लखीसराय : पिछले चार दिनों से रूक-रूक कर हो रही बारिश से शहरवासियों की परेशानी बढ़ गयी है. नाले की साफ-सफाई नहीं होने से जलजमाव से जूझना शहरवासियों की नियति बन गयी है.
शहर में शहीद द्वार के समीप मुख्य सड़क पर पानी जमा है इस होकर गुजरने वाले लोगों को आवागमन में काफी परेशानी हो रही है. यहां रेल पुल निर्माण कार्य होने की वजह से जलनिकासी की समस्या बनी हुई है. बाजार समिति के समीप मुख्य सड़क पर पचना रोड, मंसूरचक, किऊल बस्ती शैलेश स्थान जाने वाले रास्ते आदि जगहों पर लोगों को नाले के गंदे पानी में से होकर आवागमन को मजबूर होना पड़ रहा है.
कई जगहों पर मनसिंघा पइन में कचरा जमा होने की वजह से नाले का गंदा पानी सड़कों पर बह रहा है. दरुगध से राहगीरों का बुरा हाल है. स्थानीय लोगों को भी परेशानी हो रही है. बंदगी के इस महीने में भी लोग जलजमाव एवं गंदगी के बीच रहने को विवश है. शहर वासियों का कहना है कि बारिश के पूर्व अगर नाले की साफ-सफाई हो जाती तो जलजमाव की समस्या से जूझना नहीं पड़ता. चितरंजन रोड, मुख्य सड़क में आरलाल कॉलेज मोड़ के समीप, कवैया रोड आदि में बारिश के इस मौसम में नाला निर्माण कार्य हो रहा है. इससे परेशानी कम होने के बजाय और बढ़ गया है. कीचड़ से इन संकीर्ण पथों पर आवागमन भी मुश्किल हो गया है.
नदियों के जलस्तर में वृद्धि
लगातार हो रही बारिश के कारण गंगा, किऊल नदी एवं हरूहर नदी के जलस्तर में अप्रत्याशित वृद्धि हुई है. दियारा क्षेत्र में नदी का पानी फैल जाने की वजह से खेतों में लगी मकई, सोयाबिन एवं सब्जी की सफल बरबाद हो गया. इसके अलावे टाल क्षेत्र में भी अपेक्षाकृत गहरे इलाके के खेतों में बारिश का पानी जमा होने से फसलें बरबाद हो गयी. पिछले 24 घंटे में किऊल नदी के जलस्तर में ढ़ाई से तीन फीट तक का इजाफा हुआ. लोगों के मुताबिक नदी के जलस्तर में तेजी से लगातार बढ़ोतरी हो रही है.
कहां-कहां फैला पानी
सूर्यगढ़ा प्रखंड में दियारा क्षेत्र में नदी का पानी फैल चुका है. दियारा क्षेत्र में फसलें पानी में डूब कर बरबाद हो गया. टाल क्षेत्र में भी बारिश का पानी खेतों में जमा है जिससे फसल की बरबादी हुई. पिपरिया दियारा में भी बाढ़ का पानी फसलों को रबाद कर रहा है.
जलस्तर में जिस गति से वृद्धि हो रही है दियारा का अधिकांश इलाका का संपर्क भंग होकर टापू बनकर रह जायेगा. भाजपा के जिला महामंत्री सुधांशु कुमार के मुताबिक पिपरिया दियारा के निचले इलाके में नदी का पानी फैल गया है लेकिन फसलों को अभी कम क्षति हुई है.
स्कूलों की स्थिति
बारिश की वजह से विद्यालयों में बच्चों की उपस्थिति काफी कम देखी जा रही है. बुधवार को सूर्यगढ़ा शिक्षांचल के कन्या मध्य विद्यालय सूर्यगढ़ा में मात्र 38 प्रतिशत बच्चे उपस्थित थे यानि कुल नामांकित 720 बच्चों में से बच्चों की उपस्थिति 275 थी. कमोबेश सभी विद्यालयों में स्थिति एक जैसी बनी हुई है.
धान की फसल को फायदा
बारिश से धान की फसल को फायदा होने की संभावना है. कृषि वैज्ञानिक डॉ बीके सिंह ने बताया कि जहां धान की रोपाई 15 से 20 दिन पूर्व हुई वहां फसल को कोई नुकसान नहीं होगा. अपेक्षाकृत गहरे इलाके में धान के खेतों में पानी जमा होने की स्थिति में पौधा के पानी में डूब कर गलने का खतरा है. किसानों के मुताबिक अगर खेत में जमा पानी शीघ्र नहीं निकला तो धान की फसल बरबाद हो जायेगा. इन जगहों पर पानी की कमी के कारण धान का रोपा नहीं हुआ. वहीं इस बारिश के बाद धान की रोपा संभव हो पायेगी. मध्यम एवं ऊंचाई इलाके वाले धान के खेतों में बारिश से फसल को फायदा होने की संभावना है.