लखीसराय : दुर्गापूजा की सप्तमी तिथि को शहर के सभी दुर्गा मंदिरों में मां दुर्गा की प्रतिमा विधिपूर्वक स्थापित की गयी. श्रद्धालुओं के पूजन के लिए पूजा पंडालों के पट खोल दिया गया. इसके साथ ही पंडालों में श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़नी शुरू हो गयी. पूरा शहर श्रद्धा, भक्ति व उल्लास में डूबा रहा.
बुधवार को महाअष्टमी का व्रत व खोइचा भराई हुई. शहर के विभिन्न दुर्गा स्थानों नया बाजार स्थित बड़ी दुर्गा महारानी, बाजार समिति स्थित दुर्गापूजा समिति, थानाचौक स्थित शिव दुर्गापूजा समिति, विद्यापीठ चौक स्थित महावीर दुर्गा मंदिर, पंजाबी मुहल्ला रेलवे मैदान स्थित काली पूजा व दुर्गा पूजा समिति,
नया बाजार काली स्थान स्थित दुर्गा पूजा समिति, किऊल स्थिति दुर्गा पूजा समिति आदि स्थानों पर सप्तमी पूजा के बाद माता का दरबार सजा. नवरात्र के सप्तमी के दिन पूरे शहर में आस्था व भक्ति का सैलाब उमड़ पड़ा. शहर का हर एक कोना मानो आदिशक्ति मां दुर्गा की अराधना में डूबा रहा. शहर के हर हिस्से में दुर्गापूजा व नवरात्र का अलौकिक दृश्य बना रहा.
भव्य पंडाल की छटा देखते ही बनती थी. मंगलवार को मां दुर्गा के सप्तम पूजन की अाराधना के साथ कालरात्रि पूजन, पत्रिका प्रवेश व मूर्ति पूजन किया गया. इसके बाद सार्वजनिक पूजन स्थल पर मां का पट खोला गया.
आवश्यकता पड़ने पर इन नंबरों पर करें संपर्कबिजली गड़बड़ी-7033095824जिला नियंत्रण कक्ष-06346/232124अग्निशमन सेवा-देवकी पासवान(अग्निशमन पदाधिकारी)-8084140040 महाअष्टमी के दिन कन्याओं का करें पूजनलखीसराय1 महाअष्टमी का व्रत बुधवार को रखा जायेगा. अधिकतर श्रद्धालु महिला इसी दिन कन्या पूजन करती हैं. आचार्य अजय ठाकुर कहते हैं कि शास्त्रों के अनुसार कन्या का पूजन मां का ही पूजन है. इसलिए इस दिन 09 या 11 कन्याओं को श्रद्धा व भक्ति भाव से अपने घर आमंत्रित करें. आमंत्रित कन्याओं के पैर धोकर उन्हें आसन पर बिठायें.
उनके हाथों में मौली बांध माथे पर टीका लगायें व चुन्नी अर्पित करें. उसके बाद सभी की आरती करें. भगवती दुर्गा को चना, हलवा, खीर, पूड़ी, पुआ तथा फल आदि का भोग लगायें. इस प्रकार विधि-विधान से श्रद्धापूर्वक व विश्वास के साथ पूजन से साधक को मनवांछित फल प्राप्त होता है. पूजा पंडालों में हुई महाअष्टमी की पूजा, उपवास आजसूर्यगढ़ा
. प्रखंड के विभिन्न पूजा पंडालों में मंगलवार को मां दुर्गा की महाअष्टमी पूजा की गयी. सुबह 9.49 बजे महाअष्टमी शुरू होने के बाद सार्वजनिक पूजन स्थलों व साधक ने मां के आठवें स्वरूप महागौरी की उपासना की. लेकिन नवरात्रा करनेवाले भक्त महाअष्टमी का उपवास बुधवार को करेंगे. इस दिन सुबह 8.41 बजे तक अष्टमी का योग है.
इसके बाद नवमी तिथि शुरू हो जाएगा. पंडितों की मान्यता के अनुसार जिस दिन महाअष्टमी व नवमी का संयोग हो, उसी दिन महाअष्टमी का उपवास करना चाहिए. इसके विशेष शुभ फल की प्राप्ति होती है. ऐसी मान्यता है कि महाअष्टमी की पूजा से भक्तों के सभी पाप धूल लाते है. व्यक्ति सभी प्रकार से पवित्र व अक्षय पुण्यों का अधिकारी हो जाता है.