खुलासा. आर्य कन्या उवि में फर्जी बहाली प्रकरण में पूर्व डीइओ व डीपीओ पर कसेगा शिकंजा
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नोटिस बोर्ड पर सूचना दे कर ली बहाली
खुलासा. आर्य कन्या उवि में फर्जी बहाली प्रकरण में पूर्व डीइओ व डीपीओ पर कसेगा शिकंजा आर्य कन्या उच्च विद्यालय में 56 कर्मियों की फर्जी बहाली प्रकरण में नया खुलासा हुआ है. महज विद्यालय के नोटिस बोर्ड पर सूचना चिपका कर इतनी बड़ी संख्या में कर्मियों की बहाली कर ली गयी. न पद सृजन का […]
आर्य कन्या उच्च विद्यालय में 56 कर्मियों की फर्जी बहाली प्रकरण में नया खुलासा हुआ है. महज विद्यालय के नोटिस बोर्ड पर सूचना चिपका कर इतनी बड़ी संख्या में कर्मियों की बहाली कर ली गयी. न पद सृजन का विभाग से अनुमोदन और न ही दूसरे सरकारी नियमों का हुआ पालन.
खगड़िया : आर्य कन्या उच्च विद्यालय में फर्जी बहाली प्रकरण में नया खुलासा हुआ है. नियमत : किसी भी सरकारी महकमे में बहाली के लिये बकायदा सरकारी गाइडलाइन जारी है. इसके लिये पहले पद सृजन की अनुमति शिक्षा निदेशक से लेना अनिवार्य है. इसके बाद अखबार में विज्ञापन दिया जाना चाहिये. लेकिन आर्य कन्या उच्च विद्यालय में 56 शिक्षक व शिक्षकेत्तर कर्मचारियों की भरती में ये सारे नियम कायदे ताक पर रख दिये गये.
महज विद्यालय के नोटिस बोर्ड पर सूचना चिपका कर बहाली कर ली गयी. शिक्षा निदेशक से पद सृजन की स्वीकृति नहीं ली गयी और ना ही विद्यालय में बहाली का अनुमोदन लिया गया. नियुक्ति की संपुष्टि अभी तक विभाग से नहीं मिली है. इन सरकारी प्रक्रिया पूरा किये बिना ही फर्जीवाड़ा के सहारे बहाल कर्मियों का समायोजन दिखा कर वेतन की निकासी भी कर ली गयी.
बताया जाता है कि वर्ष 2014 में तत्कालीन डीपीओ स्थापना श्री राम के द्वारा विद्यालय में किये गये निरीक्षण की रिपोर्ट को ही स्वीकृति मान लिया गया. इतना ही नहीं तत्कालीन डीइओ डॉ ब्रज किशोर सिंह ने 9.9.15 को वेतन भुगतान का आदेश दे दिया गया. उन्होंने बहाल कर्मियों के अनुमोदन सहित अन्य कागजात देखना भी मुनासिब नहीं समझा. इधर, जिला प्रशासन की कार्रवाई से बचने के लिये उच्च न्यायालय में याचिका दायर किया गया है. इसी आलोक में जिला प्रशासन ने उच्च न्यायालय में प्रतिशपथ दायर कर दिया है. जिसमें कई अहम गड़बड़ी की ओर उच्च न्यायालय का ध्यान आकृष्ट कराया गया है.
आर्य कन्या उच्च विद्यालय में फर्जी बहाली की जद में आने वाले कर्मियों द्वारा हाइकोर्ट में दायर याचिका में गलत दस्तावेज लगाये जाने की संभावना है. जिला प्रशासन की कार्रवाई रोकने के लिए उच्च न्यायालय में दायर वाद में दिये गये दस्तावेज की मान्यता व शुद्धता के जांच के आदेश दिये गये हैं. बैकडेट से कागज तैयार कर हेराफेरी की कोशिश को कामयाब नहीं होने दिया जायेगा. पटना उच्च न्यायालय में भी दायर वाद में दिये गये दस्तावेज की जांच का अनुरोध किया जायेगा.
जय सिंह, डीएम, खगड़िया.
