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छोटी चहारदीवारी के भरोसे सुरक्षा
लखीसराय के नक्सल प्रभावित जिला होने व यहां नक्सलियों सहित बाहुबिलयों के जेल में बंद होने की वजह से कोर्ट में आये दिन इन लोगों की पेशी होती रहती है. हालांकि उस दौरान जिला पुलिस बल की तैनाती तो होती है लेकिन सुरक्षा के दृष्टिकोण से यह बिल्कुल असुरक्षित है. लखीसराय : विगत दिनों सूबे […]
लखीसराय के नक्सल प्रभावित जिला होने व यहां नक्सलियों सहित बाहुबिलयों के जेल में बंद होने की वजह से कोर्ट में आये दिन इन लोगों की पेशी होती रहती है. हालांकि उस दौरान जिला पुलिस बल की तैनाती तो होती है लेकिन सुरक्षा के दृष्टिकोण से यह बिल्कुल असुरक्षित है.
लखीसराय : विगत दिनों सूबे के कई जिलों के व्यवहार न्यायालयों में असामाजिक तत्वों द्वारा बम विस्फोट जैसी घटनाओं को अंजाम दिये जाने की खबर के बाद लखीसराय का विधिज्ञ संघ भी लखीसराय सिविल कोर्ट की सुरक्षा के प्रति चिंतित होने लगा है़ यहां की चहारदीवारी की कम ऊंचाई एवं सभी गेटों पर मेटल डिटेक्टर नहीं होने से कोर्ट परिसर की सुरक्षा पर लगातार सवाल उठाया जा रहा है़
यहां बता दें कि लखीसराय के नक्सल प्रभावित जिला होने तथा यहां नक्सलियों सहित बाहुबिलयों के जेल में बंद होने की वजह से कोर्ट में आये दिन इन लोगों की पेशी होती रहती है, हालांकि उस दौरान जिला पुलिस बल की तैनाती तो होती है लेकिन कोर्ट परिसर में लोगों के आवागमन की सही से जांच नहीं होती है़ बाकी समय में भी सुरक्षाकर्मी कोर्ट परिसर में रहते तो हैं लेकिन लोगों के आने जाने के समय जांच नहीं की जाती है़
कोर्ट में प्रवेश के पांच गेट
सिविल कोर्ट परिसर में प्रवेश के लिए वैसे तो छह गेट बनाये गये हैं, लेकिन उसमें सिर्फ एक गेट पर ही मेटल डिटेक्टर लगाया गया है तथा परिवार न्यायालय एवं जिला जज के समक्ष एक-एक गेट बंद ही रहता है़ इसके अलावे तीन गेटों से लोगों को बेरोकटोक पैदल व बाइक से आना जाना लगा रहता है़
सिर्फ जब कहीं के कोर्ट में कोई घटना की सूचना मिलती है तो कुछ समय के लिए इन गेटों पर सुरक्षाकर्मियों को तैनात किया जाता है़
बोले विधिज्ञ संघ के अध्यक्ष
जिला विधिज्ञ संघ के अध्यक्ष रमेश कुमार ने कहा कि कई बार विधिज्ञ संघ अपनी बैठक में प्रस्ताव लेकर जिला प्रशासन को चहारदीवारी निर्माण के लिए आवेदन दिया गया़ जिला प्रशासन द्वारा इस संबंध में आश्वासन भी दिया गया लेकिन आज तक सुरक्षा को लेकर चहारदीवारी की ऊंचाई नहीं बढ़ाई जा सकी है़ इतना ही नहीं तत्कालीन जिला जज रामश्रेष्ठ राय ने भी डीएम से सुरक्षा को देखते हुए चहारदीवारी की ऊंचाई बढ़ाने की बात कही थी, लेकिन स्थित आज भी जस की तस बनी हुई है़
चहारदीवारी के बगल में लगती हैं दुकानें
एक तरफ कोर्ट परिसर की छोटी चहारदीवारी और उसपर उसके बगल में लगने वाली दुकानें कहीं से सुरक्षा की दृष्टि से उपयुक्त नहीं मानी जा सकती है़ दुकानों में कई प्रकार के लोगों का उठना बैठना लगा रहता है और कब कोई किसी अप्रिय घटना को अंजाम दे जाय यह कहा नहीं जा सकता है़
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