पशु की मौत हो जाय तो बिजली विभाग कोई मुआवजा नहीं देती है. इस बाबत विभागीय […]

लगातार एक लाइन में हो रही दुर्घटना

मधेपुरा : बिजली विभाग की लापरवाही या करंट लगाने से अगर मनुष्य की मौत होती है, तो उसे विभाग द्वारा चार लाख रुपया मुआवजा दिये जाने का प्रावधान है, लेकिन अगर पालतु पशु की मौत हो जाय तो बिजली विभाग कोई मुआवजा नहीं देती है.
इस बाबत विभागीय नियम का हवाला देते हुए अधिकारी हाथ खड़े कर लेते है, जबकि लोगों की आजीविका में पालतु पशु की बहुत बड़ी भूमिका है. दुधारू पशु से कई घर का रोजगार चलता है.
केस स्टडी – 1
सदर प्रखंड गढिया गांव के कृष्ण देव यादव की भैंस की मौत करंट लगने से हो गयी. भैंस का बकायदा पोस्टमार्टम हुआ. डॉक्टर ने मौत की वजह करंट लगने से बताया. घर की आजीविका का मुख्य आधार भैंस का दूध बेचना था. ऐसे में बेहाल कृष्ण देव यादव बिजली विभाग से लेकर प्रखंड तक का चक्कर काट कर थक गये. वे कहते है भैंस को मरे हुए एक साल हो गया है, लेकिन आजतक मुआवजा नहीं मिला है.
केस स्टडी – 2
2016 के नवंबर में गढिया गांव के जय कुमार यादव की भैंस की मौत हो गयी. बिजली के तार आपस में संपर्क में आने से तार टूट गया. जय कुमार ने कहा कि 2015 में भी इसी तरह की घटना हुई थी और धान का बोझा समेत झोपड़ी में भी आग लग गयी थी. जय हमेशा अनहोनी की आशंका से परेशान रहते है. स्थानीय शिक्षक संजय कुमार बताते है पूर्व में इसी तार के गल कर गिर जाने से बालम गढिया, श्रीपुर चकला के बहियार में गेहूं की फसल जल गयी थी. जबकि कई वर्ष पूर्व जयकुमार चचरे भाई ललन की भी मौत करंट लगने से हो गयी थी.

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