लखीसराय : कुपोषण और बाल मृत्युदर की समस्या से देश को निजात दिलाने के लिए भारत सरकार द्वारा यूनिसेफ की मदद से समेकित बाल विकास परियोजना आरंभ की गयी. यह आइसीडीएस कार्यक्रम बच्चों के लिए संचालित सबसे बड़े और सबसे अनूठा कार्यक्रमों में से एक है. यह सर्वमान्य हो चुका है कि छोटे-छोटे बच्चे ही कुपोषण, रूग्णता आदि से सर्वाधिक प्रभावित होते हैं. नौनिहालों का जीवन बहुत ही महत्वपूर्ण होता है. इस दौरान संज्ञनात्मक, सामाजिक, भावनात्मक,
भाषागत व शारीरिक विकास आदि की नींव पड़ती है. आइसीडीएस कार्यक्रम को छह वर्ष से कम आयु के बच्चों के संपूर्ण विकास के लिये तैयार किया गया है. इसका उद्देश्य छह वर्ष से कम आयु के बच्चों , गर्भवती और धातृ महिलाओं सहित 15 से 45 वर्ष आयु के महिलाओं को स्वास्थ्य एवं सामाजिक लाभ दिलाया जाना है. लेकिन इसके सफल संचालन का दायित्व संभाल रहे आंगनबाडी अपने दायित्व से विमुख है. कार्यक्रम के मार्गदर्शिका को भूलकर नौनिहालों के निवाले चट करने में लगे रहते हैं.
वित्तीय वर्ष 2017-18 तो प्रारंभ काल से ही विपरीत स्थिति में चल रहा है. लगभग दो माह हड़ताल की भेंट चढ़ गय तो दो माह मोबाइल प्रशिक्षण को लेकर प्रभावित होते आ रहा है. जिसका असर खास कर सूर्यगढ़ा प्रखंड व नगर परिषद क्षेत्र में पल्प पोलियो उन्मूलन अभियान पर भी पड़ा है. जहां टीकाकरण अभियान अपने लक्ष्य से काफी पीछे छुट गया है. लखीसराय जिले में स्थापित छह परियोजना कार्यालयों के माध्यम से आंगनबाड़ी केंद्रों का संचालन किया जा रहा है. बच्चों को कुपोषण से बचाव के साथ-साथ आवश्यक टीकाकरण का कार्य भी सेविका सहायिका पर काफी हद तक निर्भर करता है. इसके बावजूद मानदेय मे बढ़ोतरी आदि मांग को लेकर सेविका सहायिका लगभग दो माह तक कार्य संचालन को ठप रखा. हड़ताल के उपरांत पूरा आईसीडीएस तबका इसके प्रशिक्षण को लेकर मशगूल रहा. नतीजा यह रहा कि टीकाकरण अभियान में भी यह जिला पिछड़ता जा रहा है. इस संबंध में जिला प्रतिरक्षण पदाधिकारी डॉ बीके मिश्रा ने कहा कि सेविका सहायिका के हड़ताल के अवधि में हुए पल्स पोलियो टीकाकरण कार्यक्रम सूर्यगढ़ा प्रखंड एवं नगर परिषद लखीसराय और नगर पंचायत बड़हिया में बुरी तरह प्रभावित हुआ था. इस माह 17 सितंबर से चला पोलियो चक्र के दौरान पिछले चक्र की अपेक्षा चार पांच हजार अधिक बच्चों को दवा पिलायी गयी. लक्ष्य के अनुरूप सफलता प्राप्त हुई है.