तत्कालीन डीइओ व डीपीओ जांच के घेरे में
इस पूरे मामले में तत्कालीन डीपीओ स्थापना द्वारा दिये गये विद्यालय का निरीक्षण प्रतिवेदन सहित पूर्व डीइओ डॉ ब्रज किशोर सिंह द्वारा वेतन भुगतान का आदेश देने सहित कई गड़बड़ी दोनों अधिकारियों की गले की हड्डी बन सकती है. वर्तमान डीइओ सुरेश प्रसाद साहु ने दोनों अधिकारियों पर शिकंजा कसने के संकेत देते हुए जल्द ही
कार्रवाई के लिये सरकार को पत्र भेजने की बात कही है. बताया जाता है कि फर्जीवाड़ा के आधार पर पद सृजन, फिर पद सृजन का शिक्षा निदेशक से अनुमोदन लिये बिना 56 कर्मियों की बहाली कर ली गयी. इतना ही नहीं इसके बाद शिक्षा निदेशक से नियुक्ति के बिना अनुमोदन के ही समायोजन कर इन फर्जी कर्मचारियों के वेतन पर लाखों रुपये फूंक डाले. डीएम ने डीइओ को विद्यालय में नये प्रधानाचार्य की नियुक्ति की प्रक्रिया शुरू करने का निर्देश दिया है.
प्रशासन ने उच्च न्यायालय में दायर किया प्रतिशपथ पत्र
फर्जीवाड़ा के खुलासा बाद जिला प्रशासन की कार्रवाई से बचने के लिये उच्च न्यायालय में दायर वाद के आलोक में जिला प्रशासन ने प्रतिशपथ पत्र दायर कर कई गड़बड़ी की ओर ध्यान आकृष्ट कराया है. जिसमें जिला प्रशासन की ओर से कहा गया है कि शिक्षा निदेशक से बिना पद सृजन के अनुमोदन के ही नियुक्ति कैसे कर ली गयी? नियुक्ति का अनुमोदन लिये बिना ही समायोजन दिखा कर वेतन भुगतान कैसे कर दिया गया? आखिर शिक्षा निदेशक से बिना अनुमोदन लिये ही
तत्कालीन डीइओ द्वारा फर्जी तरीके से बहाल 56 कर्मियों के वेतन भुगतान का आदेश कैसे दे दिया गया? जब विद्यालय में इंटर की पढाई की मान्यता 2015 में मिली तो वर्ष 2008 में सचिव लेटर पैड पर जारी पत्र में +2 मान्यता प्राप्त होने का कैसे दावा दावा किया गया है? जब तत्कालीन डीइओ द्वारा वर्ष 2012 में पद सृजन के अनुमोदन के लिये पत्र भेजा गया तो बहाली 2009 में कैसे कर ली गयी? महज नोटिस बोर्ड पर सूचना चिपका कर क्या सरकारी महकमे में कोई बहाली कैसे हो सकती है? इन्हीं सभी बिंदुओं पर उच्च न्यायालय का ध्यान आकृष्ट कराते हुए प्रशासन ने प्रतिशपथ पत्र दायर किया है.
जब 2015 में आर्य कन्या उच्च विद्यालय को इंटर की पढ़ाई की मान्यता मिली है तो वर्ष 2008 में प्रबंध समिति के तत्कालीन सचिव के पत्र में +2 तक की पढ़ाई का जिक्र किया जाना दाल में काला की ओर इशारा कर रहा है. जिसके आधार पर प्रबंध समिति द्वारा विद्यालय में छात्राओं की बढती संख्या का हवाला देते हुए
84 पोस्ट सृजित करने का दावा किया गया है. तत्कालीन डीपीओ स्थापना के निरीक्षण प्रतिवेदन व डीइओ द्वारा पत्रांक 751 दिनांक 11. 05.15 जारी पत्र के आधार इन दोनों अधिकारियों शिकंजा कसा जायेगा. जल्द ही पूरे मामले में तत्कालीन डीइओ डॉ ब्रज किशोर सिंह व डीपीओ स्थापना मुनिलाल राम की संदेहास्पद भूमिका को देखते हुए विभाग को पत्र भेजकर अग्रतर कार्रवाई की अनुशंसा की जायेगी.
सुरेश प्रसाद साहु, डीइओ
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