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मुराद पूरी करने को एतकाफ पर बैठे बुजुर्ग

मेदनीचौकी: प्रखंड के प्राय: सभी मसजिदों में रमजान के महीने में अपने मन की मुराद पूरा करने के लिए 2-2 बुजुर्ग इतकाफ (धरना)पर 20वें रमजान से बैठे हैं. मौलानगर मसजिद में एतकाफ पर बैठे मो शाकिब ने बताया कि मसजिद में इस माह 20वें से 29वें रमजान चांद निकलने तक मसजिद में इतकाफ करने पर […]

मेदनीचौकी: प्रखंड के प्राय: सभी मसजिदों में रमजान के महीने में अपने मन की मुराद पूरा करने के लिए 2-2 बुजुर्ग इतकाफ (धरना)पर 20वें रमजान से बैठे हैं.

मौलानगर मसजिद में एतकाफ पर बैठे मो शाकिब ने बताया कि मसजिद में इस माह 20वें से 29वें रमजान चांद निकलने तक मसजिद में इतकाफ करने पर अल्लाह खुश होकर सारे कष्ट दूर करते हुए रोजी-रोजगार में बरकत देते हैं. मसजिद के इमाम ने बताया कि इतकाफ करने वालों पर अल्लाह खुश होते हैं और उनके बिगड़े हुए काम बना कर मन की मुराद पूरा करते हैं. इस संबंध में कुरान के जानकार शिक्षाविद मो कमशाद अहमद कहते हैं कि एतकाफ सुन्नते मुअकके्दा अलल कफाया है अर्थात एक व्यक्ति भी अगर एतकाफ करता है तो उस मसजिद की परिधि में आने वाले सभी व्यक्तियों को उसका सवाब मिलता है, एतकाफ 21 रमजान से ईद के चांद होने तक किया जाता है इसलिए बीच एक ऐसी रात है जिसे शबेकदर कहते हैं उस रात में इबादत करने वालों को हजार महीने के बराबर सवाब मिलता है.

एतकाफ करने वाले शबेकदर को पा लेता है इससे उसकी अहमियत को समझा जा सकता है. एतकाफ करने वाले 24 घंटे मसजिद में खाना-पीना, सोना सब करते हैं सिर्फ शौच व स्नान करने के लिए मसजिद से आते हैं.

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