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पंचायत चुनाव की सरगर्मी तेज

पंचायत चुनाव की सरगर्मी तेज प्रतिनिधि, मेदनीचौकीपंचायत चुनाव 2016 को लेकर प्रखंड के 28 पंचायतों में चुनावी सरगर्मी तेज हो गयी है. हालांकि मतदाताओं में प्रतिनिधियों के प्रति असंतोष और आक्रोश देखा जा रहा है. जाहिर है प्रतिनिधियों द्वारा प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से अपने समर्थकों के सहारे चुनावी समर जीतने की जी तोड़ कोशिश […]

पंचायत चुनाव की सरगर्मी तेज प्रतिनिधि, मेदनीचौकीपंचायत चुनाव 2016 को लेकर प्रखंड के 28 पंचायतों में चुनावी सरगर्मी तेज हो गयी है. हालांकि मतदाताओं में प्रतिनिधियों के प्रति असंतोष और आक्रोश देखा जा रहा है. जाहिर है प्रतिनिधियों द्वारा प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से अपने समर्थकों के सहारे चुनावी समर जीतने की जी तोड़ कोशिश की जायेगी. महिला सीटों पर पूर्व प्रत्याशियों ने अपनी अपनी पत्नी को खड़ा करने का मन बना लिया है. कुछ मुखिया विवश होकर जिला परिषद सदस्य के रूप में चुनावी समर में कूदने पर विचार कर रहे हैं. चार मुखिया ने इसकी सूचना दी है. गांव की गलियों, चौपालों, चौक चौराहों से लेकर बाजार की चाय-पान की दुकानों पर पंचायत चुनाव की रणनीति-कूटनीति बनने बिगड़ने लगी है. हालांकि आम मतदाताओं के बीच चुनावी माहौल नहीं बन पाया है. आम मतदाता खामोश पड़े हुए हैं. किरणपुर पंचायत के अनंत सिंह ने बताया कि गरीबों को उनका हक नहीं मिला. उनकी सुध नहीं ली गयी. विभिन्न कल्याणकारी योजनाओं का लाभ उन्हें नहीं मिला. इंदिरा आवास में उन्हें रिश्वत देनी पड़ी. मोटी रकम लेकर आंगनबाड़ी केंद्रों में सेविका सहायिका पदों पर नियुक्ति की गयी. समय पर खाद्य सुरक्षा अधिनियम के तहत लाभुकों को राशन कार्ड नहीं मिला. पंचायत प्रतिनिधियों ने इसकी परवाह नहीं की. पांच गिरफ्तारमेदनीचौकी. मेदनीचौकी थाना पुलिस ने क्षेत्र के तीन अलग-अलग स्थानों पर छापामारी कर पांच गैर जमानतीय वारंटियों को गिरफ्तार कर मंगलवार को जेल भेज दिया. मेदनीचौकी थानाध्यक्ष सुनील कुमार झा ने बताया कि भिड़हा गांव निवासी जवाहर साव, बालेश्वर साव, मुन्ना कुमार, मिल्की गांव निवासी राम वरण चौधरी तथा देवघरा निवासी राजेश कुमार को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया है.सूर्यगढ़ा बस पड़ाव पर यात्री सुविधाओं की कमी* पड़ाव से आठ बसों को होता है परिचालन* यात्री शेड तक नहीं प्रतिनिधि, मेदनीचौकीप्रखंड मुख्यालय सूर्यगढ़ा सरकारी बस पड़ाव में यात्री सुविधाओं की घोर कमी है. यात्रियों के लिए बैठने तक की व्यवस्था नहीं है. इससे महिला, वृद्ध, बच्चे आदि को परेशानी का सामना करना पड़ता है. यात्री शेड की मांग पूर्व से ही होती रही है. पर इसको लेकर अब तक कोई पहल नहीं हो पायी है. शौचालय व यूरिनल भी नहीं है. किराये की एक तंग जगह पर वर्षो से टिकट बुकिंग का कार्य हो रहा है. जहां से लोगों को बस के आवागमन की समय का पता चल जाता है. यहां से भागलपुर और बेगूसराय के लिए एक भी बस नहीं है. वर्तमान में इस पड़ाव से आठ बसों का परिचालन हो रहा है.