किशनगंज : जनवरी माह में पड़ रही कड़ाके की ठंड से जहां एक ओर लोगों को घर से बाहर निकलने में परेशानी हो रही है, वहीं दूसरी ओर गरीब मजदूर जान जोखिम में डालकर खेत, सड़क निर्माण और महानंदा, कनकई के क्षेत्र में खुली जगहों पर काम करने को विवश हैं. एक चादर के साथ […]
किशनगंज : जनवरी माह में पड़ रही कड़ाके की ठंड से जहां एक ओर लोगों को घर से बाहर निकलने में परेशानी हो रही है, वहीं दूसरी ओर गरीब मजदूर जान जोखिम में डालकर खेत, सड़क निर्माण और महानंदा, कनकई के क्षेत्र में खुली जगहों पर काम करने को विवश हैं. एक चादर के साथ फटेहाल मजदूरों को इस ठंड में भी काम करने की बाध्यता से इसके दुखों को स्वत: महसूस किया जा सकता है.
सुबह-सबेरे महानंदा, कनकई, डोंक नदी के तट पर तेज पछुआ हवा के थपेड़ों को सहन करते हुए काम करने से बहुत जल्द बीमार पड़ जाते हैं. किशनगंज प्रखंड के गाछपाड़ा, मोतीहारा, सिमलबाड़ी, महीनगांव के गोविंदपुर, पिछला, बड़ाडो, दौला पंचायत सहित कई गांवों के मजदूर भीषण ठंड में भी काम करते देखे जा सकते हैं. बेलवा के इस्लाम, हरि सिंह, फरहत, शफीक उद्दीन आदि मजदूरों ने कहा कि मजदूर और किसानों को दिन-रात एक करके ठंड हो या बरसात काम करना पड़ता है. अगर काम पर नहीं जायेंगे, तो उनलोगों के बाल-बच्चे क्या खायेंगे. डोक नदी के किनारे में सर्द हवाओं के बीच काम करने से ऐसे लोग बीमार भी हो रहे हैं.
कैसे करें ठंड से बचाव
सदर अस्पताल में कार्यरत महिला चिकित्सा पदाधिकारी पदाधिकारी डा उर्मिला कुमारी यादव ने बताया कि ठंड में गर्म पानी और गर्म कपड़ों को ज्यादा उपयोग में लाएं. क्योंकि ठंड लगने के समय यह पता नहीं चलता है और बाद में सेहत बिगड़ जाती है. ठंड लगने से शरीर में खून जम जाता है और धमनियों में खून का प्रवाह कम होने लगता है. इससे जान जाने तक का खतरा बना रहता है. इस मौसम में बच्चों को ज्यादा बुखार भी लगती है. आजकल कोल्ड डायरिया भी हो सकता है. इसके लिए ओआरएस का घोल या ऐंटिबायटिक दवा लेनी चाहिए. समय पर अलाव का भी उपयोग करें. ऐसा करने से ठंड से बचा जा सकता है. अगर किसी को अचानक ठंड लग जाए तो उसे तुरंत चिकित्सक के पास ले जाना चाहिए.
शीतलहर से सब्जी व रबी फसल पर पड़ा प्रभाव : बहादुरगंज प्रतिनिधि के अनुसार ठंड के कारण क्षेत्र के ग्रामीण व शहरी क्षेत्र के लोग घर में दुबकने और आग का सहारा लेने को मजबूर हो गये हैं. शीतलहर व गिरते तापमान ने किसानों की चिंता बढ़ा दी है. किसानों के अनुसार अगर मौसम शीघ्र प्रतिकूल नहीं हुआ तो रबी फसलों के अलावा आलू व सरसों जैसी फसल पर काफी बुरा प्रभाव पड़ेगा. एक ओर जहां रबी फसलों पटवन कार्य प्रभावित है वहीं दूसरी और आलू और सरसों की फसल पर लाही गिरने की संभावना बढ़ गयी है.