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भगवान न करे ऐसा दुर्भाग्य किसी बच्ची को मिले

भगवान न करे ऐसा दुर्भाग्य किसी बच्ची को मिले चोटिल सुधा लगा रही है मदद की गुहार-मुख्यमंत्री को पत्र लिख कर मांगी मदद-पीएमसीएच में इलाजरत बच्ची अब तक सरकारी मदद से है वंचित-गरीब मौसी के सहारे जीवन बिताने की मजबूरी-माता पिता की हो गयी थी हत्या-अन्य तीन भाई बहन के भविष्य की भी है चिंताफोटो […]

भगवान न करे ऐसा दुर्भाग्य किसी बच्ची को मिले चोटिल सुधा लगा रही है मदद की गुहार-मुख्यमंत्री को पत्र लिख कर मांगी मदद-पीएमसीएच में इलाजरत बच्ची अब तक सरकारी मदद से है वंचित-गरीब मौसी के सहारे जीवन बिताने की मजबूरी-माता पिता की हो गयी थी हत्या-अन्य तीन भाई बहन के भविष्य की भी है चिंताफोटो : 7(पीएमसीएच में इलाजरत सुधा पांडेय)प्रतिनिधि, सोनो एक ऐसी अभागन बच्ची आज पटना के पीएमसीएच में जिंदगी की जंग लड़ रही है. जिसकी मासूम आंखों ने बड़े सपने देखे थे़ अपने वर्ग में हमेशा अव्वल आने वाली यह बच्ची आईएस की परीक्षा में सफल होकर देश की सेवा करना चाहती थी़ परंतु दुर्भाग्य का ऐसा चक्रवात आया जिसने उसके सपनो को अपने साथ उड़ा ले जाना चाहा़ सुधा नाम की यह बच्ची चकाई प्रखंड के कियाजोरी के समीप बगवा की निवासी है. वर्ष 2009 में तीन माह के अंतराल में उसके माता-पिता की हत्या कर दी गयी थी़ अपने माता-पिता की हत्या के बाद पिछले कुछ वर्षों से अपने छोटे-छोटे दो भाई व एक बहन के साथ सोनो के महेश्वरी स्थित अपनी मौसी के घर पनाह ली हुई थी़ खुद पाकुड के महेशपुर स्थित कस्तुरबा आवासीय विद्यालय में पढ़ाई करने गयी सुधा बीते 15 दिसंबर को छात्रावास की छत से गिर गयी़ उसके हाथ व पैर की हड्डियां फ्रे क्चर हो गयी़ रीढ़ की हड्डी में भी गंभीर चोटे आयी है. ़स्थिति की गंभीरता देख स्थानीय चिकित्सक ने उसे पीएमसीएच रेफर कर दिया़ पीएमसीएच स्थित ट्रामा वार्ड के बेड नंबर 17 पर पिछले 25 दिनों से सुधा इलाजरत है़ आर्थिक रूप से बेहद कमजोर उसकी मौसी किसी तरह उसका इलाज करा रही है़ प्रतिदिन हजार दो हजार का खर्च कर्ज लेकर की जा रही है. अर्थाभाव से परेशान अपनी मौसी की स्थिति अब सुधा से सही नही जा रही है. उस पर भी अपनी आगे की पढ़ाई और अपने भाई बहनों के भविष्य की चिंता से वो परेशान है़ लेकिन वो हिम्मत नहीं हारी है़मुख्यमंत्री को लिखी पत्रबीते 23 दिसंबर को उसने अस्पताल से ही मुख्यमंत्री को मार्मिक पत्र भेज कर सारी बातों का विस्तृत जानकारी देते हुए अपने इलाज व आगे की पढ़ाई की समुचित व्यवस्था करने के अलावे छोटे भाई-बहन की पढ़ाई व परवरिश की व्यवस्था की गुहार लगायी़ उसने पत्र में आईएएस की तैयारी के अपने सपने की बात का भी जिक्र की है. वह हमेशा अपने वर्ग में अव्वल रहती है़ हालांकि उसके पत्र को लेकर अब तक कोई जवाब या फिर कोई सरकारी सहायता नही मिली है. परंतु वह आशान्वित है कि मुख्यमंत्री अवश्य उसकी सुधि लेंगे़समय ने छीन ली खुशियांसुधा अपने माता-पिता व भाई बहन के साथ अपने गांव बगवा में खुशी-खुशी रह रही थी़ तभी वर्ष 2009 में उसके घर की खुशियों पर ग्रहण लगा़ उसके पिता शिक्षक संजय पांडेय की हत्या बड़ी चालाकी से अपराधियों ने कर दिया़ उस दुखद समय को झेलते हुए सुधा की माता गीता ने बच्चों की परवरिश के लिए आंगनबाड़ी केंद्र में काम करना शुरू की़ परंतु दुर्भाग्य ने यहां भी इस परिवार का पीछा नही छोड़ा.तीन माह बाद ही सुधा की माता की भी अपराधियों ने गला रेत कर हत्या कर दिया़ मां का सहारा छीनते ही सात वर्ष की उम्र में सुधा पर दुखों का पहाड़ टूट गया़ अपने तीन छोटे भाई-बहन की जिम्मेदारी अपने मासूम कंधे पर लिए सुधा दर-दर की ठोकरे खाने लगी़ इसी क्रम में उसे अपनी मौसी का सहारा मिला़ खुद झारखंड के महेशपुर स्थित कस्तुरबा आवासीय विद्यालय में अध्ययन कर रही थी़ कहा जाता है कि विपत्ति अभी अकेले नही आती है. यही कहावत चरितार्थ हुई मासूम छात्रा सुधा पांडेय के साथ़ छह वर्ष पूर्व माता पिता को खोकर कस्तूरबा आवासीय विद्यालय में पढ़ रही सुधा गत 15 दिसंबर को अचानक छात्रावास की छत से गिर गयी़ इस दुर्घटना में उसके न सिर्फ हाथ व पांव की हड्डी सहित रीढ़ की हड्डी में गंभीर चोट आयी़राशि का अभाव बन सकता है इलाज में बाधायूं तो सुधा सरकारी अस्पताल में इलाजरत है फिर भी इलाज के दौरान कई प्रकार की दवाइयां बाजार से मंगवानी पड़ती है़ परिजनों का रहने व खाने पीने में भी खर्च हो रही है़ मौसा जनार्दन पांडेय पूजा-पाठ कर किसी तरह परिवार का भरण पोषण कर रहे है़ ऐसे में लंबे इलाज का खर्च आखिर कब तक वो ढो पाएंगे़ जमुई के समाजसेवी आईपी गुप्ता ने दस हजार की आर्थिक मदद अवश्य किया. परंतु सुधा का लंबे समय तक इलाज चलना है़ सुधा की मौसी को इस बात की चिंता है कि कहीं राशि के अभाव में उसका इलाज न प्रभावित हो जाय़सुधा को अपने भाई-बहन की है चिंतापीएमसीएच में इलाजरत सुधा कहती है कि भगवान न करे मेरे जैसा दुर्भाग्य किसी लड़की को मिले़ आखिर ईश्वर ने मेरे साथ ही ऐसा क्यों किया़ अपने भाई-बहन के भविष्य को लेकर चिंतित है़ कहती है कि मेरा पुस्तैनी मकान व जमीन मुख्यमंत्री ले लें. परंतु मेरे भाई-बहन के परवरिश व पढ़ाई की व्यवस्था कर दे़ अपनी पढ़ाई की बाबत वो अब भी आशावान है़ वो कहती है कि अपने लक्ष्य की प्राप्ति के लिए हर संघर्ष करने को तैयार हूं.

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