नक्सलियों के लिए सॉफ्ट टारगेट रहा है लखीसराय, जमुई व मुंगेर
लखीसराय : सोमवार को छपरा कोर्ट परिसर में बम धमाका के बाद बिहार सरकार ने न्यायालय की सुरक्षा के लिये अभी तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया है. राज्य के अन्य न्यायालयों की भांति लखीसराय न्यायालय की सुरक्षा विहीन है. जबकि लखीसराय, जमुई व मुंगेर नक्सलियों के साॅफ्ट टारगेट जिले हैं. नक्सल प्रभावित होने के कारण लखीसराय मंडल कारा में कई नक्सली किसी वारदात को अंजाम दे सकते हैं.
पूर्व में वर्ष 2008 में नक्सलियों ने लखीसराय अनुमंडल न्यायिक दंडाधिकारी के अदालत के समक्ष कब्जा कर अदालत में हाजिर होने के लिए लाये गये एक नक्सली को छुड़ा कर अपने साथ ले गये. इइ हमले में आरक्षी अधीक्षक कार्यालय में तैनात एक कांस्टेबुल की मौत हो गयी थी तथा कई अन्य घायल हो गये थे. हमला इतना जबरदस्त था कि कई दिनों तक न्यायालय परिसर सन्नाटा में डूबा रहा. इस हमले में नक्सली महिला की दस्ता अधिक थी.
न्यायालय परिसर के अलावे एसपी, डीएम, अनुमंडल व उपकारा का कार्यालय भी है. उस समय भी सरकार ने नक्सली संगठन पर कठोर कार्रवाई की बात कही थी, परंतु कुछ नहीं हुआ. आज भी लखीसराय न्यायालय प्रवेश के लिये छह गेट, छोटी दीवार है. परंतु यहां देखने वाला कोई नहीं है. नक्सली कब हमला कर दे कोई पता नहीं. थोड़ी चूक में कभी भी बड़ा घटना घट सकती है. छपरा के बाद उच्च न्यायालय ने 38 जिलों के न्यायालयों की सुरक्षा की बात कही है. देखना यह है कि लखीसराय व्यवहार न्यायालय को कब सुरक्षा प्रदान करती है व वह कितना कारगर होगा.