रूट आगमन प्रस्थान मुंगेर- पटना सुबह 5.45 बजे सुबह 6 बजेपटना- मुंगेर रात 9.15 बजे रात 9.30 बजेमुंगेर- पटना सुबह 6.15 बजे सुबह 6.30बजेपटना-मुंगेर शाम 8.30 बजे शाम 8.45 बजेमुंगेर-बिहार सुबह 6.40 बजे सुबह 7 बजेबिहार-मुंगेर शाम 5.35 बजे शाम 5.50 बजेमुंगेर- नवादा सुबह 7 बजे सुबह 7.15बजेनवादा-मुंगेर शाम 6 बजे शाम 6.15 बजेमुंगेर- हाथिदह सुबह 9 बजे सुबह 9.15 बजेहाथिदह-मुंगेर शाम 5.10बजे शाम 5.25 बजेमुंगेर- कौआकोल दोपहर 12.35 बजे दोपहर 12.40 बजेकौआकोल-मुंगेर दोपहर 12.35 बजे दोपहर 12.40बजेमुंगेर- नवादा दोपहर 2.20 बजे दोपहर 2.30बजेनवादा- मुंगेर सुबह 10.10 बजे सुबह 10.20बजेमुंगेर-बरबीघा शाम 3.40बजे शाम 3.45 बजेबरबीघा-मुंगेर सुबह 9 बजे सुबह 9.10 बजेसूर्यगढ़ा के किसानों की जगी उम्मीदललन सिंह के जल संसाधन मंत्री बनने से क्षेत्र में सिंचाई सुविधा बढ़ने की आस* अब मिल सकेगा हैवतगंज गंगा पंप नहर योजना से लाभ* बंद पड़े 21 नलकूप होंगे चालू* तालाबों का हो सकेगा जीर्णोद्धारप्रतिनिधि, मेदनीचौकीक्षेत्र के पूर्व सांसद सह पूर्व पथ निर्माण मंत्री राजीव रंजन सिंह उर्फ ललन सिंह के जल संसाधन, योजना व विकास मंत्री बनने से क्षेत्र के किसानों की उम्मीद बढ़ गयी है. वर्षो से सूर्यगढ़ा के किसानों को पानी की कमी का सामना करना पड़ रहा है. साधन के अभाव में स्थानीय किसान आज भी पूरी तरह वर्षा पर निर्भर हैं. भूमिगत जल का इस्तेमाल यहां वैज्ञानिक तरीके से पूरी तरह नहीं हो पा रहा है. कजरा क्षेत्र के खैरा महसोनी में टाली झरना व घोघला कोल झरना है. समीप ही अमरासनी झरना है. इन झरनों का कृषि कार्य के लिए कोई उपयोग नहीं हो पा रहा है. इसी तरह प्रखंड में 150 तालाब हैं. इनमें से कुछ तालाब तो बहुत पुराने हैं, जो इस बात के गवाह है कि यहां तालाबों द्वारा सिंचाई प्रणाली काफी विकसित रही है. लेकिन आज तालाब खुदवाने,और उनका उपयोग करने की प्रथा पृष्ठभूमि में चली गयी. सिंचाई के इस साधन को नजरअंदाज कर दिया गया है. जबकि 1944 में बंगाल के अकाल की जांच के लिए नियुक्त आयोग ने स्पष्ट रूप से व्यापक स्तर पर तालाबों का निर्माण किये जाने की सलाह दी थी, लेकिन इस दिशा में विशेष ध्यान नहीं दिया गया. पहले से खोदे गये तालाबों के रखरखाव के प्रति भी सरकार उदासीन बनी रही. इसी तरह कहने को तो सूर्यगढ़ा में 21 राजकीय नलकूप हैं, लेकिन उनमें से शायद ही कोई चालू अवस्था में है. विश्व बैंक से करोड़ों रुपये कर्ज लेकर बनी हैवतगंज गंगा पंप नहर योजना सफेद हाथी बन कर रह गयी है, जबकि 1994 में ही इस योजना का उद्घाटन हुआ था. सब कुछ ठीक है. जलापूर्ति केंद्र में नहर की मरम्मत की जरूरत है. यदि योजना क्रियान्वित हो पाती है तो इस इलाके के किसानों का दुख दर्द ही दूर हो जायेगा. हाल के वर्षो में कृषि उत्पादन का ग्राफ बताता है कि यहां की उपज ठहर सी गयी है. ऐसी स्थिति में तालाबों, झरनों, राजकीय नलकूपों, सिंचाई परियोजनाओं की ओर विशेष ध्यान देने की जरूरत है. स्थानीय कृषि जानकारों का मानना है कि खाद्यान्न उत्पादन बढ़ाने के लिए अब प्राकृतिक संसाधनों का उचित प्रबंधन ही एकमात्र उपाय है. विज्ञान के इस युग में हम बाढ़ या बारिश के पानी का समुचित प्रयोग कर इसे व्यावसायिक रूप देने में नाकामयाब रहे. नदियों से मिट्टी निकालने की जरूरत है. अब क्षेत्र के किसान नये जल संसाधन सह योजना व विकास मंत्री राजीव रंजन सिंह उर्फ ललन सिंह की ओर इस दिशा में कार्य करने को लेकर उममीद लगाये बैठे हैं.

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