किशनगंज : शहर स्थित कैनरा बैंक की चुड़ी पट्टी शाखा में अपराधियों द्वारा बैंक कर्मियों की आंख में धूल झोंककर चोरी की वारदात को अंजाम देकर बैंक के सुरक्षा-व्यवस्था की पोल खोल कर रख दिया है. बैंक सुरक्षा को लेकर सीमावर्ती किशनगंज जिला हाई रिस्क जोन में है.
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केनरा बैंक से दिनदहाड़े लाखों की चोरी
किशनगंज : शहर स्थित कैनरा बैंक की चुड़ी पट्टी शाखा में अपराधियों द्वारा बैंक कर्मियों की आंख में धूल झोंककर चोरी की वारदात को अंजाम देकर बैंक के सुरक्षा-व्यवस्था की पोल खोल कर रख दिया है. बैंक सुरक्षा को लेकर सीमावर्ती किशनगंज जिला हाई रिस्क जोन में है. बावजूद इसके दर्जनों की तादाद में अपराधियों […]
बावजूद इसके दर्जनों की तादाद में अपराधियों ने दिन-दहाड़े भीड़-भाड़ वाली इस शाखा में चोरी की घटना को अंजाम देकर बड़ी आसानी से रफ्फू-चक्कर हो गये. पिछले साल भी जिले में कई एटीएम को तोड़ने का प्रयास अपराधियों ने किया था.
बैंकों की अधिकांश शाखाओं में पर्याप्त संख्या में सुरक्षा गार्ड की तैनाती नहीं की गयी है. बैंकों में सीसीटीवी कैमरे जरूर लगाये गये हैं. सायरन की व्यवस्था भी बैंकों में होती है. लेकिन पर्याप्त गार्ड की कमी से बैंकों की सुरक्षा-व्यवस्था भगवान भरोसे है. बैंक में लगे इमरजेंसी सायरन की भी नियमित रूप से जांच नहीं होती है. जबकि बैंक के भीतर सुरक्षाकर्मी कागजी काम निबटाते देखे जाते है.
सुरक्षा पर लाखों का खर्च होने का दावा
प्रबंधनों द्वारा बैंकों की सुरक्षा व्यवस्था में उपेक्षा बरती जा रही है. कई बैंकों में रात्रि गार्ड व चौकीदार नहीं रहते. गार्ड व चौकीदार के नहीं रहने से बैंक की सुरक्षा व्यवस्था भगवान भरोसे होती है. कहने को बैंकों में तमाम तरह की सुरक्षा व्यवस्थाओं का दावा किया जाता हो, लेकिन हकीकत उलट है.
सुरक्षा उपायों के बावजूद सुरक्षा के लिहाज से अति संवेदनशील बैंक भी अपराधियों के निगाह से अछूता नहीं है. आखिर ये सुरक्षा किस काम की. ऐसा दावा किया जाता है कि सुरक्षा व्यवस्था के नाम पर बैंक अलग से लाखों रुपये खर्च करते हैं.
सिक्यूरिटी गार्ड से लेकर अलार्म तक लगाया जाता है. बावजूद बैंकों में चोर घुस जाते हैं, और लूट की रकम के साथ गधे की सींग के तरह गायब भी हो जाते हैं. कई ऐसे बैंक हैं जो सुरक्षा मानकों का ध्यान नहीं रखते हैं. बैंकों में सुरक्षा व्यवस्था का मॉक ड्रिल या अलार्म का मेंटेनेंस तक नहीं होता. बैंकों के सुरक्षा के नाम पर किये गये उपाय सिर्फ कागज पर ही हैं. सारी सुरक्षा व्यवस्था लचर नजर आती हैं.
खुले में होता है लेन-देन
ग्रामीण इलाकों की बैंक शाखाओं की स्थिति और दयनीय है.जो कि किसी भी सूरत में सही नहीं है. सुरक्षा गार्ड से सुरक्षा का काम न लेकर उनसे दूसरे अन्य काम लिया जाता है.
वे एक टेबल से दूसरे टेबल पर कागज पहुंचाने में लगे रहते हैं. समय-समय पर सीसीटीवी की जांच नहीं होती है. अधिकांश बैंक शाखा के एक-दो कैमरे खराब रहते हैं. अलार्म सिस्टम का मॉक ड्रिल नहीं होता है, जिससे समय पर वह काम नहीं करता है.
बैंकों के सुरक्षा उपाय
बैंक शाखाओं के कारोबार के अनुसार गन मैन सिक्यूरिटी गार्ड होते हैं. ये गार्ड बैंक द्वारा नियुक्त या प्राइवेट कंपनी के होते हैं. बैंक शाखा और एटीएम में सीसीटीवी कैमरे लगाये जाते हैं.अलार्म सिस्टम लगाये जाते हैं. सायरन बजते ही नजदीकी थाने को मालूम चल जाता है. उच्च गुणवत्ता वाले अलार्म सिस्टम में नजदीकी थाने के पास मैसेज भी चला जाता है.
शाखा के इंट्री गेट पर ऊपर और नीचे जंजीर लगी होती है, इससे एक बार में एक ही आदमी और झुक कर प्रवेश कर सकता है. रात में स्ट्रांग रूम छूने पर अलार्म बजने लगेगा. जिस काउंटर से नकद राशि का लेन-देन होता है. वह पूरी तरह से पैक होना चाहिए.वहां बाहरी व्यक्ति का प्रवेश वर्जित होता है.
अधिकांश बैंक में नहीं हैं गार्ड
बैंक में सुरक्षा भगवान भरोसे ही चल रहा है. बैंकों के अलावे ग्रामीण क्षेत्र के अधिकांश बैंक शाखा में गार्ड नहीं है. बैंक में रोजाना लाखो रुपए का लेनदेन होता है. ऐसे में बैंक में सुरक्षा व्यवस्था में कोताही करना सवाल खड़ा करता है.
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