लखीसराय : भारत सरकार की ग्रामीण विकास मंत्रालय की उदासीनता एवं जारी लोकसभा आम निर्वाचन 2019 को लेकर जिले में संचालित महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी कार्यक्रम का चालू वित्तीय वर्ष में ऑनलाइन अपलोडिंग सिस्टम से लैस हो जाने के चलते डिजिटल वित्तीय आवंटन के अभाव में मनरेगा योजना बिल्कुल मृतप्राय प्रतीत होने लगी है.
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मजदूरी को तैयार नहीं हो रहे हैं मनरेगा मजदूर
लखीसराय : भारत सरकार की ग्रामीण विकास मंत्रालय की उदासीनता एवं जारी लोकसभा आम निर्वाचन 2019 को लेकर जिले में संचालित महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी कार्यक्रम का चालू वित्तीय वर्ष में ऑनलाइन अपलोडिंग सिस्टम से लैस हो जाने के चलते डिजिटल वित्तीय आवंटन के अभाव में मनरेगा योजना बिल्कुल मृतप्राय प्रतीत होने लगी […]
शायद इस योजना के तहत अब ग्रामीण मजदूर भी इसकी न्यूनतम मजदूरी दर एवं विलंब से मजदूरी भुगतान की कुंभकर्णी हालातों को देख इस योजना के तहत रोजगार करने को तैयार नहीं हैं.
दूसरी ओर संबंधित 80 ग्राम पंचायतों के मुखिया की ओर से भी इस योजना के तहत् ग्रामीण विकास के कार्यक्रमों की क्रियान्वयन के प्रति कोई खास अभिरुचि नहीं दिखाते हैं. भला पंचायत समिति एवं जिला परिषद सदस्यों की ओर से भी मनरेगा के कार्यों में जवाबदेही लेना ज्यादा मुनासिब नहीं समझते हैं.
इस बीच प्रशासनिक निर्देश पर कहीं इस योजना के तहत् कोई काम करवाये भी जातें हैं तो उसके मजदूरी एवं सामग्री की वेंडर राशि भुगतान भी राम भरोसे पड़ी होती है. इस दौरान इस योजना के तहत् काम करने वाले मजदूर भी संबंधित कार्य एजेंसी से बाजार दरों के अनुरूप मजदूरी का भुगतान लेकर इसके कार्यों में हाथ बंटाते हैं.
मनरेगा योजना के प्रति कोई मतलब नहीं रखना पसंद करते हैं. इसी क्रम में गत वित्तीय वर्ष में भी जिले में ग्रामीण पशुपालकों के बीच कई ग्राम पंचायतों में पशु शेड निर्माण के काम करवाये गये, लेकिन संबंधित ग्राम पंचायतों के कार्य ऐजेंसी वेंडर को इसकी एवज सामग्रियों की राशि की भुगतान बिल्कुल खटाई में लंबित पड़ी है.
इससे मनरेगा के तहत् पशु शेड बनवाने वाले ग्रामीण भी अब इस योजना के नाम पर त्राहिमाम मचाने लगे हैं. हालांकि इस योजना के तहत् संबंधित योजनाओं की मजदूरों की मजदूरी की राशि का तो भुगतान कर दिया गया. लेकिन पशु शेड बनवाने की एवज सामान क्रय राशि का अभी तक कोई भुगतान नहीं किया गया है.
इस बीच जिला ग्रामीण विकास अभिकरण की ओर से भी मनरेगा की खास्ता वित्तीय आवंटन के बारे में कोई भी टिप्पणी करने से परहेज किया. विदित हो कि बीते कई वर्ष पूर्व भी मनरेगा के तहत जिले के कई ग्राम पंचायतों में शौचालय निर्माण के कार्य चालू करवाये गये थे. बाद में अचानक इस योजना को भी मनरेगा से बंद कर दिया गया और इसके लाभार्थी यूं ही हाथ मलते रह गये.
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