टेढ़ागाछ : प्रखंड क्षेत्र के विभिन्न पंचायत में लगे स्टेट बोरिंग अपने उद्धारक की बाट जोह रहा है. कई दशक बीत जाने के बाद भी अभी तक स्टेट बोरिंग चालू नहीं होने से किसानों में मायूसी तो जरूर है.जिस तरह किसान बिभिन्न समस्याओ के मकड़जाल में उलझा अपने उद्धारक की बाट जोह रहा है.लेकिन इनकी सुधि लेने वाला कोई नहीं है. बता दे की कुल 12 पंचायत के लगभग 100 गावों के 85 फीसद आबादी अपने जीवन यापन का सहारा कृषि ही एक साधन है. प्रखंड क्षेत्र के विभिन्न पंचायतों में स्टेट बोरिंग गारे लगभग एक दशक बीत जाने के बाद भी अब तक चालू नहीं हो पाया है. महज अब ये स्टेट बोरिंग शोभा की वस्तु बनकर ही रहा गया. स्टेट बोरिंग को चालू कराने के लिए अधिकारी से लेकर जनप्रतिनिधि तक ने चालू करवाने की कवायद नहीं की.
अब धीरे धीरे स्टेट बोरिंग खंडहर में बदलता जा रहा है. टेढ़ागाछ प्रखंड वासी प्रति वर्ष बाढ़ व सुखाड़ झेलने को अभिशप्त है.वही दूसरी ओर सरकार किसानों की उत्थान के लिए करोड़ों रुपया खर्च करने का ढिंढोरा पिटती है.किसानों की आर्थिक व सामाजिक दिशा में निरंतर समस्या से जूझ रहा है.किसानों को सिंचाई के लिए मूलभूत सुविधाओं के आभाव में महंगी दरों में बीज पंप सेट से महंगी सिंचाई करने को विवश है.जदयू के अल्पसंख्यक प्रदेश सचिव जमील अहमद ने कहा कि स्थानीय स्तर में जन प्रतिनिधि से लेकर अधिकारी को इस ओर ध्यान देकर बंद पड़े नलकूपों को जल्द चालू करवाना चाहिए ताकि किसानों की खेतों की सिंचाई हो सके और किसान खुशहाली हो सके.